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    जागरूकता से कैंसर पर काबू पाना संभव - डा विभाष राजपूत

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    जागरूकता और उचित खानपान से बचा जा सकता है कैंसर से - डॉ एमपी सिंह

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जागरूकता से कैंसर पर काबू पाना संभव - डा विभाष राजपूत

Posted on :04-Feb-2023
जागरूकता से कैंसर पर काबू पाना संभव - डा विभाष राजपूत

विवेक जैन

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बागपत, उत्तर प्रदेश : बागपत के प्रमुख चिकित्सकों में शुमार सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बागपत के चिकित्सा अधीक्षक डा विभाष राजपूत विश्व कैंसर दिवस पर विभिन्न माध्यमों से लोगों को कैंसर के प्रति जागरूक कर रहे है। उन्होंने बताया कि विश्व कैंसर दिवस हर वर्ष 4 फरवरी को मनाया जाता है। इसको मनाने के पीछे यह उद्देश्य है कि लोग कैंसर के प्रति जागरूक हो। कैंसर जैसी बीमारी की समय से पहचान हो और इसका उपचार हो। बताया कि सही जानकारी ना होने के कारण अधिकांश लोग कैंसर की अन्तिम स्टेज तक पहुॅंच जाते है उस समय कैंसर से लड़ाई में चिकित्सकों को काफी संघर्ष करना पड़ता है। बताया कि अगर कैंसर का शुरूआत में पता चल जाये तो इसका 100 प्रतिशत ईलाज संभव है और इस बीमारी से आसानी से जंग जीती जा सकती है। बताया कि मानव शरीर अनगिनत कोशिकाओं से बना हुआ है। इन कोशिकाओं में निरन्तर विभाजन होता रहता है। यह एक सामान्य प्रक्रिया होती है और इस प्रक्रिया पर शरीर का पूरा नियंत्रण होता है। 

बताया कि कभी-कभी शरीर के विशेष अंग की कोशिकाओं का नियंत्रण बिगड़ जाता है व कोशिकाएं बेहिसाब तरीके से बढ़ने लगती है और एक प्रकार की गांठ उभरने लगती है। कोशिकाओं के बेहिसाब तरीके से बढ़ने को कैंसर कहा जाता है। कहा कि इसका उपचार सही समय पर न किया जाए तो यह पूरे शरीर में फैल जाता है। बताया कि शोधकर्ता मानते है कि कैंसर 200 से भी अधिक तरह का होता है। कुछ कैसर बहुत तेजी से लोगों को अपना शिकार बना रहे है जिसमें ब्लड़ कैंसर, फेफड़ो का कैंसर, ब्रेन कैंसर, स्तन कैंसर, स्किन कैंसर आदि प्रमुख है। बताया कि वर्तमान में कैंसर के ईलाज में कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, सर्जरी व औषधियों के साथ-साथ अनेकों प्रकार की नवीन तकनीक मौजूद है जिनसे कैंसर का सफलतापूर्वक ईलाज किया जा रहा है। कहा कि किसी भी बीमारी को हल्के में ना ले और शरीर में हो रहे किसी भी असामान्य परिवर्तन का आभास होने पर अपने नजदीकी चिकित्सकों से परामर्श ले। बीमारियों के लक्ष्णों से स्वयं भी जागरूक हो और अपने सम्पर्क में आने वाले लोगों को भी जागरूक करें।

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जागरूकता और उचित खानपान से बचा जा सकता है कैंसर से - डॉ एमपी सिंह

Posted on :07-Jan-2023
जागरूकता और उचित खानपान से बचा जा सकता है कैंसर से - डॉ एमपी सिंह

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7 जनवरी 2023 अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट ने एकलव्य इंस्टिट्यूट में कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी पर एक दिवसीय जागरूकता सेमिनार का आयोजन किया जिसमें  देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित रहे 

डॉ एमपी सिंह ने कहा कि कैंसर एक ऐसा नाम है जिसकी लेते ही हम आधे रह जाते हैं और यह मान लेते हैं कि अब इससे बचना संभव नहीं है  इसी डर में कैंसर पीड़ित खाना छोड़ देते है और बहकी बहकी बातें करने लगते है अन्य समाज के लोग भी डरा देते हैं कि यह लाइलाज बीमारी है और इसका इलाज बहुत महंगा है

 डॉ एमपी सिंह ने बताया कि कैंसर विभिन्न बीमारियों का सामूहिक नाम है इससे मुक्ति मिल सकती है यदि शारीरिक जांच प्रतिवर्ष कराते रहें लेकिन हमारे पास अपने लिए वक्त ही नहीं है हम घर बहू बेटे सास ससुर बेटी दामाद और समाज की जिम्मेदारियों को ही निभाने में लगे रहते हैं और घर तथा ऑफिस के कामों को निपटाने में दिन- रात लगे रहते हैं सुख और चैन की नींद भी नहीं ले पाते हैं स्वास्थ्यवर्धक भोजन भी नहीं कर पाते हैं अपनी मर्जी के अनुसार घूमने फिरने भी नहीं जा पाते हैं और तनावपूर्ण जिंदगी जीते रहते हैं जिससे बीपी और शुगर वह अन्य बीमारियां हो जाती है पेट में कब्ज रहने लगती है मोशन ठीक नहीं आता है नींद नहीं आती है भूख नहीं लगती है कुछ भी खाने को दिल नहीं करता है पूरी रात चिंता में पड़े रहते हैं और दूसरों की ही सोचते रहते हैं ना योग करते हैं और ना ही मेडिटेशन डॉ एमपी सिंह का कहना है की दिनचर्या खराब और गलत खानपान से मोटापा आ जाता है जो कि अनेकों बीमारियों को दर्शाता है इसलिए मोटापे को नहीं आने देना चाहिए और गलत खानपान से बचना चाहिए रहन-सहन के तरीकों को सही करना चाहिए अच्छे व उत्तम विचारों वाले स्वस्थ व सफल व्यक्तियों की  संगति करनी चाहिए प्रतिदिन स्नान करना चाहिए और साफ-सुथरे कपड़े पहनने चाहिए परमपिता परमात्मा को मानना चाहिए और उसका धन्यवाद करना चाहिए प्रकृति के नजदीक रहना चाहिए फास्ट फूड तला बाशा ज्यादा मिर्च मसाले वाला भोजन नहीं खाना चाहिए प्रतिदिन कम से कम 2:30 से 3 लीटर पानी अवश्य पीना चाहिए क्योंकि पानी की कमी की वजह से भी अनेकों परेशानियां पैदा हो जाती है और हर हाल में खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए तथा अपने आप को सही कार्यों में व्यस्त रखना चाहिए अच्छी किताब को पढ़ना चाहिए और अच्छा साहित्य लिखना चाहिए नकारात्मक लोगों के साथ नहीं बैठना चाहिए और नकारात्मक सोच पर भी फैसले नहीं लेनी चाहिए तथा नकारात्मक बात भी नहीं करनी चाहिए सब कुछ परमपिता परमात्मा पर छोड़ देना चाहिए क्योंकि उसकी लीला अपरंपार है वह जो चाहता है वही होता है हमारे किसी के हाथ में कुछ भी नहीं है हमें नेक और पुनीत कार्य करते रहना चाहिए जितना हम से हो सके उतना जरूरतमंद लोगों की मदद करनी चाहिए इससे जीवन सफल हो जाता है 

डॉ एमपी सिंह का कहना है कि बीमार रहते भी  हम खुश तथा प्रसन्न रह सकते हैं क्योंकि मन के हारे हार है मन के जीते जीत हमें अपनी विल पावर को कमजोर नहीं पडने  देना है हिम्मत और साहस से काम लेना है जितना पेट में जा रहा है उतने से भी काम चल सकता है यदि भोजन पच नहीं रहा है साथ के साथ उल्टी हो रही है तब भी घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि मारने और बचाने वाला तो कोई और है डॉ के हाथ में भी कुछ नहीं है यदि उसके ही हाथ में होता तो इस पृथ्वी पर कोई मरता ही नहीं इसलिए जितने पल हैं उतने पल आनंद के साथ उस परमपिता परमात्मा का सुमिरन करते हुए जी लो जो होना है वह निश्चित है वह होकर ही रहेगा उसके बारे में ज्यादा चिंता करना उचित नहीं है

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तुलसी पूजा के चमत्कारिक लाभ... आपको पता होना चाहिए

Posted on :26-Dec-2022
तुलसी पूजा के चमत्कारिक लाभ... आपको पता होना चाहिए

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सामाजिक ट्रस्ट ने तुलसी पूजन उसके लाभ के बारे में लोगों को किया जागरुक :डॉ एम पी सिंह  

अखिल भारतीय मानव कल्याण के राष्टिय अध्यक्ष  डॉ एम पी सिंह ने कहा- भारत में तुलसी पूजा की परंपरा आज से नहीं सदियों से चली आ रही है. घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगाना और पूरे श्रद्धा भाव से उसकी देखभाल करना, पूजा करना लगभग हर हिंदू परिवार में हर रोज किये जाने वाले धार्मिक नियमों में से एक है.

तुलसी पूजन दिवस मनाने की शुरुआत साल 2014 से हुई. इस दिन विशेष रूप से तुलसी पूजा की जाती है 

तुलसी पूजा की परंपरा पौराणिक काल से चली आ रही-
हिंदू धर्म में तुलसी पूजन की परंपरा पौराणिक काल से चली आ रही है. लगभग हर हिंदू परिवार के आंगन में तुलसी का एक पौधा जरूरत होता है औ सुबह-शाम पूरे श्रद्धा भाव से इसकी पूजा की जाती है. तुलसी को लक्ष्मी का रूप माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि यदि घर में तुलसी का पौधा हरा भरा हो तो घर में सुख-शांति बनी रहती है.

तुलसी पूजन करने से होता है ये लाभ- 
ऐसी मान्यता है कि तुलसी के पौधे के पास किसी भी मंत्र-स्तोत्र आदि का पाठ करने से उसका अनंत गुना अधिक फल मिलता है.

भूत, प्रेत, पिशाच, ब्रह्मराक्षस, दैत्य आदि सब तुलसी के पौधे से दूर भागते हैं.

तुलसी पूजन से बुरे विचारों का नाश होता है.

पद्मपुराण के अनुसार तुलसी पत्ते से टपकता हुआ जल यदि मनुष्य अपने सिर पर लगता है तो इतना करने भर से उस मनुष्य को गंगास्नान और 10 गोदान का फल मिल जाता है.

तुलसी पूजन से रोग नष्ट हो जाते हैं और अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है.

तुलसी पूजन, तुलसी रोपण व तुलसी धारण से पाप नष्ट होते हैं.

तुलसी पूजन स्वर्ग और मोक्ष के द्वार खोलता है.

श्राद्ध और यज्ञ आदि कार्यों में तुलसी का एक पत्ता भी महान पुण्य देनेवाला होता है.

तुलसी के नाम उच्चारण मात्र से ही पुण्य की प्राप्ति होती है. मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं.

हिन्दू धर्म में पूजी जाने वाली तुलसी गंभीर बीमारियों के इलाज में कारगर अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक डॉ हृदयेश कुमार ने बताया कि  तुलसी को हिन्दू धर्म में पूजा जाता है  सिर्फ पौधे के रूप में नहीं बल्कि घर में भगवान के रूप में माना जाता है. इसके घर में होने से सकारात्मक ऊर्जा के साथ-साथ यह कई बीमारियों से लड़ने में भी मदद करती है. 

  घरों के आंगन और छतों पर मिलने वाली तुलसी हिंदू मान्यताओं के अनुसार पूजनीय होती है। लेकिन तुलसी सिर्फ एक पौधा ही नहीं है बल्कि इसका इस्तेमाल जड़ी-बूटी के तौर पर किया जाता है। तुलसी में बहुत रोगों से लड़ने की क्षमता होती है इसलिए इसे 'क्वीन ऑफ हर्ब्स' कहा जाता है। इस समय पूरी दुनिया में कोरोनावायरस फैला हुआ है तो उसको देखते हुए सभी लोग अपने-अपने स्तर पर इससे बचनेे के लिए प्रयास कर रहे हैं। लेकिन मेडिकल साइंस की मानें तो अगर किसी व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होगी, तो उसे किसी भी वायरस से लड़ने में मदद मिलेगी।

तुलसी से बढ़ती है रोग प्रतिरोधक क्षमता
तुलसी के बीजों में फ्लैवोनोइड्स और फेनोलिक शामिल होते हैं जो कि मानव के शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली को सुधारते हैं। तुलसी एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होती है जो कि शरीर में फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाती है। अगर आप इसकी पत्तियां चबाते हैं या फिर इससे हर्बल-टी बनाकर पीते हैं तो उससे शरीर को लाभ होता है। अगर किसी भी इंसान का इम्युनिटी सिस्टम स्ट्रॉन्ग है तो उसे बीमारियां कम लगती हैं और वह उनका मुकाबला कर लेता है।

जुकाम और सर्दी में दे राहत
वैसे तो सर्दी जुकाम बहुत आम बीमारी है, लेकिन इससे लोगों को अक्सर काफी परेशानी हो जाती है। तुलसी इंसान को सर्दी और जुकाम में भी राहत प्रदान करने का काम करती है। एंटीस्पास्मोडिक प्रभाव वाली तुलसी सर्दी और जुकाम से परेशान लोगों की मदद करती है। वहीं इसके सेवन से बुखार में भी राहत मिल सकती है।

पिंपल्स को करे खत्म
लड़कियों में पिंपल्स की बहुत ज्यादा परेशानी होती है और वह इससे अक्सर राहत चाहती हैं और कई तरह के उपाए करती रहती हैं। अगर आप भी पिंपल्स से परेशान हैं तो आप तुलसी के पत्तों और संतरे के छिलकों का पाउडर लें और उसमें गुलाब जल मिलाकर पेस्ट तैयार करें। इस पेस्ट को करीब 15 मिनट के लिए चेहरे लगा रहने दें और उसके बाद धो लें। इसके अलावा आप तुलसी के पत्तों का रस और चंदन पाउडर से पेस्ट बनाकर उसे भी चेहरे पर लगा सकती हैं। इस जिंदगी में कुछ लोग मानसिक परेशानियों से जूझ रहे होते हैं और उनमें स्ट्रेस रहने लगता है। कई बार जब दवाई से फायदा नहीं होता है तो कुछ घरेलू नुस्खे अपनाए जाते हैं। तुलसी के पत्तों में एंटी- स्ट्रेस एजेंट होते हैं जो कि इंसान के शरीर में मानसिक परेशानी और तनाव को ठीक करते हैं। इसी के साथ तुलसी के सेवन से स्ट्रेस की वजह से पैदा होने वाले नाकारात्मक विचारों से मुकाबले करने में भी मदद मिलती है।

कैंसर बहुत ज्यादा खतरनाक बीमारी है, लेकिन इसका इलाज भी आयुर्वेद में मौजूद है। हमारे घर में मौजूद तुलसी का पौधा इस बीमारी से लड़ने में मदद करता है। तुलसी में यूजेनॉल कंपाउंड पाया जाता है जो कि इंसान के शरीर में कैंसर से लड़ने में मददगार साबित होता है। कई रिसर्च में भी पाया गया है कि तुलसी कैंसर से लड़ने में मददगार रहती है। वहीं, जो लोग नियमित रूप से तुलसी का सेवन करते हैं तो उन्हें कैंसर होने की संभावना बहुत कम होती है।

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शाकाहारियों के लिए प्रोटीन का भंडार हैं ये खाद्य-पदार्थ

Posted on :12-Dec-2022
शाकाहारियों के लिए प्रोटीन का भंडार हैं ये खाद्य-पदार्थ

हम सभी इस बात से भली-भाँति अवगत हैं कि प्रोटीन हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। प्रोटीन हमारी संतुष्टता को बढ़ावा देता है, मांसपेशियों को मजबूत बनाता है और वजन भी घटाता है। 

हमारे शरीर का लगभग 17% वजन प्रोटीन से ही बढ़ता है। इसके अलावा, प्रोटीन नाखून, बाल, मांसपेशियों और आंतरिक अंगों का प्रमुख घटक है। जो लोग, वजन कम करना चाहते हैं या मांसपेशियों को मजबूत बनाना चाहते हैं, उच्च मात्रा में प्रोटीन का सेवन करने की कोशिश करें।

लेकिन शाकाहारियों के लिए समस्या उत्पन्न होती है क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके लिए प्रोटीन के कम स्रोत उपलब्ध हैं। ठीक है, हमारे पास आपके लिए कई लाभों से भरपूर और प्रोटीनयुक्त शाकाहारी स्त्रोतों का एक बड़ा हिस्सा है जो आपको आसानी से उपलब्ध हो जाएगा।

मसूर
मसूर न केवल प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत हैं बल्कि भूख बढ़ाने में भी कारगर है। यदि नियमित रूप से मसूर की दाल का सेवन किया जाए तो यह शरीर द्वारा आवश्यक दैनिक फाइबर का लगभग 50% प्रदान करती है। मसूर फोलेट और ऑयरन का एक उत्कृष्ट स्रोत है और इसका विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में उपयोग किया जा सकता है। मसूर के उपयोग से आप स्वास्थ्यवर्धक सूप और सलाद बना सकते हैं।

मांसपेशियों को मजबूत बनाने के अलावा, मसूर तंत्रिका तंत्र और आपके दिल के लिए फायदेमंद हैं। विटामिन सी से समृद्ध खाद्य पदार्थों में जब मसूर को शामिल किया जाता है, तो यह शरीर में प्रोटीन और ऑयरन के बेहतर अवशोषण में योगदान देता है। एंटीऑक्सीडेंट की उपस्थिति के कारण मसूर संक्रमण और कैंसर के इलाज में मददगार साबित होता है।

प्रोटीन: 1 कप मसूर की दाल में 18 ग्राम प्रोटीन होता है।

मटर
मटर प्रोटीन के अलावा कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, पोटेशियम, फोलेट, ऑयरन, फास्फोरस और कई अन्य जटिल यौगिकों का एक उत्कृष्ट स्रोत है। ऐसा माना जाता है कि मटर का सेवन कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर सकता है, ब्लड में शुगर की मात्रा को नियंत्रित कर सकता है और रक्तचाप भी कम कर सकता है। मटर पेट की वसा को कम करके आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय रखता है।
प्रोटीन: 100 ग्राम मटर में लगभग 8 ग्राम प्रोटीन होता है।

बादाम
बादाम प्रोटीन, स्वस्थ वसा, विटामिन ई, फाइबर और मैग्नीशियम का समृद्ध स्रोत हैं। बादाम रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) और कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी सहायक है। बादाम एक व्यक्ति की भूख को कम करके वजन घटाने में भी सहायक होते हैं। चूंकि बादाम विटामिन ई में समृद्ध होते हैं, इसलिए यह आंखों और बालों के लिए भी अच्छा होता है।

प्रोटीन: 100 ग्राम बादाम में 21 ग्राम प्रोटीन होता है।

पालक
पालक, भोजन में प्रयोग होने पर, व्यंजन को काफी स्वादिष्ट बनाने में सहायक हो सकता है। पालक को कच्चा खाने से आप अधिक पोषण प्राप्त कर सकते हैं। पालक कैल्शियम के अवशोषण को सुविधाजनक बनाने और भोजन में विटामिन की मात्रा को बनाए रखने में मददगार होता है।

प्रोटीन: 100 ग्राम पालक में 2.9 ग्राम प्रोटीन होता है।

टोफू
प्लांट बेस्ड डाइट में टोफू प्रोटीन के सबसे समृद्ध स्रोतों में से एक है। टोफू के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि इसे पका कर या फिर कच्चा भी खा सकते हैं। आप टोफू को हल्का तलकर, सेंककर, नमकीन तरीके से या फिर टोफू को ग्रिल करके ये कोई भी विकल्प चुन सकते हैं। किसी भी व्यंजन में इसको डालने से उसका स्वाद काफी बढ़ जाता है। टोफू कई व्यंजनों के लिए एक अद्भुत मांस विकल्प है। टोफू में ऑयरन और कैल्शियम की उच्च मात्रा होती है।
प्रोटीन: 100 ग्राम टोफू में लगभग 15 ग्राम प्रोटीन होता है।

फ्लैक्स सीड (अलसी)
अलसी के बीज छोटे सुनहरे भूरे रंग के होते हैं जो फाइबर, प्रोटीन और ओमेगा 3 फैटी एसिड से युक्त होते हैं। ये प्रोटीन का स्त्रोत हैं और साथ ही उपयोग करने के लिए बहुत ही फायदेमंद और अनेक गुणों वाले हैं। इन्हें किसी भी पकवान में ऊपर से डाला जा सकता है या कुरकुरा फ्राइ करने के बाद भी खाया सकता है। शरीर को पौष्टिक बढ़ावा देने के लिए इन बीजों का उपयोग किसी भी नाश्ते, पेय पदार्थ या मिठाइयों में भी किया जा सकता है।

प्रोटीन: 100 ग्राम फ्लेक्स सीड में 10 ग्राम प्रोटीन की मात्रा होती है।

बीन्स
बीन्स का उपयोग सलाद, बर्गर और हल्के नाश्ते वाली चीजों जैसे पोहा तथा उपमा को बनाने में किया जाता है। ये प्रोटीन में समृद्ध है और पोषण की एक अच्छी मात्रा प्रदान करती हैं तथा दिल, मांसपेशियों और मस्तिष्क के लिए भी बहुत फायदेमंद हैं। फाइबर से समृद्ध होने के नाते, ये कोलेस्ट्रॉल को कम करने और पाचन को बढ़ावा देने में भी सहायक हैं। एक विस्तृत विविधता होने के कारण पूरे सप्ताह इनका उपभोग किया जा सकता है।

प्रोटीन: 100 ग्राम बीन्स में लगभग 8 ग्राम प्रोटीन होती है।

ओट्स
ओट्स आपको अपने आहार में प्रोटीन की पूर्ति करने के लिए एक आसान और स्वादिष्ट तरीका प्रदान करता है। इसका उपयोग नाश्तें में या मिठाई में भी किया जा सकता है। ओट्स को पूरी तरह से अनाज के रूप में जाना जाता है क्योंकि उसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा की एक संतुलित मात्रा पाई जाती है। ओट्स विभिन्न प्रकारों जैसे एनर्जी बॉर या रॉ ओट्स या मसाला ओट्स में उपलब्ध हैं। एक प्रोटीन समृद्ध और स्वस्थ नाश्ता प्राप्त करने के लिए अपने नाश्ते में ओट्स का उपयोग करें।

प्रोटीन: 100 ग्राम ओट्स में 11 ग्राम प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है।

दही
यदि आप अपना वजन कम करने के साथ-साथ अपने शरीर में प्रोटीन की मात्रा को भी बढ़ाना चाहते हैं, तो आपके आहार में दही बहुत ही आवश्यक है। दही का उपयोग बिना चीनी के ही करना चाहिए क्योंकि दही में पायी जाने वाली सुगर की मात्रा ही इसमें मीठा स्वाद लाने के लिए पर्याप्त है। इसमें भूख को रोंकने की क्षमता होती है जिससे आपको पेट भरा हुआ लगता है। आप अपने दही में प्राकृतिक मीठापन प्राप्त करने के लिए इसके साथ किसी फल का उपयोग भी कर सकते हैं।

प्रोटीन: 100 ग्राम दही में 11 ग्राम प्रोटीन होती है।

पीनट बटर
पीनट बटर का सेवन आपको कई बीमारियों से बचा सकता है। यदि आप सादे मक्खन की जगह पीनट बटर का प्रयोग करते हैं तो यह वजन कम करने में सहायक हो सकता है लेकिन यदि आप इसका अधिक मात्रा में सेवन करते हैं तो यह आपकी कमर को मोटा कर सकता है। पीनट बटर पोषण से भरपूर होता है और यदि आप कम मात्रा में ही इसका सेवन करें तो यह आपकी सेहत के लिए अच्छा है। इससे अधिक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए बिना नमक, बिना चीनी के नॉन-हाइड्रोजनेटेड चीजों का उपयोग करें।

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सभी बीमारियों का इलाज रसोई घर में उपलब्ध है -डॉ हृदयेश कुमार

Posted on :08-Dec-2022
सभी बीमारियों का इलाज रसोई घर में उपलब्ध है -डॉ हृदयेश कुमार

अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक डॉ हृदयेश कुमार का कहना है कि अधिकतर लोग भौतिकवाद की चमक दमक में अनेकों बीमारियां पाल लेते हैं  और जितना कमाते हैं उससे ज्यादा अस्पतालों में डॉक्टरों को दे देते हैं  

डॉ हृदयेश कुमार का कहना है कि प्रदूषण इतना बढ़ चुका है कि शुद्ध ऑक्सीजन भी फेफड़ों को नहीं मिल पा रही है खुली हवा में स्वास भी नहीं ले पा रहा हैं दिन रात कमाई के चक्कर में लगे हुए हैं लेकिन फिर भी खर्चे पूरे नहीं हो रहे हैं यदि बीमारियों से बचना है तो खानपान तथा रहन-सहन का विशेष ध्यान रखना होगा फ्रिज और एसी से दूर रहकर स्वस्थ रहा जा सकता है लेकिन सुनने में तो ठीक लगता है पर व्यावहारिक तौर पर लोग कर नहीं पाते हैं यही कारण है कि अधिकतर लोग बीमारियों से ग्रसित रहते हैं

 स्वस्थ रहने के लिए कुछ टिप्स दिए हैं खांसी - अदरक का रस निकालकर गुड़ मिलाकर गर्म करके पीने से खांसी ठीक हो जाती है
 ज्यादा खांसी-  तुलसी का रस निकालकर शहद के साथ लेने से खांसी ठीक हो जाती है
 बुखार -दालचीनी का पाउडर और तुलसी का काढ़ा बनाकर पीने से बुखार ठीक हो जाता है
 खांसी जुखाम-  दूध में हल्दी को खूब उबालकर पीने से सर्दी जुकाम ठीक हो जाता है
 दस्त - पानी के साथ जीरे की फंकी लें और जीरा को चबाकर खाने से दस्त बंद हो जाते हैं
 कच्चे दूध में नींबू ने निचोड़कर पीने से दस्त एक ही बार में बंद हो जाते हैं 
थकावट - दूध को गुड़ के साथ पीने से थकावट दूर हो जाती है और नींद भी अच्छी आती है
 कफ कोल्ड- रम की कुछ बूंद बूंद उम्र के अनुसार गर्म पानी में लेने से कफ कोल्ड खत्म हो जाता है
 छाती भारी- रम को सरसों के तेल के साथ छाती पर मलने से छाती में भारीपन खत्म हो जाता है
 पेट दर्द - अजवाइन की फंकी लेने से पेट दर्द ठीक हो जाता है 
सही मात्रा में सही समय पर रसोई घर की चीजों को प्रयोग में लाने से बीमारी पास नहीं आती है

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अखबार पर मत खाना – ऐसा हो जायेगा हाल डॉ हृदयेश कुमार...

Posted on :14-Nov-2022
अखबार पर मत खाना – ऐसा हो जायेगा हाल डॉ हृदयेश कुमार...

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अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक 

डॉ हृदयेश कुमार ने स्वास्थ के लिये किया जागरुक 

अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक 

डॉ हृदयेश कुमार ने स्वास्थ के लिये किया जागरुक 

फरीदाबाद : अक्सर लोग खाना अखबार पर रखकर खाते हैं। लेकिन आप अपनी सुरक्षा के लिए सावधान रहें। खतरनाक बीमारियां इनसे निकलने वाले खतरनाक बायोएक्टिव तत्वों के कारण हो सकती हैं। बिना सोचे समझे अखबार में खाना लपेट कर अखबार पर ही खा लेते हैं। लेकिन क्या आप इसके दुष्परिणामों के बारे में जानते हैं। अखबार में खाना पैक करना या अखबार में खाना खाना सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकता है  सफर और खोमचे पर होता है ज्यादा इस्तेमाल यानी फूड सेफ्टी एंड स्टैन्डर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने भी कई बार ये बात कही है कि अखबार में लिपटा खाना स्वास्थ के लिए हानिकारक है। अखबार की छपाई में इस्तेमाल होने वाली स्याही का सेवन करने से जिस केमिकल को आप खा जाते हैं, उससे सबसे पहले पाचन संबंधी समस्याएं होती हैं. इन केमिकल्‍स से हार्मोंस भी प्रभावित होते हैं.अखबार में लिपटा ऑयली खाना और भी खतरनाक हो जाता है. इससे चिपककर जो हानिकारक तत्‍व पेट में जाते हैं, उनसे मूत्राशय और फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण लोगों को समय-समय पर स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करता रहता है। खाना कितना भी स्वस्थ और साफ क्यों न हो, लेकिन अखबार के संपर्क में आते ही यह हानिकारक हो जाता है और हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। अखबारों को छापने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली स्याही में कई खतरनाक बायोएक्टिव पदार्थ होते हैं, जो हमारे शरीर पर बहुत बुरा प्रभाव डालते हैं। ऐसे में अगर आप भी जल्दबाज़ी या लापरवाही में ऎसी गलती करते हैं तो आज ही सावधान हो जाइये क्योंकि जान है तो जहान है।

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प्रदूषण से आंखों को बचाना जरूरी...

Posted on :10-Nov-2022
प्रदूषण से आंखों को बचाना जरूरी...

बाहर से आने के बाद आंखों को सीधे न छुएं, हाथ बार-बार धोते रहें

रायपुर : आंख हमारे शरीर का बहुत नाजुक व महत्वपूर्ण अंग है। यह शरीर के अन्य हिस्सों की तुलना में वायु प्रदूषण के प्रति अधिक संवेदनशील होता है। वायु प्रदूषण का आंखों पर दुष्प्रभाव बिना किसी लक्षण से लेकर गंभीर जलन और पुराने दर्द तक हो सकता है। कॉन्टैक्ट लेंस के उपयोग के बावजूद आंखें इन दुष्प्रभावों के प्रति संवेदनशील होती हैं। वायु प्रदूषण फेफड़ों, हृदय और हड्डियों सहित हमारे लगभग सभी अंगों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।

लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से आंखों का सामान्य स्वास्थ्य और दृष्टि क्षमता भी खराब हो रही है। यदि आंखें नियमित रूप से प्रदूषित वायु के संपर्क में रहती हैं, तो ड्राई आई सिंड्रोम, आंखों में पानी व जलन और धुंधली दृष्टि जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के खतरनाक रूप से उच्च स्तर पर पहुंचने से यह हमारी आंखों को बहुत ही गंभीर रूप से प्रभावित करता है। यह हमारी आंखों के स्वास्थ्य और इनकी रोशनी या दृष्टि के लिए गंभीर जोखिम पैदा करता है।

वायु प्रदूषण के संपर्क से आंखें इस तरह से हो सकती हैं प्रभावित

वायु प्रदूषण से मुख्य रूप से आंखों में लाली और जलन, आंखों से पानी बहना, आंखों में खुजली, डिस्चार्ज, आंखों में सूजन और आंखें खोलने में कठिनाई के साथ एलर्जी, आंखों में सूखेपन का रोग या ड्राई आई डिसीज जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इन लक्षणों में से कोई भी लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

प्रदूषण से आंखों को बचाना जरूरी

अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया कि कुछ निवारक क्रियाओं जैसे धूप का चश्मा पहनने और वायुजनित दूषित पदार्थों के साथ आंखों के संपर्क को सीमित करने से आंखों को होने वाले नुकसान से बचाने में मदद मिल सकती है। आई ड्राप आंखों को चिकनाई देने और जलन को दूर रखने में सहायक हो सकते हैं।

डॉ. मिश्रा ने बताया कि आंखों के संक्रमण के जोखिम को कम करने ज्यादा प्रदूषण के दिनों में आंखों की सुरक्षा का विशेष खयाल रखना चाहिए। कोशिश करें कि बाहर से आने के बाद अपनी आंखों को सीधे न छुएं और बार-बार हाथ धोते रहें। किसी भी बीमारी या प्रतिकूल परिस्थिति से लड़ने के लिए फिट रहना बहुत ज़रूरी है। आंखों की अच्छी सेहत के लिए जरूरी पोषक तत्व जैसे विटामिन 'ए', प्रोटीन एवं ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर आहार लें। हरी पत्तेदार सब्जियां, पालक, बादाम, जामुन, गाजर और मछली आंखों के लिए काफी फायदेमंद हैं। इनका नियमित रूप से सेवन करना चाहिए।

 

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जिला संघ रायपुर को मिलेगा एक लाख की स्काऊट ड्रेस मंत्री टेकाम ने की घोषणा...

Posted on :08-Nov-2022
जिला संघ रायपुर को मिलेगा एक लाख की स्काऊट ड्रेस मंत्री टेकाम ने की घोषणा...

कोरोना काल में स्काउट गाइड द्वारा किए गए कार्य सराहनीय --सत्यनारायण शर्मा

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रायपुर : भारत स्काउट गाइड के स्थापना दिवस पर रायपुर जिला स्काउट गाइड द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया था जिसमें कार्यक्रम का संचालन भारत स्काउट गाइड के जिला आयुक्त डॉ सुरेश शुक्ला ने किया कार्यक्रम में सबसे पहले पहुंचे हुए अतिथियों का स्वागत भारत स्काउट गाइड के बच्चों द्वारा बैंड के माध्यम से मंच तक पहुंचा कर किया गया तत्पश्चात सर्वधर्म प्रार्थना का आयोजन हुआ कार्यक्रम में पहुंचे मंत्री श्री डॉक्टर प्रेमसाय  टेकाम ने कहा कि जीवन में अनुशासन प्रगति का मूल कारक है स्काउट हमे अनुशासन स्वयं जनसेवा का मार्ग दिखाता है और यही मार्ग में चलकर हम सफलता को हासिल करते हैं उन्होंने कहा कि भारत स्काउट गाइड की स्थापना पश्चात छत्तीसगढ़ राज्य में स्काउट ने अपना एक उच्च स्थान हासिल किया है जिसमें रायपुर जिला संघ  की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

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ग्रामीण विधायक एवं भारत स्काउट्स एवं गाइड्स के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री सत्यनारायण शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य के अस्तित्व में आते ही भारत स्काउट गाइड छत्तीसगढ़ की स्थापना के तत्काल बाद रायपुर जिला संघ के द्वारा अंतरराष्ट्रीय जंबूरी का आयोजन जिला संघ रायपुर की सक्रियता को दर्शाता है।चाहे वह कोरोना काल की बात हो या फिर पर्यावरण का संदेश देते वृक्षारोपण की बात हो ,यातायात व्यवस्था की बात हो हर किसी क्षेत्र में रायपुर जिला संघ का उल्लेखनीय योगदान रहा है 21 दिन मे पच्चीस लाख राशि का सूखा राशन वितरण करोना काल में किया जाना रायपुर जिला संघ की उपलब्धि रही है जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष श्री पंकज शर्मा ने उपस्थित स्काऊट गाइड के बच्चों को स्काऊट से जुड़कर  समाज सेवा में अग्रणी भूमिका निभाने की बात कही। वही जिला मुख्य आयुक्त डॉ सुरेश शुक्ला ने जिला संघ के द्वारा किए गए कार्यों का विवरण देते हुए , शिक्षा मंत्री डॉक्टर टेकाम के द्वारा एक लाख राशि का स्काउट की ड्रेस जिला संघ को देने की घोषणा का स्वागत करते हुए आभार व्यक्त किया |

इस अवसर पर जिला संघ रायपुर के राज्यपाल पुरस्कृत स्काऊट गाइड को प्रमाण पत्र शिक्षा मंत्री ने वितरित किया। जिला संघ के उपाध्यक्ष अजय तिवारी ने आभार प्रदर्शन करते हुए कहा कि डाक्टर टेकाम एवं श्री सत्यनारायण शर्मा का हमेशा योगदान सहयोग रायपुर जिला संघ को रहा है और भविष्य में भी उनका आशीर्वाद सहयोग मिलता रहेगा। इस अवसर पर उपाध्यक्ष गायत्री सिंह, अध्यक्ष जी स्वामी, अपर संचालक शिक्षा जेपी रथ ,ओएसडी माननीय शिक्षा मंत्री श्री बंजारा जी ,राज्य सचिव कैलाश सोनी, जिला शिक्षा अधिकारी आर एल ठाकुर, निजी महाविद्यालय संघ के, सिद्धार्थ दास, राजेश मिश्रा, अखिलेश आमदे, गोवर्धन साहू, मृत्युंजय शुक्ला, गोपाल वर्मा ,बीपी वर्मा ,अभिलाषा शुक्ला ,कुसुम त्रिपाठी, सीमा पांडे ,अग्रवाल मैडम, लीना वर्मा कंचन लता यादव, रोहित कुमार वर्मा, दीपक ध्रुवंशी, जी साई कृष्णा, बालक दास राउत , डिग्री लाल पटेल,नमन साहू , दिनेश देवांगन ,लक्ष्मी नारायण पटेल ,जामवंत पटेल ,आशा जाधव ,दुर्गा यादव ,अनिता विश्वकर्मा ,आदि उपस्थित थे।

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डॉ. एमपी सिंह ने लोगों को कैंसर के प्रति जागरूक किया

Posted on :27-Oct-2022
डॉ. एमपी सिंह ने लोगों को कैंसर के प्रति जागरूक किया

एकलव्य इंस्टिट्यूट में कैंसर जागरूकता कार्यक्रम संपन्न - डॉ एमपी सिंह 

अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट की तरफ से एकलव्य इंस्टिट्यूट में कैंसर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया  जिसमें देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि गुटका पान तंबाकू कैंसर ही नहीं बल्कि नपुंसकता का भी कारक है इसलिए हमें गुटका पान तंबाकू नहीं खाना चाहिए 

डॉ एमपी सिंह ने कहा कि यह एक धीमा जहर है जो धीरे-धीरे आप के सभी अंगों को नुकसान पहुंचाता है अगर आप इस नशे के शौकीन हैं तो बिल्कुल छोड़ दें क्योंकि पहले इसका प्रयोग घोड़े के पेट में कीड़ों को मारने के लिए किया जाता था लेकिन आज अधिकतर भारतीय लोग अपने गम को कम करने और दूसरों को नीचा दिखाने के लिए इसका प्रयोग कर रहे हैं इसके सेवन से प्रतिवर्ष लगभग एक लाख लोग मारे जा रहे हैं

 डॉ एमपी सिंह ने कहा कि इसके सेवन से मुंह गला कंठ नली खाद्य नली पेनक्रियाज फेफड़ा गुर्दा और मूत्राशय का कैंसर हो जाता है 
सांस लेने में तकलीफ होती है 
पुरुषों में नपुंसकता आ जाती है
 महिलाओं में जनन क्षमता में कमी हो जाती है
 आंखों के पास झुर्रियां पढ़ जाती हैं
 सांस में बदबू आने लगती है
  घर में धूम्रपान करने से बच्चों में निमोनिया और अस्थमा हो जाता है
 एक सिगरेट पीने से 14 मिनट उम्र घट जाती है
 दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है 
सामान्य व्यक्ति की तुलना में 60 फ़ीसदी अधिक बीमारी का खतरा बढ़ जाता है 
ब्रेन हेमरेज हो सकता है
 लकवा मार सकता है
 हृदय आघात हो सकता है 
उक्त रक्तचाप और अल्सर हो सकता है 
हड्डियां कमजोर हो जाती हैं
 रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है जिसकी वजह से बार-बार संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है

 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि अधिकतर लोग तंबाकू खाने की वजह से इधर उधर थूकते रहते हैं जबकि सार्वजनिक स्थानों पर थूकना मना होता है और ₹500 से लेकर ₹2000 तक का जुर्माना भी भरना पड़ सकता है कई बार बेज्जती को भी सहन करना होता है अधिकतर घरों में इसको पसंद नहीं किया जाता है इसकी वजह से घर में कल है और क्लेश रहता है जिसकी वजह से कुछ लोग इससे छुटकारा भी पाना चाहते हैं 

छुटकारा पाने के लिए डॉ एमपी सिंह ने टिप्स देते हुए कहा कि अजवाइन और सौंफ को तवे पर थोड़ा भून कर सेंधा नमक और काली मिर्च अपने स्वाद के अनुसार मिलाकर बार-बर खाते रहना चाहिए इससे आप का पाचन तंत्र ठीक हो जाता है और शरीर का खून भी साफ हो जाता है 
 मिश्री लॉन्ग दालचीनी आदि के प्रयोग से भी लत छूट जाती है 
इसमें धीरे-धीरे घुट घुट कर क पानी  पीना चाहिए
 योग व मेडिटेशन करना चाहिए
 किसी ऐसे व्यक्ति के पास चला जाना चाहिए जो तंबाकू गुटका का  उपयोग नहीं करते हैं 
विल पावर को स्ट्रांग करना चाहिए

 डॉ एमपी सिंह ने बताया कि भारत में चौंकाने वाले आंकड़े हैं इसमें 50% पुरुष और 20% महिलाएं कैंसर की शिकार हैं जिसमें से 90% मुंह का कैंसर और 90% फेफड़ों का कैंसर धूम्रपान के कारण है
 धूम्रपान करने और तंबाकू खाने की वजह से मसूड़े क्षतिगस्त हो जाते हैं 
 दांत काले होने के साथ-साथ टूटने लगते हैं
 बैक्टीरिया व वायरस मुंह के अंदर जाकर गंभीर रोग पैदा कर देते हैं 

डॉ एमपी सिंह का कहना है कि पान मसाला एवं गुटखा व्यक्ति विशेष के लिए नहीं बल्कि सरकार के लिए भी नुकसानदायक है क्योंकि इन उत्पादों से सरकार को जो आए होती है उससे 3 गुना ज्यादा सरकार का कैंसर रोगियों पर खर्चा  हो जाता है इसलिए सरकार को इसके बारे में सोचना चाहिए

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दीवाली पर पटाखे जलाते समय रखें सावधानी... लापरवाही से हो सकती है दुर्घटना

Posted on :24-Oct-2022
दीवाली पर पटाखे जलाते समय रखें सावधानी... लापरवाही से हो सकती है दुर्घटना

'द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा' से साभार 

रोशनी के त्योहार दीवाली पर पटाखों की रौनक न दिखे तो त्योहार अधूरा सा लगता है। बच्चों के साथ बड़ों को भी दीपावली में फूलझड़ी और पटाखें जलाने में बेहद आनंद आता है। पटाखें जलाते समय बच्चों का खास ध्यान रखना जरूरी है। असावधानीवश कई बार पटाखों और फूलझड़ी से बच्चों के हाथ जल जाते हैं। अगर जली हुई जगह का तुंरत उपचार नहीं किया जाए तो परेशानी बढ़ सकती है। दीवाली के दिन अगर आप भी पटाखें और फुलझड़ी जला रहे हैं तो सावधानी के साथ जलाएं। लापरवाही या दुर्घटनावश अगर किसी का हाथ जल जाए तो तुरंत घर में ही प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टर के पास जाएं।

शरीर के किसी अंग के जलने पर इसका दो तरह का प्रभाव होता है। सुपरफिशल बर्न में जलने के बाद छाला हो जाता है, जबकि डीप बर्न में शरीर का जला हिस्सा सुन्न हो जाता है। अगर जले हुए हिस्से पर दर्द या जलन हो रही है तो इसका मतलब हालत गंभीर नहीं है। ऐसे में जले हुए हिस्से को पानी की धार के नीचे तब तक रखें जब तक जलन कम न हो जाए। इससे न सिर्फ दर्द कम होगा, बल्कि छाले भी नहीं होंगे। जले हुए हिस्से पर बरनॉल न लगाएं, बल्कि उस पर ऑलिव आइल लगाएं। इसके बाद भी अगर लगातार जलन या दर्द हो रहा हो तो तुरंत बिना देरी के डॉक्टर के पास जाएं। 

अक्सर देखा जाता है कि लोग जल जाने के बाद बरनॉल, टूथपेस्ट, नीली दवा आदि लगा लेते हैं। इससे उस वक्त तो जलन खत्म हो जाती है, लेकिन ये सब लगाने से जला हुआ हिस्सा रंगीन हो जाता है जिससे डॉक्टर को पता नहीं चल पाता कि जला हुआ हिस्सा कैसा है? जले हुए हिस्से को कम से कम 15 मिनट तक या जब तक कि जलन बंद न हो जाए, ठंडे पानी में रखना चाहिए। यदि घायल हिस्से को पानी के नीचे लाना कठिन हो, तो साफ, मुलायम कपड़े को ठंडे पानी मे भिगोएं और घायल हिस्से पर इसे रखें, लेकिन रगड़ें नहीं। इससे शरीर के ऊतकों की गर्मी को बाहर करने में मदद मिलेगी। ऐसा करने से आगे और नुकसान नहीं होगा और यह दर्द को भी कम करेगा। दीवाली हर्षोल्लास का त्योहार है, लेकिन थोड़ी सी लापरवाही से आपकी खुशियों पर ग्रहण लग सकता है। इसलिए सुरक्षित ढंग से यह त्योहार मनाएं। 

दीवाली पर पटाखे जलाते समय इन बातों का रखें ध्यान

हमेशा खुले मैदान या खुले स्थान पर ही पटाखे जलाएं। पटाखा जलाने से पहले आसपास देख लें कि कोई आग फैलाने वाली या फौरन आग पकड़ने वाली वस्तु तो वहां नहीं है। जितनी दूर तक पटाखे की चिंगारी जा सकती है, उतनी दूरी तक छोटे बच्चों को न आने दें। पटाखा जलाने के लिए अगरबत्ती या लकड़ी का इस्तेमाल करें ताकि पटाखे से आपके हाथ दूर रहें और जलने का खतरा न हो। रॉकेट जैसे पटाखे जलाते वक्त यह देख लें कि उसकी नोक खिड़की, दरवाजे या किसी खुली बिल्डिंग की तरफ न हो। यह दुर्घटना का कारण बन सकता है। पटाखे जलाते वक्त पैरों में जूते-चप्पल जरूर पहनें। अकेले पटाखे जलाने के बजाय सबके साथ मिलकर पटाखे जलाएं जिससे आपात स्थिति में लोग आपकी मदद कर सकें।

 

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भारत में बढ़ रही है मानसिक रोगियों की संख्या... बहुत ही गंभीर विषय है :डॉ हृदयेश कुमार

Posted on :12-Oct-2022
भारत में बढ़ रही है मानसिक रोगियों की संख्या... बहुत ही गंभीर विषय है :डॉ हृदयेश कुमार

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मानसिक रोगियों की इतनी बड़ी संख्या के बावजूद भी अब तक भारत में इसे एक रोग के रूप में पहचान नहीं मिल पाई है ये बहुत ही गंभीर विषय है डॉ हृदयेश कुमार 

अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्टिय अध्यक्ष डॉ एम पी सिह के अथक प्रयासों से एक वर्ष के शोध मे सामने आया  है कि भारत में बढ़ रही है मानसिक रोगियों की संख्या

मानसिक रोगियों की इतनी बड़ी संख्या के बावजूद भी अब तक भारत में इसे एक रोग के रूप में पहचान नहीं मिल पाई है, आज भी यहाँ मानसिक स्वास्थ्य की पूर्णत उपेक्षा की जाती है और इसे काल्पनिक माना जाता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, तकरीबन 7.5 प्रतिशत भारतीय किसी-न-किसी रूप में मानसिक विकार से ग्रस्त हैं। साथ ही WHO के अनुमान के अनुसार, वर्ष 2020 तक भारत की लगभग 20 प्रतिशत आबादी मानसिक रोगों से पीड़ित होगी। मानसिक रोगियों की इतनी बड़ी संख्या के बावजूद भी अब तक भारत में इसे एक रोग के रूप में पहचान नहीं मिल पाई है,  जबकि सच्चाई यह है कि जिस प्रकार शारीरिक रोग हमारे लिये हानिकारक हो सकते हैं उसी प्रकार मानसिक रोग भी हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य में हमारा भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कल्याण (social welfare) शामिल होता है। यह हमारे सोचने, समझने, महसूस करने और कार्य करने की क्षमता को प्रभावित करता है।गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) (WHO) अपनी स्वास्थ्य की परिभाषा में शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी शामिल करता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वर्ष 2020 तक अवसाद (Depression) दुनिया भर में दूसरी सबसे बड़ी समस्या होगी।कई शोधों में यह सिद्ध किया जा चुका है कि अवसाद, ह्रदय संबंधी रोगों का मुख्य कारण है।मानसिक बीमारी (Mental diseases) कई सामाजिक समस्याओं जैसे- बेरोज़गारी, गरीबी और नशाखोरी आदि को जन्म देती है।

WHO (WHO) के अनुसार, भारत में मानसिक रोगों से पीड़ित लोगों की सबसे अधिक संख्या मौजूद है।आँकड़े बताते हैं कि भारत में 15-29 वर्ष की आयु वर्ग के लोगों की मृत्यु का सबसे बड़ा कारण आत्महत्या है।उपरोक्त तथ्यों के आधार पर यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि भारत एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य महामारी की ओर बढ़ रहा है (mental health epidemic)।

भारत (India) में मानसिक स्वास्थ्यकर्मियों की कमी भी एक महत्त्वपूर्ण विषय है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वर्ष 2011 में भारत में मानसिक स्वास्थ्य विकार से पीड़ित प्रत्येक 100,000 रोगियों के लिये 0.301 मनोचिकित्सक और 0.07 मनोवैज्ञानिक थे।

साथ ही वर्ष 2011 की जनगणना आँकड़ों से पता चलता है कि मानसिक रोगों से ग्रसित तकरीबन 78.62 फीसदी लोग बेरोज़गार हैं। मानसिक विकारों के संबंध में जागरूकता की कमी भी भारत के समक्ष मौजूद एक बड़ी चुनौती है।

अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक  डॉ हृदयेश कुमार ने चिन्ता 
जाहिर करते हुए कहा कि भारत देश में जागरूकता की कमी और अज्ञानता के कारण लोगों द्वारा किसी भी प्रकार के मानसिक स्वास्थ्य विकार से पीड़ित व्यक्ति को ‘पागल’ ही माना जाता है एवं उसके साथ उसकी इच्छा के विरुद्ध जानवरों जैसा बर्ताव किया जाता है।भारत में मानसिक रूप से बीमार लोगों के पास या तो देखभाल की आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हैं और यदि सुविधाएँ हैं भी तो उनकी गुणवत्ता अच्छी नहीं है।

आँकड़े दर्शाते हैं कि भारत में महिलाओं की आत्महत्या दर (suicide rate) पुरुषों से काफी अधिक है। जिसका मूल घरेलू हिंसा, छोटी उम्र में शादी, युवा मातृत्व और अन्य लोगों पर आर्थिक निर्भरता आदि को माना जाता है। महिलाएँ मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से पुरुषों की अपेक्षा अधिक संवेदनशील होती हैं। परंतु हमारे समाज में यह मुद्दा इस कदर सामान्य हो गया है कि लोगों द्वारा इस पर ध्यान ही नहीं दिया जाता।

भारत में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी विकारों से जुड़ी सामाजिक भ्रांतियाँ भी एक बड़ी चुनौती है। उदाहरण के लिये भारत में वर्ष 2017 तक आत्महत्या को एक अपराध माना जाता था और IPC के तहत इसके लिये अधिकतम 1 वर्ष के कारावास का प्रावधान किया गया था। जबकि कई मनोवैज्ञानिकों ने यह सिद्ध किया है कि अवसाद, तनाव और चिंता आत्महत्या के पीछे कुछ प्रमुख कारण हो सकते हैं।


ध्यातव्य है कि मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों को संबोधित करने के लिये भी भारत के पास आवश्यक क्षमताओं की कमी है। आँकड़े बताते हैं कि वर्ष 2017 में भारत की विशाल जनसंख्या के लिये मात्र 5,000 मनोचिकित्सक (psychiatrists) और 2,000 से भी कम ​​मनोवैज्ञानिक (psychologists) मौजूद थे।

मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों को ठीक ढंग से संबोधित न किये जाने के कारण अर्थव्यवस्था को भी काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है। इससे न केवल देश की मानव पूंजी को नुकसान होता है बल्कि प्रभावित व्यक्ति की आर्थिक स्थिति भी खराब हो जाती है, क्योंकि इस रोग के इलाज की जो भी सुविधाएँ उपलब्ध हैं वे अपेक्षाकृत काफी महँगी हैं।

WHO के अनुसार, मानसिक स्वास्थ्य (mental health) विकारों का सर्वाधिक प्रभाव युवाओं पर पड़ता है और चूँकि भारत की अधिकांश जनसंख्या युवा है इसलिये यह एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आता है।यदि कोई व्यक्ति एक बार किसी मानसिक रोग से ग्रसित हो जाता है तो जीवन भर उसे इसी तमगे के साथ जीना पड़ता है, चाहे वह उस रोग से मुक्ति पा ले। आज भी भारत में इस प्रकार के लोगों के लिये समाज की मुख्य धारा से जुड़ना काफी चुनौतीपूर्ण होता है।

मानसिक विकारों (mental disorders) और लक्षणों के संबंध में जागरूकता की कमी के कारण अक्सर रोगी और समाज के अन्य लोगों के बीच एक अंतर उत्पन्न हो जाता है और रोगी को सामाजिक अलगाव का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण उसकी स्थिति और खराब हो सकती है।

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तंबाकू कैंसर ही नहीं बल्कि नपुंसकता का भी कारक है... डॉ. एमपी सिंह

Posted on :12-Oct-2022
तंबाकू कैंसर ही नहीं बल्कि नपुंसकता का भी कारक है... डॉ. एमपी सिंह

एकलव्य इंस्टिट्यूट में कैंसर जागरूकता कार्यक्रम संपन्न - डॉ एमपी सिंह 

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अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट की तरफ से एकलव्य इंस्टिट्यूट में कैंसर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया  जिसमें देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि गुटका पान तंबाकू कैंसर ही नहीं बल्कि नपुंसकता का भी कारक है इसलिए हमें गुटका पान तंबाकू नहीं खाना चाहिए 

डॉ एमपी सिंह ने कहा कि यह एक धीमा जहर है जो धीरे-धीरे आप के सभी अंगों को नुकसान पहुंचाता है अगर आप इस नशे के शौकीन हैं तो बिल्कुल छोड़ दें क्योंकि पहले इसका प्रयोग घोड़े के पेट में कीड़ों को मारने के लिए किया जाता था लेकिन आज अधिकतर भारतीय लोग अपने गम को कम करने और दूसरों को नीचा दिखाने के लिए इसका प्रयोग कर रहे हैं इसके सेवन से प्रतिवर्ष लगभग एक लाख लोग मारे जा रहे हैं

 डॉ एमपी सिंह ने कहा कि इसके सेवन से मुंह गला कंठ नली खाद्य नली पेनक्रियाज फेफड़ा गुर्दा और मूत्राशय का कैंसर हो जाता है 
सांस लेने में तकलीफ होती है 
पुरुषों में नपुंसकता आ जाती है
 महिलाओं में जनन क्षमता में कमी हो जाती है
 आंखों के पास झुर्रियां पढ़ जाती हैं
 सांस में बदबू आने लगती है
  घर में धूम्रपान करने से बच्चों में निमोनिया और अस्थमा हो जाता है
 एक सिगरेट पीने से 14 मिनट उम्र घट जाती है
 दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है 
सामान्य व्यक्ति की तुलना में 60 फ़ीसदी अधिक बीमारी का खतरा बढ़ जाता है 
ब्रेन हेमरेज हो सकता है
 लकवा मार सकता है
 हृदय आघात हो सकता है 
उक्त रक्तचाप और अल्सर हो सकता है 
हड्डियां कमजोर हो जाती हैं
 रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है जिसकी वजह से बार-बार संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है

 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि अधिकतर लोग तंबाकू खाने की वजह से इधर उधर थूकते रहते हैं जबकि सार्वजनिक स्थानों पर थूकना मना होता है और ₹500 से लेकर ₹2000 तक का जुर्माना भी भरना पड़ सकता है कई बार बेज्जती को भी सहन करना होता है अधिकतर घरों में इसको पसंद नहीं किया जाता है इसकी वजह से घर में कल है और क्लेश रहता है जिसकी वजह से कुछ लोग इससे छुटकारा भी पाना चाहते हैं 

छुटकारा पाने के लिए डॉ एमपी सिंह ने टिप्स देते हुए कहा कि अजवाइन और सौंफ को तवे पर थोड़ा भून कर सेंधा नमक और काली मिर्च अपने स्वाद के अनुसार मिलाकर बार-बर खाते रहना चाहिए इससे आप का पाचन तंत्र ठीक हो जाता है और शरीर का खून भी साफ हो जाता है 
 मिश्री लॉन्ग दालचीनी आदि के प्रयोग से भी लत छूट जाती है 
इसमें धीरे-धीरे घुट घुट कर क पानी  पीना चाहिए
 योग व मेडिटेशन करना चाहिए
 किसी ऐसे व्यक्ति के पास चला जाना चाहिए जो तंबाकू गुटका का  उपयोग नहीं करते हैं 
विल पावर को स्ट्रांग करना चाहिए

 डॉ एमपी सिंह ने बताया कि भारत में चौंकाने वाले आंकड़े हैं इसमें 50% पुरुष और 20% महिलाएं कैंसर की शिकार हैं जिसमें से 90% मुंह का कैंसर और 90% फेफड़ों का कैंसर धूम्रपान के कारण है
 धूम्रपान करने और तंबाकू खाने की वजह से मसूड़े क्षतिगस्त हो जाते हैं 
 दांत काले होने के साथ-साथ टूटने लगते हैं
 बैक्टीरिया व वायरस मुंह के अंदर जाकर गंभीर रोग पैदा कर देते हैं 

डॉ एमपी सिंह का कहना है कि पान मसाला एवं गुटखा व्यक्ति विशेष के लिए नहीं बल्कि सरकार के लिए भी नुकसानदायक है क्योंकि इन उत्पादों से सरकार को जो आए होती है उससे 3 गुना ज्यादा सरकार का कैंसर रोगियों पर खर्चा  हो जाता है इसलिए सरकार को इसके बारे में सोचना चाहिए

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ज्यादा खाना, पीना, सोना बीमारी का कारण है -डॉ एमपी सिंह

Posted on :10-Oct-2022
ज्यादा खाना, पीना, सोना बीमारी का कारण है -डॉ एमपी सिंह

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अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह का कहना है कि जरूरत से ज्यादा खाने और पीने से अनेकों बीमारियां लग जाती है इसलिए उचित मात्रा में ही खाना पीना चाहिए 

डॉ एमपी सिंह ने बताया कि छोटी उम्र का बच्चा जब पेट भर दूध पी लेता है फिर दूध की बोतल या कटोरी को फेंक देता है ठीक इसी प्रकार गाय भैंस जब पेट भर भोजन कर लेते हैं तो एकांत खड़े होकर जुगाली करना शुरू कर देते हैं चाहे भले ही उनकी लड़ामनी में आप कुछ भी भोजन डाल दे लेकिन मनुष्य का पेट भरने के बाद भी जीभ के स्वाद में खाता रहता है और उल्टियां भी करता रहता है 

डॉ एमपी सिंह का कहना है कि अधिक मात्रा में खाने से बदहजमी हो जाती है और पेट खराब होने की वजह से अनेकों  बीमारियां लग जाती हैं जिसका परिणाम अच्छा नहीं होता है जिसके लिए कमाई पूजी अस्पतालों मैं डॉक्टरों को देनी पड़ जाती है लेकिन फिर भी पहला स्वास्थ्य वापस नहीं आता है

 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि अधिक सोना भी ठीक नहीं है 5 से 6 घंटे सोने के लिए पर्याप्त है अस्वस्थ अवस्था में 7 से 8 घंटे की नींद आप ले सकते हैं लेकिन नशा करके दिन रात सोते रहना बीमारी का प्रतीक है 

डॉ एमपी सिंह का कहना है कि  होम्योपैथी में अल्कोहल से बनी दवाइयां रोगी को आराम पहुंचाती है लेकिन अधिक मात्रा में अल्कोहल मौत का कारण बन जाता है

डॉ एमपी सिंह का कहना है कि अत्यधिक बोलना अत्यधिक खाना, अत्यधिक पीना ,
अत्यधिक सोना  नुकसानदायक होता है इसलिए सफलता और सम्मानित जिंदगी के लिए सभी में सामंजस्य और संतुलन  बना कर रखना चाहिए

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प्राणायाम के अभ्यास से बच्चों की आई. क़्यु. लेवल मजबूत होती है... योग सेवक संजय गिरि(video)

Posted on :08-Oct-2022
प्राणायाम के अभ्यास से बच्चों की आई. क़्यु. लेवल मजबूत होती है... योग सेवक संजय गिरि(video)

GCN - हासिम खान 

स्वामीआत्मानंद स्कूल सूरजपुर में योगाभ्यास का आयोजन

सूरजपुर : स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल सूरजपुर में बच्चों ने शनिवार को सुबह प्राणायाम के अभ्यास किये और इससे होने वाले फायदे व की जाने वाली सावधानियों को विस्तार से जाना । इस दौरान योग  आयोग के मास्टर ट्रेनर योग सेवक संजय गिरि नें सुबह बच्चों को ओम व् गायत्री मन्त्रों के उच्चारण व् इसके महत्व को बताया।

यहां देखें video- 

इसके साथ ही गिरि नें बच्चों को भ्रस्तिका, कपालभांति, अनुलोम- विलोम, भ्रामरी, उद्गीथ व् प्रणव प्राणायाम(ध्यान) के आधे घंटे का अभ्यास कराया व् इससे होने वाले फायदे को बताया। श्री गिरि नें बताया कि पांच साल के बच्चे भी कुछ निर्धारित मात्रा में प्राणायाम के अभ्यास कर सकते है। जिससे बच्चों की मेमोरी व् आई.  क़्यु. लेवल मजबूत होती है। इसलिए इसका अभ्यास रोज किया जाना चाहिए। जब रोगी बच्चे प्राणायाम के अभ्यास आधे- आधे घंटे लगातार करते है तो कई असाध्य रोग मंद बुद्धि, ब्रेन के रोग, हृदय रोग, लिवर के रोग चर्म रोग आदि ठीक होने लगते है। इस दौरान योग सेवक गिरि के साथ खेल अधिकारी बालेंदु साहू, राधेश्याम सोनी, ख़ुशी मैडम व् अन्य शिक्षक उपस्थित रहे।

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एंटी-सेप्टिक और एंटी-बायोटिक गुणों से भरपूर है हल्दी...

Posted on :07-Oct-2022
एंटी-सेप्टिक और एंटी-बायोटिक गुणों से भरपूर है हल्दी...

'द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा' से साभार 

सर्दी, जुकाम और कफ में हल्दी दूध का सेवन लाभकारी

आम बीमारियों के उपचार से जुड़ी कई चीजें हमारी रसोई में उपलब्ध हैं। उनमें कई गुणों से युक्त हल्दी भी एक है। अपने विशिष्ट औषधीय एवं एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों के कारण हल्दी का आयुर्वेद में भी विशेष महत्व है। हल्दी रोगाणुओं को रोकने वाली (रोगाणुरोधक या एंटी-सेप्टिक) होती है। साथ ही यह हमारी इम्युनिटी को बढ़ाता है और कई तरह के संक्रमण की रोकथाम में सहायक है। हल्दी के औषधीय गुण कई बीमारियों के बचाव और उपचार में मदद कर सकते हैं। हल्दी को लेकर किए गए एक शोध में पाया गया कि इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, केलोरेटिक, एंटी-माइक्रोबियल (लिवर को सुरक्षित रखने वाला गुण), कार्डियो-प्रोटेक्टिव और नेफ्रो-प्रोटेक्टिव गुण होते हैं।

चाहे अंदरूनी घाव हो या शरीर के बाहर के घाव, हल्दी उन्हें भरने का काम करती है। खून के रिसाव को रोकने या चोट को ठीक करने के लिए हल्दी का आमतौर पर उपयोग होता है। हाथ-पैरों में होने वाले दर्द से राहत पाने के लिए भी हल्दी वाला दूध फायदेमंद है। सर्दी, जुकाम या कफ की शिकायत हो तो हल्दी वाला दूध पीना लाभकारी होता है। हल्दी मिला गर्म दूध यानि गोल्डन मिल्क सामान्य मौसमी बीमारियों जैसे सर्दी-जुकाम में राहत दिलाते हैं। वहीं यह फेफड़ों के कफ को भी बाहर निकालने यानि एक्सपेक्टोरेंट के रूप में कारगर है। आयुर्वेद पद्धति में हल्दी को रक्त विकारों को दूर करने और एंटी-हिस्टामाइन के रूप में कारगर माना गया है। फलस्वरूप यह एलर्जिक सर्दी-जुकाम तथा इओसिनोफिलिया जैसे रोगों के उपचार में सहायक है। 

आयुर्वेदिक कॉलेज के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि हल्दी तिक्त, उष्ण, रक्तशोधक और वायु विकारों को नष्ट करने वाली होती है। हल्दी के सेवन से पेट के नुकसानदेह जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। हल्दी एंटी-बायोटिक की तरह ही रोगाणुजनित रोगों के उपचार में सहायक है। हल्दी का उपयोग सदियों से सौंदर्यवर्धक के रूप में होते आया है। इसके उबटन से चेहरा निखरता है तथा यह अनेक चर्म रोगों में भी प्रभावी है। भारत में पाई जानी वाली हल्दी में रासायनिक पदार्थ करक्यूमिन की मात्रा अधिक होती है। हल्दी का इस्तेमाल आयुर्वेदिक (हर्बल) दवाओं में होता है और इससे बनी औषधियां बदन दर्द, थकान दूर करने और सांस संबंधी परेशानियों में असरदार हैं। बाह्य लेप और आन्तरिक सेवन दोनों प्रकार से प्रयोग करने पर शीघ्र लाभ होता है। हल्दी का औषधि के रूप में उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा विशेषज्ञ के परामर्श में करना चाहिए।

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लापरवाही और चटोरी जुबान कर रही हृदय पर आघात

Posted on :28-Sep-2022
लापरवाही और चटोरी जुबान कर रही हृदय पर आघात

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डॉ. प्रितम भि. गेडाम

(विश्व हृदय दिवस विशेष - 29 सितंबर 2022)

आज का आधुनिक युग विज्ञान के क्षेत्र में लगातार तरक्की कर रहा है लेकिन मानव जीवन विकास में खराब स्तर पर आगे बढ़ रहा है, देश की वायु इतनी दूषित है कि यहां पर मानव की औसत उम्र 6.3 वर्ष से कम हो जाती है और सभी हृदवाहिनी रोगों के मौतों में से 25% के लिए वायु प्रदूषण जिम्मेदार है। हर साल 29 सितंबर को "विश्व हृदय दिवस" बढ़ते हृदय रोगों के बारे में जनजागृति हेतु दुनिया भर में मनाया जाता है। इस साल 2022 की थीम "हर दिल के लिए दिल का इस्तेमाल करें" यह है। मधुमेह, मेटाबोलिक सिंड्रोम, उच्च रक्तचाप, नशे के बढ़ते सेवन, गतिहीन जीवन शैली, खराब आहार और धूम्रपान की उच्च दर ये हृदय रोग के लिए प्रमुख जोखिम कारक हैं। आधुनिक जीवनशैली और मोबाइल ने लोगों की नींद छीन ली है। स्वस्थ दिल के लिए अच्छी नींद बेहद जरूरी है, पर्याप्त नींद नहीं लेना हृदय रोग के खतरे को बढ़ाता है। हृदय रोग घातक है, लक्षण नजर आते ही तुरंत चिकित्सक से सलाह लेना चाहिए, बहुत बार स्वस्थ व्यक्ति भी नींद में अपनी जान गवां देता है क्योकि इसके पीछे कोरोनरी आर्टरी डिजीज और हाई ब्लड प्रेशर साइलेंट किलर की तरह काम करता है। हर 40 सेकंड में, एक वयस्क की मौत दिल का दौरा, स्ट्रोक, या हृदय रोग (सीवीडी) के अन्य प्रतिकूल परिणामों से होती है। पिछले 20 वर्षों में दिल के दौरे से पीड़ित लोगों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है।

देश में मिलावटखोरी की समस्या लगातार बढ़ रही है और त्योहारों में तो मिलावटखोरी चरम पर होती है, नशाखोरी भी बहुत बढ़ रही है। चटोरी जुबान की इच्छा पूर्ति के लिए हजारों नए-नए व्यंजन आ गए है, लेकिन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक आवश्यक प्रोटीन, विटामिन्स, पोषक तत्व इनमें से नदारद है, उलटे उनमे समाविष्ट घातक रसायन और निकृष्ट तत्व स्वस्थ शरीर को ख़राब कर रहे है। इंसान स्वास्थ्य के हिसाब से खाद्य पदार्थ का चयन नहीं करता है, बल्कि जुबान के स्वाद के हिसाब से चयन करता है। किस खाद्य पदार्थ में कितनी कैलोरी है? हम कितनी कैलोरी बर्न करते है? यह कितना फायदेमंद है? इनमें कौन-से पोषक तत्व है? शरीर के लिए आवश्यक कौन-से पोषक तत्व की कितनी जरूरत है? इनके बारे में कोई विचार करना ही नहीं चाहता और लोग बेपरवाह होकर बड़े चटकारे लेकर ऐसे खाद्य पदार्थों की दावत उड़ाते है, आज की आधुनिक पीढ़ी को यह कुछ ज्यादा ही भाता है।

अक्सर लोग कहते है कि बीमारियां बहुत बढ़ गई है, जिंदगी का कोई भरोसा नहीं है, एकदम सही बात है, परन्तु इसके पीछे के कारण भी पता है? इसके लिए भी अधिकतर हम खुद ही जिम्मेदार है। हम खुद ही पर्यावरण के नियमों का उल्लंघन करके सुरक्षित खाद्य पदार्थों से दूरी बना रहे है। जो आसानी से मिलता है वही खाते है। अब तो अनाज भी लोगों को पॉलिश किया हुआ ही चाहिए, हर चीज सुन्दर दिखनी चाहिए चाहे उसमे गुणवत्ता हो या ना हो। बढ़ते आधुनिक संसाधन के कारण मनुष्य वैसे ही बहुत आलसी और कमजोर हो गया है। लोगों को अब साईकल सिर्फ जिम में चलानी अच्छी लगती है, सड़को पर साईकिल चलाने में शर्म महसूस होती है। घर में सदस्यों से ज्यादा गाड़ियां होती है, हर तरफ चौराहों और सड़कों पर शोर, जाम नजर आता है। पर्यावरण और अच्छे स्वास्थ्य के बारे में विचार करने के लिए किसी के पास समय नहीं है। हर कोई दूसरों को दोष देने में व्यस्त है, परन्तु क्या हम अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे है? ऐसे माहौल में सहज है कि चिड़चिड़ापन, तनावपूर्ण जीवन जिएंगे। हमारे व्यवहार, खान-पान, वातावरण का सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है, जो गंभीर बीमारियों को जन्म देती है, जिसे काफी हद तक हम अपनी सजगता और समझदारी से टाल सकते है।

विश्व स्तर पर हृदय रोग मृत्यु का नंबर 1 कारण है। हर 3 में से 1 मौत हृदय वाहिनी रोगों के कारण होती है, सावधानी और जागरूकता द्वारा हम अधिकांश हृदय रोगों को रोक सकते है। साल 2019 में, पूरी दुनिया में सभी प्रकार के हृदय रोगों से लगभग 17.9 मिलियन मौतें हुईं। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन 2022 अनुसार, 2020 में सेरेब्रोवास्कुलर रोग से दुनिया भर में 7 मिलियन मौतें हुईं। सीवीडी से होने वाली 80% मौतें निम्न से मध्यम आय वाले देशों में होती हैं। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र 2022 अनुसार, यू.एस. में प्रति वर्ष लगभग 697,000 मौतें होती हैं। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन 2019 अनुसार, लगभग 121.5 मिलियन अमेरिकी वयस्क हृदय रोग से पीड़ित है। वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन 2019 अनुसार, 2030 में प्रतिवर्ष 23 मिलियन से अधिक सीवीडी से संबंधित मौतों की संभावना है और सीवीडी की लागत 1,044 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है।

2016 में, भारत में सीवीडी की अनुमानित व्यापकता 54.5 मिलियन थी। हर साल देश में लगभग 1.5 मिलियन लोग हृदय रोग से जान गवाते हैं। इंडियन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, भारतीय पुरुषों में होने वाले सभी हार्ट अटैक का 50% यह 50 वर्ष से कम आयु में होता है। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज के अनुसार, भारत में सभी मौतों में से लगभग एक चौथाई (24.8 प्रतिशत) सीवीडी के कारण होती है। इस्केमिक हृदय रोग के मामले में, पंजाब, तमिलनाडु और हरियाणा में सबसे आगे है जबकि मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय सबसे पीछे है। हृदय रोगों की बीमारी बहुत तेजी में बढ़ रही है, अब तो ऐसा लगता है कि पूरे देश में हृदय रोग आम बीमारियों की श्रेणी में आ गया है। पिछले वर्ष चीन में हृदय रोगों से होने वाली मौतों की संख्या सबसे अधिक थी, इसके बाद भारत, रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका और इंडोनेशिया का स्थान था। अध्ययन से पता चला है कि पश्चिमी देशों के लोगों के मुकाबले कम से कम 10 साल पहले भारतीय हृदय रोग से पीड़ित होते हैं।

ब्रेड, पास्ता, पिज्जा, मक्खन, फुल-फैट दही, फ्रेंच फ्राइज़, फ्राइड चिकन, लाल मांस, सोडा, प्रोसेस्ड मीट, डिब्बाबंद सूप, आइसक्रीम, आलू चिप्स, स्नैक्स, कैंडी, शीतल पेय, शक्कर युक्त खाद्य, कुकीज, पेस्ट्री, फास्ट-फूड बर्गर, पनीर, जैरेड टमाटर सॉस, कॉफी क्रीम, केचप, डिब्बाबंद खाद्यपदार्थ, बेक्ड खाद्य पदार्थ, डीप-फ्राइड खाद्य पदार्थ, साथ ही नशीले पदार्थ अल्कोहल, तंबाकू व अन्य हमारे दिल और शरीर के लिए नुकसानदायक है। ऐसे खाद्य पदार्थों में उच्च मात्रा में नमक, चीनी, संतृप्त वसा, परिष्कृत कार्ब्स, और घातक रसायन होते है जो दिल के दौरे या स्ट्रोक के लिए जोखिम बढ़ाते हैं। खाद्य तेल, नमक, शक्कर, मैदे से तैयार पदार्थों का सेवन ना के बराबर होना चाहिए, सभवतः ताजा खाना, दाले, अंकुरित अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां, मौसमी फल खाए। विश्व का सबसे अच्छा पेय शुद्ध सादा पानी है, स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। 7-8 घंटो की पर्याप्त नींद लेनी चाहिए। हर उम्र के लोगों ने शारीरिक व्यायाम रोज करना बहुत जरूरी है। सुंदर प्रकृति स्वास्थ्यकर वातावरण निर्माण करती है, पर्यावरण को बनाये रखने के लिए सभी का सहभाग आवश्यक है। अपने संपूर्ण आहार पर ध्यान देना आज के समय में सबसे बड़ी बुद्धिमानी है। तनाव मुक्त जीवन के लिए हेल्दी हॉबी, खेल, समाजसेवा, पर्यावरण और पशुओं की सेवा जैसे काम निःस्वार्थ भाव से करना चाहिए अर्थात हर दिल ने हर दिल के लिए काम करना चाहिए। जागरूक रहें, अच्छा खाएं, स्वस्थ रहें और अपने दिल का ख्याल रखिए।

डॉ. प्रितम भि. गेडाम

मोबाइल न. 082374 17041

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निशुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन पूर्व अध्यक्ष पेसूराम खूबचंदानी के स्मृति में 18 सितंबर को...

Posted on :17-Sep-2022
निशुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन पूर्व अध्यक्ष  पेसूराम खूबचंदानी के स्मृति में  18 सितंबर को...

मनोज शुक्ला

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रायपुर : निशुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन पूज्य पूर्व अध्यक्ष  पेसूराम खूबचंदानी के स्मृति में  18 सितंबर दिन रविवार सुबह 11:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक झूलेलाल सदन नहरपारा दरबार में लगाया जा रहा है,यह जानकारी सिंधी समाज के संरक्षक बलराम आहूजा एंवम अध्यक्ष नत्थूलाल धनवानी द्वारा   दी गई उन्होंने बताया कि शिविर में पंजीयन स्थल स्वास्तिक नर्सिंग होम एवं नहरपारा पंचायत सिंधु सदन 

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नहर पारा में सिंधी पंचायत द्वारा जनहित में निशुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया जा रहा है शिविर में {BMD}बोनमेरो डेनसिटी.कोलेस्ट्रॉल। सुगर. थाईराइड.की जांच PATHKIND LAB. एवम मट्टी स्पेशलिस्ट  बरन प्लास्टिक सर्जरी. स्त्री. हिरदय डायबिटिक.थाईराइड नाक.कान गलि.दंत. शिशु. चेस्ट. किडनी. कैसर.हड्डी. नेत्र.एंवम मेडीसिन रोग विशेषज्ञ डॉक्टर द्वारा जांच,स्वास्तिक नर्सिंग होम के सहयोग से निशुल्क की जाएगी,उन्होंने कहा कि शिविर में ज्यादा से ज्यादा लोग आकर शिविर के माध्यम से अपने रोगों की जांच कराएं।शिविर का लाभ उठायें।

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विश्व आत्महत्या रोकथाम सप्ताह... उचित परामर्श और चिकित्सा पद्धति के माध्यम से उपचार किया जा सकता है

Posted on :09-Sep-2022
विश्व आत्महत्या रोकथाम सप्ताह... उचित परामर्श और चिकित्सा पद्धति के माध्यम से उपचार किया जा सकता है

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सूरजपुर : विश्व आत्महत्या रोकथाम सप्ताह   के तीसरे दिवस डॉ. राजेश पैकरा जिला नोडल अधिकारी (मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम ) के मार्गदर्शन में डीएमएचपी टीम सूरजपुर द्वारा   V.M. COLLEGE OF NURSING JAINAGAR एवं  मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के  तहत् वीणा कन्या महाविद्यालय जयनगर में हेल्थकेयर का प्रशिक्षण ले रहें प्रशिक्षणार्थियों हेतु आत्महत्या रोकथाम गेटकीपर ट्रेनिंग का आयोजन किया गया।

डॉ. राजेश पैकरा ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से हीन भावना से ग्रस्त है अथवा आत्महत्या करने की सोच रहा है तो वह एक मानसिक बीमारी से ग्रस्त है। मानसिक अस्वस्थता के कारण ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो सकती है, उचित परामर्श और चिकित्सा पद्धति के माध्यम से इसका उपचार किया जा सकता है।

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नुक्कड़ नाटक के जरिये कैंसर के प्रति लोगों को जागरूककिया

Posted on :06-Sep-2022
नुक्कड़ नाटक के जरिये कैंसर के प्रति लोगों को जागरूककिया

डॉ. सम्रेंरेद्र पाठक

गाजियावाद : उत्तर प्रदेश के गाजियावाद जिले के प्रहलाद गढ़ी - वसुंधरा में कल कैंसर जागरूकता अभियान  के तहत विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

सुप्रसिद्ध चिकित्सक डॉ.गिरिजेश रस्तोगी एवं डॉ.विनीता रस्तोगी की अगुवाई में "प्रभा रस्तोगी कैंसर रिसर्च चेरिटेवाल फाउंडेशन"की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान फेंफड़े की मुफ्त जाँच,व्याख्यान ,प्रभातफेरी एवं नुक्कड़ नाटक के जरिये जागरूकता का आयोजन किया गया।इसमें काफी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया।बाद में डॉ.द्वय ने सहभागियों को संबोधित किया.एल.एस।

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लोगों को कर रहे स्वास्थ्य के प्रति जागरूक... बोले- शरीर प्रभु का दिया अनमोल उपहार

Posted on :30-Aug-2022
लोगों को कर रहे स्वास्थ्य के प्रति जागरूक... बोले- शरीर प्रभु का दिया अनमोल उपहार

विवेक जैन

सौरभ और श्वेता गुप्ता लोगों को कर रहे स्वास्थ्य के प्रति जागरूक

- शरीर प्रभु का दिया अनमोल उपहार इसे स्वस्थ और निरोग रखें - सौरभ गुप्ता

- आधा से एक घंटा साईकिलिंग करने से रख सकते है शरीर को स्वस्थ - श्वेता गुप्ता

मुम्बई/महाराष्ट्र : भारत सरकार रक्षा मंत्रालय की जहाज निर्माण कम्पनी माजागोन डोक शिप बिल्डर्स लिमिटेड़ में महाप्रबन्धक के पद पर कार्यरत सौरभ गुप्ता और उनकी पत्नी श्वेता गुप्ता लोगों को प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया आदि विभिन्न प्लेटफार्मो के माध्यमों से स्वास्थ्य के प्रति जागरूक कर रहे हैं। उनका कहना है कि शरीर प्रभु का दिया अनमोल उपहार है और हमें इसे स्वस्थ और निरोग रखना चाहिए। बताया कि वह और उनकी पत्नी श्वेता गुप्ता शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कई वर्षो से योग, व्यायाम, प्राणायाम और साईकिलिंग करते है और लोगों से भी समय निकालकर साईकिलिंग और योग आदि के द्वारा शरीर को स्वस्थ रहने को जागरूक करते है। सौरभ गुप्ता की पत्नी श्वेता गुप्ता ने बताया कि वे पेशे से एक अध्यापक है और बच्चों को टयूशन देती है। 

अतिव्यस्त समय होने के बाबजूद वे और उनके पति रोज अपने शरीर को स्वस्थ और निरोग रखने के लिए कुछ समय जरूर निकाल लेते है। उन्होंने कहा कि अगर आपके पास योग, व्यायाम, प्राणायाम, जिम आदि के लिए समय की कमी है तो आप शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आधा से एक घंटा साईकिलिंग कर सकते है। बताया कि साईकिल चलाने से दिल व दिमाग स्वस्थ रहता है, फेफड़े मजबूत होते है, आपका शरीर निरोग रहता है, शरीर में दिनभर एनर्जी बनी रहती है, रात को अच्छी नींद आती है, वजन घटाने सहित इसके अनेकों जबरदस्त फायदे है। सौरभ गुप्ता और श्वेता गुप्ता ने कहा कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है और योग, साईकिलिंग आदि के द्वारा हम अपने स्वास्थ्य के साथ-साथ दिनचर्या को भी बेहतर बनाते है।

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