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श्रमिक संगठनों के भारत बंद का असर,बिहार में मतदाता पुनरीक्षण के खिलाफ चक्का जाम

श्रमिक संगठनों के भारत बंद का असर,बिहार में मतदाता पुनरीक्षण के खिलाफ चक्का जाम

डॉ.समरेन्द्र पाठक 

वरिष्ठ पत्रकार

साथ में तरुण मोहन,आर.के.राय, संजीव ठाकुर,एम.के मधुबाला एवं अन्य.

नयी दिल्ली :  केंद्र सरकार की कथित श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ ट्रेड यूनियनों का आज भारत बंद का असर राजधानी दिल्ली सहित देशभर में रहा वहीं मतदाता सूची पुनरीक्षण के खिलाफ विपक्ष के बिहार बंद से राज्य में अस्त व्यस्त का माहौल रहा। 

बिहार की राजधानी पटना में लोक सभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, राजद नेता तेजस्वी यादव एवं महागठबंधन के अन्य सहयोगियों के साथ सड़कों पर उतरें। सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने अपने समर्थकों के साथ रेल सेवा बाधित करने की कोशिश की। राज्य में कई स्थानों पर माहौल अस्त व्यस्त रहा। 

बिहार में महागठबंधन के कार्यकर्ताओं ने राजधानी पटना को जोड़ने वाले महात्मा गांधी सेतु को पूरी तरीके से बंद कर दिया । यहां घंटों सड़क के दोनों ओर गाड़ियों की लंबी-लंबी लाइन लगी रही, जिससे ट्रेन एवं प्लेन से सफर करने वाले यात्री अपने कंधे पर सामान लिए कई किलोमीटर पैदल ही जाने को मजबूर रहे। 

उधर श्रमिक संगठनों के भारत बंद का असर कश्मीर से कन्याकुमारी तक कहीं कम कहीं ज्यादे रहा। खासकर गैर एनडीए शासित राज्यों में इसका असर ज्यादे रहा। संगठन से जुड़े लोगों द्वारा दिल्ली एनसीआर के अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, उड़ीसा, झारखंड, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु एवं केरल में अनेक स्थानों पर प्रदर्शन किए जाने की खबर है। 

इस बंद का आयोजन इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस,ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस, हिंद मजदूर सभा,सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस,ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर,ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन सेंटर,सेल्फ एम्प्लॉयड वीमेंस एसोसिएशन,ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस, लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन एवं यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस ने किया था 

यूनियनों की ओर से इस हड़ताल में बैंकिंग, बीमा, डाक से लेकर कोयला खनन, राजमार्ग और निर्माण क्षेत्र में कार्यरत 25 करोड़ से अधिक श्रमिकों  एवं कर्मियों के हिस्सा लेने का दावा किया गया है। 

संगठन के नेताओं ने इस आंदोलन को सरकार की श्रमिक विरोधी, किसान विरोधी और राष्ट्र विरोधी कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों के खिलाफ बताया है ।ट्रेड यूनियनों ने इससे पहले 26 नवंबर, 2020, 28-29 मार्च, 2022 और पिछले साल 16 फरवरी को इसी तरह की देशव्यापी हड़ताल की थी।

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