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पीएम नरेंद्र मोदी को ‘श्रीलंका मित्र विभूषण’ सम्मान, श्रीलंका ने जताया आभार

Posted on :05-Apr-2025
पीएम नरेंद्र मोदी को ‘श्रीलंका मित्र विभूषण’ सम्मान, श्रीलंका ने जताया आभार

श्रीलंका : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों श्रीलंका के दौरे पर हैं. वहां शनिवार को उन्हें श्रीलंका के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘श्रीलंका मित्र विभूषण’ से नवाजा गया. यह सम्मान उन्हें कोलंबो में श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके ने दिया.इस मौके पर पीएम मोदी ने अपने संबोधन में श्रीलंका और भारत के संबंधों की गहराई को बताते हुए कहा कि श्रीलंका केवल पड़ोसी देश नहीं, बल्कि भारत का पारंपरिक और भरोसेमंद मित्र है. उन्होंने कहा कि भारत हर मुश्किल घड़ी में श्रीलंका के साथ खड़ा रहा है और आगे भी रहेगा.

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में बताया कि भारत ने 2019 के आतंकी हमले, कोविड महामारी और हालिया आर्थिक संकट के समय श्रीलंका को हर संभव सहायता दी. उन्होंने कहा कि भारत की पड़ोसी पहले नीति और विजन ओशन में श्रीलंका को विशेष स्थान प्राप्त है. उन्होंने बताया कि भारत ने बीते छह महीनों में श्रीलंका को दिए गए 100 मिलियन डॉलर के कर्ज को अनुदान में बदल दिया है और द्विपक्षीय समझौते से श्रीलंकाई जनता को तुरंत राहत मिलेगी.

श्रीलंका को मिला भारत का साथ

पीएम मोदी ने यह भी घोषणा की कि भारत श्रीलंका के पूर्वी प्रांतों के विकास के लिए लगभग 240 करोड़ श्रीलंकाई रुपए की सहायता देगा. इसके अलावा ब्याज दरों में कटौती का निर्णय लिया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत आज भी श्रीलंका के साथ मजबूती से खड़ा है. उन्होंने कहा कि भारत का ‘सबका साथ, सबका विकास’ का दृष्टिकोण केवल देश तक सीमित नहीं, बल्कि साझेदार देशों की प्राथमिकताओं को भी उतना ही महत्व देता है.

140 करोड़ भारतीयों का सम्मान- पीएम मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘श्रीलंका मित्र विभूषण’ का यह सम्मान 140 करोड़ भारतीयों का भी सम्मान है. उन्होंने श्रीलंका के राष्ट्रपति, सरकार और वहां की जनता को इस गौरव के लिए धन्यवाद दिया. साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया कि भारत आगे भी श्रीलंका की हर जरूरत में साथ देगा और दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत किया जाएगा.

दिसानायके ने की पीएम की तारीफ

इस दौरान श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने प्रधानमंत्री मोदी को सम्मानित करते हुए कहा कि यह सम्मान केवल किसी नेता को नहीं, बल्कि भारत-श्रीलंका के गहरे ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों को समर्पित है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी इस सम्मान के पूरी तरह से योग्य हैं. श्रीलंका और भारत की मित्रता समान मूल्यों, आपसी सम्मान और साझे हितों पर आधारित है.(एजेंसी)

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बैंकॉक में PM मोदी और यूनुस की मुलाकात, हिंदू समुदाय की सुरक्षा रही अहम मुद्दा

Posted on :04-Apr-2025
बैंकॉक में PM मोदी और यूनुस की मुलाकात, हिंदू समुदाय की सुरक्षा रही अहम मुद्दा

Narendra Modi: पीएम नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश सरकार के अंतरिम सलाहकार मोहम्मद यूनुस के बीच बैंकॉक में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात हुई। इस दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी मौजूद थे। पीएम मोदी और मोहम्मद यूनुस के बीच कई मुद्दों पर चर्चा हुई। बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर चिंता जाहिर की। 

पीएम मोदी और मोहम्मद यूनुस के बीच क्या हुई बातचीत?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश सरकार के अंतरिम सलाहकार मोहम्मद यूनुस की मुलाकात पर विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने जानकारी दी। विदेश सचिव ने कहा कि पीएम मोदी ने लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समावेशी बांग्लादेश के लिए भारत के समर्थन को दोहराया। 

बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के हालात के मुद्दे को उठाया

विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने दोनों नेताओं की मुलाकात की जानकारी देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के जो हालात हैं उस मुद्दे को उठाया। उन्होंने गहरी चिंता जताई है। 

शेख हसीना के मुद्दे पर भी हुई चर्चा

विदेश सचिव ने कहा कि पीएम मोदी ने बांग्लादेश के साथ अधिक सकारात्मक और निर्णायक संबंध स्थापित करने की भारत की इच्छा से भी मोहम्मद यूनुस को वाकिफ कराया। इस दौरान शेख हसीना के मुद्दे पर भी चर्चा की गई। बांग्लादेश ने शेख हसीना के मुद्दे को उठाया था। लेकिन फिलहाल इस पर कुछ भी कहना उचित नहीं होगा। 

‘माहौल खराब करने वाली बयानबाजी से बचना चाहिए’

विदेश सचिव ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने इस संबंध में यह भी आग्रह किया कि माहौल को खराब करने वाली किसी भी बयानबाजी से बचना चाहिए। सीमा पर कानून का सख्ती से पालन और अवैध सीमा पार करने की रोकथाम और अवैध सीमा पार करने की रोकथाम सीमा सुरक्षा और सुरक्षा बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

दोनों नेताओं के बीच पहली मुलाकात

बता दें कि शेख हसीना सरकार के हटने के बाद मोहम्मद यूनुस के बांग्लादेश की कमान संभालने के बाद से दोनों नेताओं के बीच यह पहली मुलाकात थी। वहीं दोनों नेताओं की मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब मोहम्मद यूनुस अपने चीन दौरे के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ वार्ता को लेकर विवादों में रहे हैं। (एजेंसी)

 

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ईरान की सख्त चेतावनी, अली खामेनेई बोले – ट्रंप की धमकियों से नहीं डरते

Posted on :03-Apr-2025
ईरान की सख्त चेतावनी, अली खामेनेई बोले – ट्रंप की धमकियों से नहीं डरते

अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है। इज़रायल की फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास र लेबनान के आतंकी संगठन हिज़बुल्लाह  के खिलाफ युद्ध के कारण इज़रायल और ईरान में भी तनाब बढ़ गया। अमेरिका, जो शुरू से ही इज़रायल का मददगार रहा है, ने ईरान के खिलाफ भी इज़रायल को मदद का आश्वासन दिया। इससे अमेरिका और ईरान बीच लंबे समय से चला आ रहा तनाव और बढ़ गया। दोनों देशों के बीच परमाणु समझौते के मामले पर भी दोनों देशों के बीच विवाद चल रहा है क्योंकि ईरान, इसके पक्ष में नहीं है। ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को हमले की धमकी तक दे दी है। इस धमकी के जवाब में ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई  ने भी ट्रंप के ही अंदाज़ में जवाब दिया है।

“देंगे करारा जवाब”

ईद के मौके पर अली खामेनेई ने ईद के मौके पर देश को संबोधित किया। मंच से खामेनेई ने कहा, “अमेरिका आग से खेल रहा है और ईरान अमेरिका को उसी के लहजे में जवाब देगा। वो हम पर हमला करने की धमकी दे रहे हैं, जिसकी हमें संभावना नहीं लगती, लेकिन अगर वो कोई शरारत करेंगे तो उन्हें निश्चित रूप से करारा जवाब देंगे।”

अमेरिका में हड़कंप

खामेनेई की इस धमकी और इन नारों की गूंज से अमेरिका में भी हड़कप मच गया है। लोगों को डर है कि अगर अमेरिका ने ईरान पर हमला किया, तो ईरान भी अमेरिका को दहला सकता है और इसकी संभावनाएं खामेनेई के संबोधन के बाद और ज़्यादा बढ़ गई हैं। इतना ही नहीं, इस संबोधन के दौरान खामेनेई के हाथ में 1980 के दशक की एक राइफल भी थी, जिससे उनकी धमकी और भी गंभीर लग रही है।

ईरान जल्द ले सकता है बारूदी एक्शन!

इससे पहले खामेनेई के हाथ में यह राइफल 1 अगस्त, 2024 को नज़र आई थी। तब खामेनेई ने हमास नेता इस्माइल हनियेह की मौत पर देश को संबोधित किया था, जिसके बाद 1 अक्टूबर के दिन ईरान ने मिसाइल स्ट्राइक करते हुए हनियेह और हसन नसरल्लाह की मौत का बदला इज़रायल से लिया था। अब खामेनेई के पास फिर से यह राइफल देखी गई है। अमेरिका की धमकियों के बीच एक बार फिर इस राइफल के नज़र आने से इस बात की आशंका बढ़ गई है कि ईरान बहुत जल्द अमेरिका के खिलाफ बारूदी एक्शन ले सकता है। हालांकि ईरान के इस फैसले से अरब में तबाही भी मच सकती है।

क्या ईरान नहीं करेगा अमेरिकी हमले का इंतज़ार?

एक तरफ खामेनेई के रिएक्शन से अमेरिका पर एक्शन का रास्ता साफ हो गया है, तो वहीं ईरानी कमांडर्स के रुख से ऐसे सिग्नल मिल रहे हैं कि ईरान अमेरिकी हमले का इंतज़ार नहीं करना चाहता। माना जा रहा है कि ईरान, अमेरिकी एक्शन से पहले ही अमेरिका को बारूदी संदेश भेज सकता है। दरअसल, IRGC के कमांडर अमेरिकी एयरबेस पर प्री एम्प्टिव स्ट्राइक की मांग कर हैं। IRGC कमांडर चाहते हैं कि ईरान, डिएगो ग्रॉसिया एयरबेस के पास मिसाइल दागे, लेकिन इस मिसाइल से बेस को नुकसान नहीं होगा बल्कि मिसाइल बेस के करीब समंदर में जाकर गिरेगी। अमेरिका के इस बेस की ईरान से दूरी 3846 किलोमीटर है। हाल ही में अमेरिका ने यहाँ 7 B-2 बॉम्बर तैनात किए हैं।

ईरान दिखाना चाहता है अपनी ताकत

ऐसा मानना है कि अमेरिकी बेस के पास मिसाइल दागकर ईरान, ट्रंप को अपनी क्षमता और शक्ति का परिचय देना चाहता है, ताकि ट्रंप ईरान पर हमले के ख्याल को अपने जहन से निकाल दें। वहीं, IRGC एयरफोर्स के कमांडर आमिर अली हाजीजादेह ने भी अमेरिका को धमकी दी है। हाजीजादेह ने अपने एक बयान में कहा, “जो शीशे के घर में रहते हैं, वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकते। अमेरिका के अरब में करीब 10 बेस हैं और 50 हज़ार से ज़्यादा सैनिक मौजूद हैं। इसका मतलब वो शीशे के घर में मौजूद हैं।”

ईरान के रडार पर अमेरिकी बेस

यह बात साफ है ईरान के रडार पर अमेरिका के कई सैन्य बेस हैं। अगर ट्रंप ईरान के खिलाफ कोई बारूदी कदम उठाते हैं तो ईरान उन्हें दहलाकर अपना बदला लेगा। ईरान की तैयारी भी इस बात पर मोहर लगा रही हैं। दरअसल कुछ समय पहले ही चीन ने मिसाइलों से लदा कार्गो शिप ईरान भेजा, जो ईरान के बांदर अब्बास पोर्ट पहुंच चुका है। दावा है कि इसमें चीन की लॉन्ग रेंज मिसाइलें मौजूद हैं। IRGC ने नेवातिम एयरबेस पर मिसाइल ड्रिल शुरू कर दी हैं। सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि ईरान चीन की भेजी हुई मिसाइलों की एक्यूरेसी टेस्ट कर रहा है। ईरान की इन तैयारियों को अमेरिका से जोड़कर देखा जा रहा है और कहा जा रहा है कि ईरान ट्रंप के हर संभावित कदम के लिए खुद को तैयार कर रहा है।(एजेंसी)

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7.7 तीव्रता के भूकंप से कांपा म्यांमार और थाइलैंड, आसपास के देशों में भी असर

Posted on :28-Mar-2025
7.7 तीव्रता के भूकंप से कांपा म्यांमार और थाइलैंड, आसपास के देशों में भी असर

Earthquake in Myanmar :  म्यांमार और थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं. मौसम विभाग के मुताबिक रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.7 थी. जानकारों का कहना है कि दोनों ही देशों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं. भूकंप का केंद्र म्यांमार को बताया जा रहा है. भूकंप की वजह से दोनों देशों को कितना नुकसान हुआ है, उसकी जानकारी अभी तक नहीं आई है.

भूकंप के तेज झटके की वजह से बैंकॉक और म्यांमार के शहरों में बड़ी-बड़ी इमारतें नाव की तरह हिलने लगी. सोशल मीडिया पर इसका वीडियो वायरल हो रहा है. वायरल वीडियो में लोग चीखते-चिल्लाते हुए सड़कों पर भाग रहे हैं.

बैंकॉक में बिल्डिंग गिरने की खबर
भूकंप की वजह से बैंकॉक में एक गगनचुंबी इमारत के गिरने की खबर है. रिपोर्ट के मुताबिक जो बिल्डिंग निर्माणाधीन था, जो भूकंप के झटके को सह नहीं पाया. इसी तरह कई और वीडियो भूकंप के बाद के वायरल हो रहे हैं, जिसमें भूकंप के बाद के दहशत को देखा जा रहा है.(एजेंसी)

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दुबई के क्राउन प्रिंस शेख हमदान ने बेटी का नाम रखा 'हिंद', जानिए नाम का महत्व

Posted on :28-Mar-2025
दुबई के क्राउन प्रिंस शेख हमदान ने बेटी का नाम रखा  'हिंद', जानिए नाम का महत्व

Sheikh Hamdan Daughter Hind: हाल ही में दुबई के क्राउन प्रिंस शेख हमदन बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम चर्चा में हैं. चर्चा का कारण है कि उन्होंने अपनी चौथी संतान का स्वागत किया है. उससे भी बड़ा कारण है कि उन्होंने अपनी नवजात बेटी का नाम हिंद रखा है. बताया गया कि यह नाम उनकी मां शेखा हिंद बिन्त मकतूम बिन जुम्मा अल मकतूम के सम्मान में रखा गया है. शेख हमदन ने इस खुशखबरी को इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए शेयर किया और अपनी बेटी के लिए दुआ मांगी. उन्होंने लिखा कि हे अल्लाह उसे अपने प्यार से भरपूर दिल प्रदान कर रोशनी और मार्गदर्शन दें.. उसे अच्छे स्वास्थ्य का वरदान दें.

कौन हैं शेख हमदन बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम

असल में शेख हमदन को फज्जा नाम से भी जाना जाता है. वे 2008 से दुबई के क्राउन प्रिंस हैं. संयुक्त अरब अमीरात UAE के उपप्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री भी वे हैं. दुबई के शासक शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम के दूसरे बेटे हैं. उन्होंने 2019 में शेखा शेखा बिन्त सईद बिन थानी अल मकतूम से शादी की थी. इस कपल के पहले से ही तीन बच्चे हैं. जिसमें जुड़वां बच्चे शेखा और राशिद हैं. उनक जन्म मई 2021 में हुआ था. फिर बेटे मोहम्मद का जन्म फरवरी 2023 में हुआ. अब एक और बेटी हुई है. 

कितनी है शेख हमदन की नेटवर्थ

शेख हमदन बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम की अनुमानित नेटवर्थ 400 मिलियन डॉलर लगभग 3300 करोड़ रुपये है. उनका जन्म दुबई के जाबील पैलेस में 1982 में हुआ था. उन्होंने यूनाइटेड किंगडम में पढ़ाई की और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से शिक्षा प्राप्त की. वे दुबई एग्जीक्यूटिव काउंसिल के चेयरमैन और हामदान बिन मोहम्मद स्मार्ट यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष भी हैं. इसके अलावा वे घुड़सवारी में भी माहिर हैं और विश्व घुड़सवारी खेलों में यूएई का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. उन्होंने 2010 और 2014 में स्वर्ण पदक भी जीते थे.

आखिर क्या है वहां हिंद नाम का महत्व

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हिंद नाम अरबी संस्कृति में गहरी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जड़ें रखता है. यह न केवल शेख हमदन की मां के नाम से प्रेरित है बल्कि इस्लामिक इतिहास में भी इसका महत्वपूर्ण स्थान है. प्राचीन अरब में हिंद संपन्नता और समृद्धि और ताकत का प्रतीक माना जाता था. इस नाम का उपयोग इस्लाम के प्रारंभिक युग में भी किया गया था. इसके अलावा यह बहादुरी नेतृत्व और कुलीनता का प्रतीक भी माना जाता है.

सोशल मीडिया पर जबरदस्त रेस्पोंस

शेख हमदन सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रिय हैं और उनके इंस्टाग्राम अकाउंट @faz3 पर लगभग 17 मिलियन फॉलोअर्स हैं. उनकी बेटी के जन्म की खबर के बाद से ही लोग उन्हें बधाइयां दे रहे हैं. उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए यह खबर शेयर की जिसे लाखों लोगों ने पसंद और शेयर किया. तस्वीर- प्रिंस के आधिकारिक इंस्टाग्राम से (एजेंसी)

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भारत से बिगड़ते रिश्तों के बीच बांग्लादेश को चीन से उम्मीद, हेल्थकेयर में करेगा निवेश

Posted on :21-Mar-2025
भारत से बिगड़ते रिश्तों के बीच बांग्लादेश को चीन से उम्मीद, हेल्थकेयर में करेगा निवेश

Bangladesh Seeking China’s Help: भारत और बांग्लादेश के संबंधों में बिगाड़ जगजाहिर है। बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा से भारत नाराज़ हो गया और वहीँ पूर्व बांग्लादेशी पीएम शेख हसीना को भारत में शरण से बांग्लादेश नाराज़ हो गया। बांग्लादेश ने कई मौकों पर शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग भी की है, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। दोनों देशों के बीच संबंधों में बिगाड़ के बीच बांग्लादेश को कई मामलों में चीन से आस है।

हेल्थकेयर के लिए बांग्लादेश को चीन की ज़रूरत

बांग्लादेश में पहले से ही हेल्थकेयर व्यवस्था काफी खराब रही है। देश में अच्छे अस्पतालों की काफी कमी है। ऐसे में बांग्लादेश में कई लोग इलाज के लिए भारत पर निर्भर रहते थे। हालांकि अब भारत से संबंधों में बिगाड़ के चलते बांग्लादेश को इस मामले में चीन की ज़रूरत पड़ेगी।

चीन ने निर्धारित किए अस्पताल

चीन में बांग्लादेश के मरीजों को हेल्थकेयर सेवाएं प्रदान करने के लिए दक्षिण-पश्चिमी चीन के कुनमिंग में 4 अस्पतालों को पहले ही निर्धारित कर दिया है। इन अस्पतालों में बांग्लादेशी मरीजों को इलाज की सुविधाएं दी जाएंगी, जिससे उन्हें कोई परेशानी न हो।(एजेंसी)

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BLA की बढ़ती गतिविधियां, CPEC पर बड़ा खतरा मंडराया

Posted on :21-Mar-2025
BLA की बढ़ती गतिविधियां, CPEC पर बड़ा खतरा मंडराया

CPEC corridor : BLA बलूचिस्तान के कठिन इलाकों में उग्रवादी हमले  कर सकता है। वे अक्सर बम विस्फोट, सड़क किनारे लगाकर हमले करते हैं, जो CPEC के निर्माण और सुरक्षा में बाधा डाल सकते हैं। BLA का लक्ष्य CPEC पर सुरक्षा प्रदान करने वाले पाकिस्तान के सुरक्षा बलों को निशाना बनाना हो सकता है। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) के हमले पाकिस्तान और चीन के संयुक्त उपक्रम CPEC कॉरिडोर का विकास प्रभावित कर सकते हैं, जिससे दोनों देशों को आर्थिक और सुरक्षा संबंधित नुकसान हो सकता है। इस समस्या का समाधान करने के लिए सुरक्षा और राजनीतिक समाधान करने की आवश्यकता है। ध्यान रहे कि बलूचिस्तान में सुरक्षा बलों के साथ कई बार संघर्ष हो चुका है। वह ग्वादर पोर्ट या अन्य महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा स्थल पर आत्मघाती हमलावर भेज सकता है। बलूचिस्तान में स्थानीय लोगों का लंबे समय से यह आरोप है कि पाकिस्तान और चीन  दोनों उनकी प्राकृतिक संसाधनों का शोषण कर रहे हैं और स्थानीय समुदायों को इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा। इस असंतोष के कारण BLA जैसे संगठन हिंसक संघर्षों में शामिल हैं।

बीएलए पहले ही कई हमले कर चुका है

BLA अक्सर अपनी गतिविधियों का ऐलान करता है, जिसमें CPEC जैसे विकास कार्यों को निशाना बनाने की योजना को स्पष्ट किया जाता है। बीएलए पहले ही कई हमले कर चुका है और इनकी जिम्मेदारी वह स्वीकार करता है। BLA का मुख्य उद्देश्य बलूचिस्तान को पाकिस्तान से स्वतंत्र कराना है, और वे इसे अपनी स्वायत्तता के लिए लड़ाई के रूप में देखते हैं। CPEC जैसी परियोजनाएं उनकी नजर में क्षेत्रीय स्वायत्तता और उनके संसाधनों पर कब्जा करने का एक तरीका हैं। बलूचिस्तान में अत्यधिक प्राकृतिक संसाधन हैं, जैसे गैस, तेल और खनिज। BLA का कहना है कि पाकिस्तान और चीन इन संसाधनों का शोषण कर रहे हैं, जबकि स्थानीय लोगों को इसका कोई फायदा नहीं मिल रहा है। CPEC के विरोधी: BLA के लिए CPEC एक प्रतीक है कि पाकिस्तान और चीन बलूचिस्तान की आत्मनिर्भरता और क्षेत्रीय पहचान को नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं।

सीपीईसी कॉरिडोर, महत्व और निर्माण लागत

CPEC पाकिस्तान के लिए एक बड़ी आर्थिक संभावनाओं का रास्ता खोल सकता है, लेकिन इस परियोजना को लेकर कई चुनौतियाँ भी हैं, जैसे राजनीतिक अस्थिरता, सुरक्षा मुद्दे और पर्यावरणीय प्रभाव। CPEC की कुल अनुमानित लागत लगभग 62 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 4.5 लाख करोड़ रुपये) है। इसमें ऊर्जा परियोजनाएं, सड़क नेटवर्क, रेलवे परियोजनाएं और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर शामिल हैं। CPEC की परियोजना 2013 में शुरू हुई थी और इसे चरणों में पूरा किया जाएगा। इसका कई हिस्सों का निर्माण कई हिस्सों में 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है अलबत्ता ग्वादर पोर्ट और ऊर्जा परियोजनाएं पहले ही चालू हो चुकी हैं।

दोनों देशों के लिए चिंता का कारण

बलूचिस्तान में बन रहे CPEC कॉरिडोर पर BLA (Baloch Liberation Army) की ओर से संभावित हमले की खबरें पाकिस्तान और चीन दोनों के लिए चिंता का कारण बन सकती हैं। BLA एक अलगाववादी संगठन है, जो बलूचिस्तान में स्वतंत्रता की मांग करता है और CPEC जैसी परियोजनाओं को अपनी क्षेत्रीय स्वायत्तता पर एक खतरे के रूप में देखता है। इस प्रकार के हमलों का पाकिस्तान और चीन दोनों पर गंभीर आर्थिक, राजनीतिक और रणनीतिक प्रभाव हो सकता है। दरअसल CPEC (China-Pakistan Economic Corridor) एक विशाल इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजना है, जो पाकिस्तान और चीन के बीच आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के लिए बनाई गई है। यह कॉरिडोर मुख्य रूप से सड़क, रेलवे, ऊर्जा परियोजनाओं और बंदरगाहों का निर्माण करता है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश बढ़ेगा।

CPEC के मुख्य घटक

सड़क मार्ग: CPEC के तहत एक नई सड़क बनाई जा रही है, जो पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से शुरू होकर चीन के काशगर क्षेत्र तक जाएगी। यह मार्ग लगभग 3,000 किलोमीटर लंबा होगा।रेलवे नेटवर्क: इस परियोजना में रेलवे नेटवर्क का विस्तार भी किया जा रहा है, जिससे यातायात और मालवाहन दोनों को बढ़ावा मिलेगा। 

ऊर्जा परियोजनाएं: CPEC के तहत विभिन्न ऊर्जा परियोजनाओं का निर्माण किया जा रहा है, जैसे कोल, गैस और जल विद्युत परियोजनाएं। इन परियोजनाओं से पाकिस्तान में बिजली संकट को दूर करने की कोशिश की जा रही है। 

ग्वादर पोर्ट: ग्वादर पाकिस्तान का एक प्रमुख समुद्री पोर्ट है, और यह चीन विकसित कर रहा है। यह पोर्ट चीन के पश्चिमी हिस्से को अफ्रीका, मध्य-पूर्व और यूरोप से जोड़ने का एक अहम रास्ता बनेगा।

पाक-चीन CPEC कॉरिडोर क्या है, इसकी लागत कितनी है और कब बनेगा

CPEC (China-Pakistan Economic Corridor) एक विशाल इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजना है जो पाकिस्तान और चीन के बीच आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के लिए बनाई गई है। यह कॉरिडोर मुख्य रूप से सड़क, रेलवे, ऊर्जा परियोजनाओं और बंदरगाहों का निर्माण करता है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश बढ़ेगा। CPEC की कुल अनुमानित लागत लगभग 62 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 4.5 लाख करोड़ रुपये) है। इसमें ऊर्जा परियोजनाएं, सड़क नेटवर्क, रेलवे परियोजनाएं और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर शामिल हैं। CPEC की परियोजना 2013 में शुरू हुई थी और इसे चरणों में पूरा किया जाएगा। विभिन्न हिस्सों का निर्माण 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है, लेकिन कुछ परियोजनाएं पहले ही चालू हो चुकी हैं, जैसे ग्वादर पोर्ट और ऊर्जा परियोजनाएं।

सुरक्षा और राजनीतिक नुकसान

BLA का हमला पाकिस्तान की सुरक्षा स्थिति को और जटिल बना सकता है। बलूचिस्तान में अस्थिरता बढ़ने से पाकिस्तान को आंतरिक सुरक्षा संकट का सामना करना पड़ सकता है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है।

चीन को भी सुरक्षा की दृष्टि से बड़ा नुकसान हो सकता है, क्योंकि CPEC केवल एक आर्थिक परियोजना नहीं है, बल्कि यह चीन के ‘Belt and Road Initiative’ (BRI) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यदि CPEC को सुरक्षा खतरों का सामना करना पड़ता है, तो इससे चीन की वैश्विक व्यापारिक योजनाओं और उसकी रणनीतिक महत्वाकांक्षाओं को बड़ा धक्का लग सकता है।

प्रभावित व्यापार और कनेक्टिविटी

CPEC के तहत ग्वादर पोर्ट को चीन के पश्चिमी प्रांतों और मध्य एशिया तक पहुंच प्रदान करने के लिए विकसित किया जा रहा है। अगर इस पर हमले होते हैं, तो इससे चीन की व्यापारिक और ऊर्जा आपूर्ति की योजनाओं में रुकावट आ सकती है। ग्वादर पोर्ट के माध्यम से चीन को ऊर्जा संसाधनों का आयात और निर्यात करने में समस्या हो सकती है।साथ ही, पाकिस्तान और चीन के बीच कनेक्टिविटी का भी संकट उत्पन्न हो सकता है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार और सहयोग में रुकावटें आ सकती हैं।

स्थिरता और भविष्य पर असर

अगर CPEC पर बड़े हमले होते हैं तो पाकिस्तान सरकार को अस्थिरता की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है, जिससे देश में राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक तनाव बढ़ सकता है। चीन के लिए, CPEC जैसे बड़े परियोजना में बाधाएं आना उसकी वैश्विक रणनीति के लिए बड़ा झटका हो सकता है, जिससे उसकी ‘Belt and Road Initiative’ (BRI) की महत्वाकांक्षाओं पर भी असर पड़ेगा।

BLA के हमलों का कारण

BLA के हमलों का मुख्य कारण बलूचिस्तान की स्थानीय स्वायत्तता और संसाधनों पर नियंत्रण है। BLA का मानना है कि पाकिस्तान और चीन बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों का शोषण कर रहे हैं, और स्थानीय समुदायों को इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है। इस वजह से वे CPEC और अन्य विकास परियोजनाओं का विरोध करते हैं।(एजेंसी)

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गाज़ा पर इजरायली हवाई हमले, 400 से ज्यादा लोगों की दर्दनाक मौत!

Posted on :19-Mar-2025
गाज़ा पर इजरायली हवाई हमले, 400 से ज्यादा लोगों की दर्दनाक मौत!

Israel-Hamas War: इज़रायल (Israel) और फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास (Hamas) के बीच सीज़फायर समझौते को आगे नहीं बढ़ाया जा सका। दोनों पक्षों के बीच 7 अक्टूबर, 2023 को शुरू हुए युद्ध में 19 जनवरी, 2025 को सीज़फायर लागू हुआ था और कुछ दिनों तक दोनों पक्षों ने इसका पालन भी किया। हमास ने कई इज़रायली बंधकों को रिहा किया और इज़रायल ने कई फिलिस्तीनी कैदियों को आज़ाद किया। हालांकि सीज़फायर खत्म होने के बाद ही दोनों पक्षों के बीच इसे आगे बढ़ाने को लेकर ज़रूरी शर्तों पर सहमति नहीं बनी और ऐसे में इज़रायली सेना ने गाज़ा (Gaza) में ताबड़तोड़ हवाई हमलों का सिलसिला शुरू कर दिया है। इज़रायली हवाई हमलों में पहले 235 लोगों के मारे जाने की खबर सामने आई थी, पर अब यह आंकड़ा बढ़ गया है।

मरने वालों का आंकड़ा 400 पार

इज़रायली सेना के मंगलवार को आधी रात के बाद गाज़ा में किए ताबड़तोड़ हवाई हमलों से तबाही मच गई। हर तरफ चीखपुकार मच गई। फिलिस्तीनियों के लिए इस समय रमजान का महीना चल रहा है और ऐसे में एक बार फिर से इज़रायली हमलों के शुरू होने से गाज़ा में हाहाकार मच गया। इन इज़रायली हमलों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 400 पार हो गई है।

बढ़ सकता है मरने वालों का आंकड़ा

गाज़ा में अभी भी 100 से ज़्यादा लोग इज़रायली हमलों की वजह से घायल है, जिनका अस्पतालों में इलाज चल रहा है। कई घायलों की स्थिति गंभीर बताई जा रही है। ऐसे में मरने वालों का आंकड़ा बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।(एजेंसी)

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टेकऑफ के तुरंत बाद समुद्र में गिरा विमान, मशहूर संगीतकार समेत 12 की दर्दनाक मौत!

Posted on :19-Mar-2025
टेकऑफ के तुरंत बाद समुद्र में गिरा विमान, मशहूर संगीतकार समेत 12 की दर्दनाक मौत!

अमेरिका : सेंट्रल अमेरिका में स्थित देश होंडुरास के तट पर एक विमान क्रैश हो गया। इस हादसे में 12 लोगों की मौत हो गई, जिनमें एक मशहूर गरिफुना म्यूजिशियन भी शामिल हैं। लांहसा एयरलाइंस का यह विमान सोमवार रात को रोआटन द्वीप से मुख्यभूमि शहर ला सेइबा के लिए उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद समुद्र में क्रैश हो गया। विमान में 17 यात्री और चालक दल के सदस्य थे, जिनमें से पांच को बचा लिया गया और अस्पताल में भर्ती कराया गया।

पुलिस के मुताबिक, विमान पूरी ऊंचाई तक नहीं पहुंच पाया और टक्कर के तुरंत बाद समुद्र में डूब गया। स्थानीय मछुआरों ने जीवित बचे लोगों को बचा लिया। होंडुरास सिविल एरोनॉटिक्स एजेंसी ने कहा कि दुर्घटना की जांच की जा रही है।

औरेलियो मार्टिनेज सुजौ की मौत

मृतक में पूर्व सांसद और गरिफुना जाति समूह के सदस्य औरेलियो मार्टिनेज सुजौ भी शामिल थे, जो अफ्रीकी और आदिवासी मिश्रित वंश से आते थे। मार्टिनेज सुजौ के पास अमेरिकी नागरिकता भी थी। उनके प्रतिनिधि, हेलेन ओडाइल गिवार्च, जो एक फ्रांसीसी नागरिक हैं, दुर्घटना में जीवित बचने वालों में शामिल थीं। 

मार्टिनेज सुजौ होंडुरास के ग्रासियास ए डियोस क्षेत्र के निवासी थे, जो देश के कैरेबियाई तट के पास स्थित है। उनके भतीजे एंजेल अपारिसियो फर्नांडीज मार्टिनेज, जो अपने चाचा के साथ संगीतकार भी थे, उन्होंने मंगलवार को कहा कि हम तबाह हो गए हैं, वे परिवार का आधार थे।

'लिता एरीरन' नाम से संगीत समूह

मार्टिनेज सुजौ पहले "लॉस गाटोस ब्रावोस" के सदस्य थे। इसके बाद उन्होंने अपना खुद का संगीत समूह "लिता एरीरन" बनाया। उनका पहला एल्बम "गरिफुना सोल" उन्हें यूरोप, संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य हिस्सों में लेकर गया। उनके भतीजे ने कहा, "वह गरिफुना संगीत के लिए होंडुरास का सबसे बड़े आदर्श थे और उन्होंने इसे वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत किया।"

सुला घाटी के अफ्रीकी-अवशेष संघ के अध्यक्ष हुम्बर्टो कास्टिलो ने मार्टिनेज सुजौ को "गरिफुना संस्कृति का राजदूत" बताया। उन्होंने कहा कि वे गरिफुना और मिस्किटो दोनों भाषाओं में संगीत रचनाएं करते थे और दोनों भाषाओं में बोलते थे। मृतकों के शवों को रोआटन से सैन पेड्रो सुला के मर्ग में भेज दिया गया। (एजेंसी)

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9 महीने बाद अंतरिक्ष से लौटीं सुनीता विलियम्स, एलन मस्क और डोनाल्ड ट्रंप को कहा धन्यवाद

Posted on :19-Mar-2025
9 महीने बाद अंतरिक्ष से लौटीं सुनीता विलियम्स, एलन मस्क और डोनाल्ड ट्रंप को कहा धन्यवाद

Sunita Williams: भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स (Sunita Williams)और बुच विल्मोर अपने नौ महीने से अधिक लंबे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) प्रवास के बाद सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर लौट आए हैं। नासा के क्रू-9 मिशन के अंतर्गत, वे स्पेसएक्स के ड्रैगन अंतरिक्ष यान में यात्रा कर के सुबह 3:27 बजे (IST)फ्लोरिडा के तट पर उतरे। इस अवसर पर स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क ने स्पेसएक्स और नासा की टीमों को “एक और सुरक्षित अंतरिक्ष यात्री वापसी” के लिए बधाई दी। मस्क ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ( Donald Trump) को भी धन्यवाद दिया, जिन्होंने इस मिशन को प्राथमिकता दी थी। एलन मस्क ( Elon Musk) ने ट्वीट किया, “एक और सुरक्षित अंतरिक्ष यात्री वापसी के लिए @SpaceX और @NASA टीमों को बधाई! इस मिशन को प्राथमिकता देने के लिए @POTUS को धन्यवाद!”

“अंतरिक्ष यात्रियों को पहले ही वापस लाने की पेशकश की गई”: एलन मस्क

मस्क ने एक साक्षात्कार में ने दावा किया कि स्पेसएक्स ने पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन ( Joe Biden) के प्रशासन को दो अंतरिक्ष यात्रियों को पहले ही वापस लाने की पेशकश की थी, लेकिन इसे “राजनीतिक कारणों से अस्वीकार कर दिया गया। हमने निश्चित रूप से अंतरिक्ष यात्रियों को पहले ही वापस लाने की पेशकश की थी। इस बारे में कोई सवाल ही नहीं है। अंतरिक्ष यात्रियों को केवल आठ दिनों के लिए वहाँ रहना था और वे लगभग 10 महीनों से वहाँ हैं। जाहिर है, इसका कोई मतलब नहीं है।

अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी की सुविधा देने के लिए कहा था

अरबपति एलन मस्क ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रम्प ने उनसे दो बोइंग स्टारलाइनर अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी की सुविधा देने के लिए कहा था, जो जून 2024 से अंतरिक्ष स्टेशन पर हैं। स्पेसएक्स के सीईओ ने कहा कि यह “भयानक” था कि बाइडन प्रशासन ने “उन्हें इतने लंबे समय तक वहाँ छोड़ दिया”। मस्क ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “@POTUS ने @SpaceX से @Space_Station पर फंसे दो अंतरिक्ष यात्रियों को जल्द से जल्द घर लाने के लिए कहा है। हम ऐसा करेंगे।”

एलन मस्क ने कहा था कि मिशन जल्द ही पूरा होगा

राष्ट्रपति ट्रंप ने भी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथसोशल पर एक पोस्ट में इस बात की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि उन्होंने एलन मस्क और स्पेसएक्स से उन दो बहादुर अंतरिक्ष यात्रियों को लाने के लिए कहा है जिन्हें बाइडन प्रशासन ने अंतरिक्ष में लगभग छोड़ दिया है। उन्होंने कहा था कि मिशन जल्द ही पूरा होगा।

सुनीता विलियम्स की धरती से अंतरिक्ष और वापसी यात्रा

नासा के अंतरिक्ष यात्रियों सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर ने पिछले साल 5 जून को नासा के बोइंग क्रू फ्लाइट टेस्ट में अंतरिक्ष की यात्रा की थी। दोनों अंतरिक्ष यात्री ISS के लिए आठ दिवसीय मिशन पर गए थे, लेकिन 6 जून को जब स्टारलाइनर अंतरिक्ष स्टेशन के पास पहुंचा, तो नासा और बोइंग ने हीलियम लीक की पहचान की और अंतरिक्ष यान के रिएक्शन कंट्रोल थ्रस्टर्स में समस्या का अनुभव किया। स्टारलाइनर को चालक दल के बिना धरती पर वापस भेज दिया गया।

स्पेसएक्स के क्रू-9 मिशन में फिर से नियुक्त करने का निर्णय लिया गया

बाद में, अगस्त में दो अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेसएक्स के क्रू-9 मिशन में फिर से नियुक्त करने का निर्णय लिया गया। इसका मतलब था, क्रू-9 को चार से घटा कर दो करना और नासा के अंतरिक्ष यात्री ज़ेना कार्डमैन और स्टेफ़नी विल्सन को हटाना, जिन्हें पहले क्रूमेट के रूप में घोषित किया गया था, ताकि विलियम्स और विल्मोर के लिए जगह बनाई जा सके।

नौ महीने से अधिक समय के बाद, क्रू-9 टीम धरती पर लौट आई

नासा के अंतरिक्ष यात्रियों निक हेग और रोस्कोस्मोस के अंतरिक्ष यात्री अलेक्जेंडर गोरबुनोव स्पेसएक्स ड्रैगन पर सवार दो-चालक दल के सदस्य की उड़ान के हिस्से के रूप में क्रमशः कमांडर और मिशन विशेषज्ञ के रूप में अंतरिक्ष स्टेशन के लिए उड़ान भरी। नौ महीने से अधिक समय के बाद, क्रू-9 टीम धरती पर लौट आई। अंतरिक्ष यान ने 17 घंटे की लंबी यात्रा के बाद फ्लोरिडा के तट से दूर समुद्र में उतरने से पहले अपना पैराशूट तैनात किया।

क्रू-9 पहले पूरी तरह से चिकित्सा जांच के लिए जाएगा

नासा की एक टीम ने हैच खोला और अंतरिक्ष यात्रियों को गतिशीलता सहायता प्रदान की। सुश्री विलियम्स को कैप्सूल से बाहर आते समय हाथ हिलाते और अंगूठा दिखाते हुए देखा गया। जब एक एक्स (पूर्व में ट्विटर) यूजर ने पूछा कि क्या अंतरिक्ष यात्रियों को अब विशेष भोजन मिलेगा, तो नासा ने कहा कि क्रू-9 पहले पूरी तरह से चिकित्सा जांच के लिए जाएगा और जल्द ही ताजा भोजन परोसा जाएगा। “जहाज पर भोजन आमतौर पर बहुत शानदार नहीं होता है। वे अभी भी गुरुत्वाकर्षण के साथ तालमेल बैठा रहे हैं। ताजा भोजन जल्द ही आने वाला है!”(एजेंसी)

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डोनाल्ड ट्रंप ने Tesla खरीदी! एलन मस्क के साथ शानदार टेस्ट ड्राइव का वीडियो वायरल

Posted on :12-Mar-2025
डोनाल्ड ट्रंप ने Tesla खरीदी! एलन मस्क के साथ शानदार टेस्ट ड्राइव का वीडियो वायरल

Donald Trump Buy Tesla: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टेस्ला को अपने कार कलेक्शन में शामिल कर लिया है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने शाइनी रेड टेस्ला Model X खरीदी है. इस कार को चुनने में कंपनी ने सीईओ एलन मस्क ने डोनाल्ड ट्रंप की मदद की. अमेरिका के राष्ट्रपति ने ये कार एलन मस्क की इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी को सपोर्ट करने के लिए खरीदी है. डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से हाल ही में ये ऐलान भी किया था कि वे ब्रांड न्यू टेस्ला कार खरीदने जा रहे हैं, जिसे रीपोस्ट करते हुए एलन मस्क ने अमेरिकी राष्ट्रपति का आभार जताया.

डोनाल्ड ट्रंप की Tesla की क्या है कीमत?
एलन मस्क ने अपने एक्स अकाउंट से डोनाल्ड ट्रंप के साथ टेस्ला की कार में टेस्ट ड्राइव लेते हुए फोटो भी शेयर की हैं. डोनाल्ड ट्रंप ने बताया कि 'उन्होंने ये कार 80 हजार यूएस डॉलर में खरीदी है, जिस पर उन्हें कोई डिस्काउंट नहीं मिला है'. डोनाल्ड ट्रंप ने आगे कहा कि 'मस्क को मुझे डिस्काउंट देना चाहिए था. लेकिन अगर मैं कार पर ये डिस्काउंट ले लेता, तो एलन मस्क मुझसे कहते कि मैंने फायदा उठा लिया'. भारतीय करेंसी में इस कार की कीमत 6.98 लाख रुपये के बराबर है.

डोनाल्ड ट्रंप ने की एलन मस्क की तारीफ
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि 'मैंने तय किया कि मुझे एक टेस्ला खरीदनी है'. अमोरिकी राष्ट्रपति ने ये कार मीडिया के सामने ही खरीदी. एलन मस्क, डोनाल्ड ट्रंप के सामने टेस्ला की चार कार लेकर आए. डोनाल्ड ट्रंप ने एलन मस्क को देशभक्त बुलाते हुए कहा कि 'इन्होंने अच्छा काम किया है. ऐसा केवल इसलिए नहीं कि ये रिपब्लिकन हैं'. यूएस प्रेसीडेंट ने आगे कहा कि 'कभी-कभी तो मुझे यह भी नहीं पता होता कि इनका उद्देश्य क्या हैं, लेकिन इतना कह सकता हूं कि ये एक महान व्यक्ति हैं'


डोनाल्ड ट्रंप ने क्यों खरीदी Tesla?
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका का राष्ट्रपति बनते ही मस्क को सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) की जिम्मेदारी सौंपी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसके बाद से ये डिपार्टमेंट सरकारी खर्च में कटौती पर काम कर रहा है, जिससे अब तक हजारों सरकारी कर्मचारियों की नौकरी चलली गई है.

एलन मस्क के विरोध में पिछले दिनों अमेरिका के मैसाचुसेट्स (Massachusetts) में सात टेस्ला चार्जिंग स्टेशन में आग लगा दी गई और फ्रांस के टूलूज में भी एक डीलरशिप की 12 टेस्ला गाड़ियों में आग लगाई गई. इसी वजह से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, एलन मस्क के समर्थन में उतरे हैं.(एजेंसी)

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सेना का बड़ा ऑपरेशन: ट्रेन हाईजैक के 155 बंधकों को छुड़ाया, 27 आतंकियों को मार गिराया

Posted on :12-Mar-2025
सेना का बड़ा ऑपरेशन: ट्रेन हाईजैक के 155 बंधकों को छुड़ाया, 27 आतंकियों को मार गिराया

Pakistan Train Hijack: पाकिस्तान के बलूचिस्तान क्षेत्र में मंगलवार को सशस्त्र विद्रोहियों ने 500 से अधिक यात्रियों को ले जा रही जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को अगवा करने के बाद पाकिस्तान सेना ने कम से कम 155 बंधकों को मुक्त करा लिया है। इनमें 58 पुरुष, 31 महिलाएं और 15 बच्चे शामिल हैं। इन यात्रियों को पास के माच शहर में स्थित अस्थायी अस्पताल में स्थानांतरित किया गया है।

यह रेल मार्ग एक महीने के बाद फिर से खोला गया था
यह घटना तब घटी जब ट्रेन को एक सुरंग में सशस्त्र हमलावरों ने रोक लिया था, जो कि क्वेटा से पेशावर जाने वाले मार्ग पर स्थित है। यह रेल मार्ग एक महीने के बाद फिर से खोला गया था। इस दौरान बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के विद्रोहियों और पाकिस्तानी सेना के बीच रात भर मुठभेड़ चलती रही, जिसमें कम से कम 27 विद्रोही मारे गए थे।

बीएलए ने 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया है
बीएलए ने दावा किया कि उसने ट्रेन पर नियंत्रण कर लिया है और 180 से अधिक यात्रियों को बंधक बना लिया, जिनमें अधिकतर पाकिस्तानी सैनिक थे। बीएलए ने पाकिस्तान सरकार से सभी बलूच राजनीतिक कैदियों और “जबरन गायब किए गए” लोगों को रिहा करने की मांग करते हुए 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। ध्यान रहे कि जाफर एक्सप्रेस में के ये यात्री पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिमी बलूचिस्तान प्रांत से खैबर पख्तूनख्वा के पेशावर जा रहे थे, जब उस पर गोलीबारी की गई और वह अगवा कर ली गई।

कई सैनिकों के मारे जाने की खबर
बहरहाल विद्रोहियों ने बलूचिस्तान की आज़ादी की मांग करते हुए पाकिस्तानी सैनिकों को निशाना बनाया था और कई सैनिकों के मारे जाने की खबर है। पाकिस्तान सरकार ने इस हमले को गंभीरता से लिया है, और स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए सेना लगातार कार्रवाई कर रही है।(एजेंसी)

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पाकिस्तान में ट्रेन हाईजैक, बलूच लिबरेशन आर्मी ने 450 यात्रियों को बनाया बंधक

Posted on :11-Mar-2025
पाकिस्तान में ट्रेन हाईजैक, बलूच लिबरेशन आर्मी ने 450 यात्रियों को बनाया बंधक

पाकिस्तान न्यूज : पाकिस्तान में आतंकियों ने ट्रेन हाईजैक का दावा किया है. बलूच लिबरेशन आर्मी नामक संगठन ने दावा किया है कि उसने बोलन में जाफर एक्सप्रेस को हाईजैक कर लिया है और 450 लोगों को बंधक बना लिया है.बीएलए ने चेतावनी दी है कि अगर उनके खिलाफ कोई सैन्य कार्रवाई की गई तो वे सभी यात्रियों को मार डालेंगे. अभी तक कुल छह सैन्यकर्मी मारे जा चुके हैं. पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, ट्रेन में 450 यात्री सवार थे.

ट्रेन में सवार सेना और ISI के लोग

बंधकों में पाकिस्तानी सेना, पुलिस, आतंकवाद निरोधक बल (एटीएफ) और इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के एक्टिव-ड्यूटी कर्मी शामिल हैं. ये सभी छुट्टी पर पंजाब जा रहे थे. बीएलए ने चेतावनी दी है कि अगर ट्रेन में मौजूद सैनिकों ने किसी भी तरह की कोई कार्रवाई करने की कोशिश की तो सभी बंधकों को मार दिया जाएगा.

महिलाओं और बच्चों को किया रिहा

ऑपरेशन के दौरान, बीएलए के आतंकियों ने महिलाओं, बच्चों और बलूच यात्रियों को रिहा कर दिया है. जानकारी के अनुसार, बीएलए की फिदायीन यूनिट, मजीद ब्रिगेड इस मिशन को लीड कर रही है, जिसमें फतेह स्क्वाड, एसटीओएस और खुफिया शाखा जिराब शामिल है.

बलूच समूहों ने किया था नए हमलों का ऐलान

कुछ दिनों पहले बलूच समूहों ने पाकिस्तान और चीन के खिलाफ एक नए हमले का ऐलान किया था. बलूच प्रतिरोध समूह ने हाल ही में सिंधी अलगाववादी समूहों के साथ युद्ध अभ्यास खत्म किया है और बलूच राजी अजाओई संगर या BRAS की एक संयुक्त विज्ञप्ति जारी की गई थी, जिसमें एक निर्णायक युद्ध रणनीति का ऐलान किया गया था.

एकजुट हो रहे विद्रोही संगठन

BRAS के साथ आने से पाकिस्तान में चीन द्वारा संचालित कई CPEC प्रोजेक्ट्स के लिए बड़ा खतरा पैदा हो गया है. बलूच राजी आजोई संगर (BRAS) की संयुक्त बैठक के बाद एक बयान जारी किया गया था, जिसमें सहयोगी संगठनों- बलूच लिबरेशन आर्मी, बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट, बलूच रिपब्लिकन गार्ड्स और सिंधी लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन सिंधु देश रिवोल्यूशनरी आर्मी के हाई लेवल डेलिगेशन ने भाग लिया था.

बयान में कहा गया था कि बलूच राष्ट्रीय आंदोलन को निर्णायक चरण में पहुंचाने के लिए अहम फैसले लिए गए हैं. इस मीटिंग में इस बात पर सहमति बनी थी कि BRAS जल्द ही बलूच राष्ट्रीय सेना का रूप ले लेगी. (एजेंसी)

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अमेरिकी सहायता बंद होने से नेपाल की अर्थव्यवस्था संकट में, भारत से मदद की उम्मीद

Posted on :08-Mar-2025
अमेरिकी सहायता बंद होने से नेपाल की अर्थव्यवस्था संकट में, भारत से मदद की उम्मीद

काठमांडू : डोनाल्ड ट्रंप  ने दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति बनते ही एक के बाद एक बड़े फैसले ले रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति के इन फैसलों में USAID के तहत दूसरे देशों को दी जाने वाली सभी अमेरिकी आर्थिक सहायता पर 90 दिनों की रोक लगाना भी शामिल है। सिर्फ इज़रायल और मिस्त्र को ही आर्थिक सहायता दी जा रही है। USAID के बंद होने से नेपाल को भी बड़ा झटका लगा है।

USAID से नेपाल को मिलने वाली आर्थिक सहायता पर रोक
नेपाल ऐसे देशों में से एक है, जो अमेरिकी आर्थिक सहायता पर निर्भर था। हालांकि अब अमेरिका ने नेपाल को दी जाने वाली सभी आर्थिक सहायता ओर रोक लगा दी है।

देश की अर्थव्यवस्था के बड़ा झटका, बढ़ा कर्ज़ का बोझ
अमेरिकी आर्थिक सहायता बंद होने से नेपाल की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा है। नेपाल की अर्थव्यवस्था अमेरिकी आर्थिक सहायता के बंद होने से चरमरा गई है। ऐसे में देश पर कर्ज़ का बोझ भी बढ़ गया है और यह बढ़ता ही जा रहा है।

 शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधित कई सेवाएं प्रभावित
अमेरिकी आर्थिक सहायता बंद होने से नेपाल में जिन दो सेक्टर्स पर सबसे ज़्यादा असर पड़ेगा, वो हैं शिक्षा और स्वास्थ्य। USAID के बंद होने से नेपाल में अरबों रुपये की शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधित सेवाएं प्रभावित हुई हैं।

बढ़ सकती है बेरोजगारी

USAID की फंडिंग की वजह से नेपाल में कई लोगों की नौकरियाँ चल रही थीं। अब अमेरिकी आर्थिक सहायता बंद होने से नेपाल में बेरोजगारी बढ़ सकती है, जिससे देश में व्यवस्था और खराब हो सकती है।

 भारत के सहारे की पड़ सकती है ज़रूरत
नेपाल को अब अमेरिका से मदद मिलना बंद हो गया है। ऐसे में नेपाल को अब अपने पड़ोसी देश भारत  के सहारे की ज़रूरत पड़ सकती है। नेपाल में अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए आने वाले समय में नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली, भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी से बात कर सकते हैं। इससे भारत का नेपाल को एक्सपोर्ट बढ़ सकता है।(एजेंसी)

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वीजा संकट के चलते 1 लाख भारतीयों पर अमेरिका से निर्वासन की तलवार

Posted on :07-Mar-2025
वीजा संकट के चलते 1 लाख भारतीयों पर अमेरिका से निर्वासन की तलवार

Voluntary Deportation:  अमेरिका में एच1-बी वीज़ा धारकों के लाखों भारतीय बच्चे , जो नाबालिग अवस्था में अमेरिका आए थे और अब 21 साल के होने वाले हैं, एक गंभीर अस्तित्व संकट का सामना कर रहे हैं। अब वो एनआरआई माता-पिता के आश्रित (एच-4 वीज़ा धारक) नहीं माने जा सकते। अमेरिकी राज्य टेक्सास (Texas) में हाल ही में आए एक अदालती फैसले ने इस समस्या को और जटिल बना दिया है, जिसमें डेफर्ड एक्शन फॉर चाइल्डहुड अराइवल्स (डीएसीए) के तहत नए आवेदकों को वर्क परमिट देने पर रोक लगा दी गई है।

क्या हो सकता है ऑप्शन?

अमेरिकी नीति के अनुसार, अब तक एच-4 वीज़ा धारकों यानी आश्रितों को ‘एजिंग आउट’ (आयुसीमा पार करने) के बाद नए वीज़ा की स्थिति चुनने के लिए 2 साल का समय दिया जाता था, पर हाल ही में आव्रजन नियमों में हुए बदलाव और अदालतों में चल रहे मामलों के कारण उन्हें इस प्रावधान के हटाए जाने का डर सता रहा है। आशंका बनी हुई है कि या तो उन्हें स्वयं भारत लौटने के लिए मजबूर किया जाएगा या फिर वो अमेरिका में ‘बाहरीलोगों’ के रूप में जीने को मजबूर होंगे।

‘डेफर्ड एक्शन फॉर चाइल्डहुड अराइवल्स’ की चुनौती

डीएसीए अवैध रूप से आए प्रवासियों (जिनमें वे बच्चे भी शामिल हैं जो 21 वर्ष की आयु के बाद अपने माता-पिता के आश्रित नहीं रह पाते) को अस्थायी रूप से 2 सालों के लिए निर्वासन से सुरक्षा प्रदान करता है, जिसमें नवीनीकरण की संभावना होती है। इस प्रावधान के बिना, भारतीय युवाओं को भविष्य में भारी अनिश्चितता का सामना करना पड़ सकता है। और भी गंभीर मुद्दा यह है कि आश्रित बच्चों के माता-पिता ने ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन किया हुआ है, पर इसके लिए इंतज़ार का समय 12 से लेकर 100 वर्ष तक है। हालांकि ‘स्वैच्छिक निर्वासन’ (Voluntary Deportation) के संकट का सामना कर रहे कुछ भारतीय बच्चों पर एफ-1 (छात्र वीज़ा) का विकल्प है पर यह प्रक्रिया भी आसान नहीं है। कुछ युवा अब कनाडा (Canada) या यूके (UK) जाने पर विचार कर रहे हैं।
(एजेंसी)

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सुप्रीम कोर्ट ने दिया डोनाल्ड ट्रंप को झटका, USAID फंड फ्रीज़ करने का फैसला किया खारिज

Posted on :06-Mar-2025
सुप्रीम कोर्ट ने दिया डोनाल्ड ट्रंप को झटका, USAID फंड फ्रीज़ करने का फैसला किया खारिज

Donald Trump : डोनाल्ड ट्रंप  ने जब से दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभाला है, तभी से वह पूरी तरह से एक्शन मोड में हैं। 20 जनवरी, 2025 को 47वें अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने के बाद से अब तक ट्रंप कई बड़े फैसले ले चुके हैं। ट्रंप के इन फैसलों में USAID के तहत दूसरे देशों को दी जाने वाली सभी अमेरिकी आर्थिक सहायता पर 90 दिनों की रोक लगाई हुई है। सिर्फ इज़रायल और मिस्त्र को ही आर्थिक सहायता दी जा रही है। ट्रंप तो USAID को भी बंद करने के पक्ष में हैं और उनका प्रशासन भी इस दिशा में कार्य कर रहा है। हालांकि अब इस फैसले के मामले में ट्रंप को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट  ने झटका दे दिया है।

USAID फंड फ्रीज़ करने का फैसला खारिज

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप को झटका देते हुए बुधवार को USAID फंड फ्रीज़ करने का फैसला खारिज कर दिया है। ट्रंप ने USAID बंद करने का फैसला लेते हुए करीब 2 बिलियन डॉलर्स की विदेशी सहायता के भुगतान पर रोक लगा दी थी, लेकिन अब अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले फैसले में 5-4 मतों से निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि जिन सहायता अनुबंधों पर पहले ही स्वीकृति दी जा चुकी है, उन्हें पूरा किया जाना ज़रूरी है।

बढ़ सकता है विवाद

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से विवाद बढ़ सकता है। ट्रंप पहले ही कह चुके हैं कि अमेरिका की तरफ से दूसरे देशों को आर्थिक सहायता देना सही नहीं है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अब इस फैसले को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के जजों ने इस मामले में कोई तय समयसीमा निर्धारित नहीं की है। 5 जजों ने जहाँ फंड फ्रीज़ करने के फैसले को खारिज करने के पक्ष में वोट दिया, तो 4 में इसके विपक्ष में वोट दिया। एक जज ने तो निचली अदालत के अमेरिका की सरकार के फैसले को चुनौती देना भी गलत बताया है।

USAID बंद करने का फैसला नहीं हुआ खारिज

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ ट्रंप के USAID फंड फ्रीज़ करने के फैसले को खारिज किया है। फिलहाल इसे बंद करने का फैसला खारिज नहीं किया गया है। हालांकि इस मामले में आगे और मोड़ आ सकते हैं। ट्रंप प्रशासन ने भी साफ कर दिया है कि वो इस मामले में झुकने वाला नहीं है। (एजेंसी)

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लंदन में खालिस्तानी समर्थकों ने विदेश मंत्री जयशंकर की रोकी कार,फाड़ा तिरंगा

Posted on :06-Mar-2025
लंदन में खालिस्तानी समर्थकों ने विदेश मंत्री जयशंकर की रोकी कार,फाड़ा तिरंगा

Attack on Jaishankar : लंदन में गुरुवार को एक चिंताजनक घटना सामने आई, जब खालिस्तानी उग्रवादियों ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर पर हमला करने और उनकी गाड़ी को रोकने की कोशिश की। यह घटना तब हुई जब जयशंकर चैथम हाउस थिंक टैंक में आयोजित एक कार्यक्रम के बाद अपनी गाड़ी से रवाना हो रहे थे। इस दौरान खालिस्तान समर्थकों ने न केवल उनके काफिले को परेशान करने की कोशिश की, बल्कि भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को भी फाड़ डाला, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई।

जयशंकर की गाड़ी की तरफ दौड़ा युवक

सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि एक व्यक्ति तेजी से जयशंकर की गाड़ी की ओर दौड़ता है और लंदन पुलिस के सामने ही भारतीय तिरंगे को फाड़ देता है। हैरानी की बात यह रही कि वहां मौजूद पुलिस अधिकारी इस हरकत के बावजूद कोई तत्काल कार्रवाई करते नहीं दिखे, जिससे सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं। चैथम हाउस के बाहर पहले से ही कई खालिस्तान समर्थक जमा थे, जो झंडे लहराते हुए और नारे लगाते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। यह प्रदर्शन जयशंकर के उस कार्यक्रम के दौरान हुआ, जिसमें वे एक चर्चा का हिस्सा थे।

यूनाइटेड किंगडम के दौरे पर है जयशंकर

विदेश मंत्री जयशंकर इस समय 4 से 9 मार्च तक यूनाइटेड किंगडम और आयरलैंड की आधिकारिक यात्रा पर हैं। उनकी यह यात्रा भारत और इन दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों को और मजबूत करने के उद्देश्य से की जा रही है। विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, भारत और यूके के बीच एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी है, जो रक्षा, व्यापार, स्वास्थ्य, शिक्षा और लोगों के बीच आपसी संबंधों जैसे कई क्षेत्रों में गहरी होती जा रही है। जयशंकर की इस यात्रा का मकसद इन क्षेत्रों में सहयोग को और बढ़ाना है। हालांकि, लंदन में हुई इस घटना ने भारतीय अधिकारियों की विदेश में सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं।(एजेंसी)

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ट्रंप ने यूक्रेन की सैन्य सहायता पर लगाई रोक, ज़ेलेन्स्की को बड़ा झटका

Posted on :04-Mar-2025
ट्रंप ने यूक्रेन की सैन्य सहायता पर लगाई रोक, ज़ेलेन्स्की को बड़ा झटका

Trump-Zelenskyy Argument:  : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेन्स्की की मुलाकात के दौरान हुई बहस का नतीजा ज़ेलेन्स्की को अब भुगतना पड़ रहा है। ट्रंप ने अमेरिका की तरफ से यूक्रेन को दी जाने वाली सभी सैन्य सहायता पर रोक लगाने का आदेश दिया है। यह रोक तुरंत प्रभाव से लागू कर दी गई है। इस युद्ध में शुरू से ही अमेरिका, यूक्रेन का सबसे बड़ा मददगार रहा है, लेकिन अब यूक्रेन को अमेरिका की तरफ से बिल्कुल भी सैन्य सहायता नहीं मिलेगी। इससे ज़ेलेन्स्की को बड़ा झटका लगा है।


रूस-यूक्रेन युद्ध में आ सकता है बड़ा मोड़

ट्रंप और ज़ेलेन्स्की के बीच हुई इस बहस और उसके बाद अमेरिका की तरफ से यूक्रेन को दी जाने वाली सभी सैन्य मदद पर ट्रंप की तरफ से रोक लगाने से रूस-यूक्रेन युद्ध में बड़ा मोड़ आ सकता है। कैसे? आइए नज़र डालते हैं।

युद्ध में अमेरिकी सहायता न मिलने से यूक्रेन की सेना होगी कमज़ोर

यूक्रेन की सेना इस युद्ध में अमेरिकी हथियारों के दम पर ही रूस के खिलाफ टिकी हुई है। लेकिन अब ट्रंप की तरफ से यूक्रेन को अमेरिका की तरफ से दी जाने वाली सैन्य सहायता पर रोक लगाने से यूक्रेन की सेना कमज़ोर होगी।

 रूस का पलड़ा पड़ सकता है भारी

अमेरिका की तरफ से यूक्रेन को मिलने वाली सैन्य सहायता पर रोक लगने से यूक्रेन के खिलाफ रूस का पलड़ा काफी भारी हो जाएगा। इससे यूक्रेन पर दबाव बढ़ेगा।

 रूस से हटेंगे प्रतिबंध तो बढ़ेगी उसकी शक्ति

ट्रंप ने सिर्फ यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य सहायता पर रोक लगाने का ही फैसला नहीं किया है, बल्कि रूस पर लगे कई प्रतिबंधों को हटाने का भी फैसला लिया है। इससे रूस की शक्ति बढ़ेगी।

 यूक्रेन पर पड़ेगा युद्ध में शांति स्थापित करने का दबाव

अमेरिकी मदद रुकने से यूरोपीय देशों पर यूक्रेन की मदद करने का दबाव बनेगा। हालांकि यूक्रेन की जितनी मदद अमेरिका ने की है, उतनी मदद यूरोपीय देश नहीं कर पाएंगे। ट्रंप साफ कर चुके हैं कि वह चाहते हैं कि दोनों पक्षों के बीच चल रहे युद्ध में शांति स्थापित हो। वहीं ज़ेलेन्स्की इसके समर्थन में नहीं लग रहे। अब ट्रंप के इस फैसले से यूक्रेन पर युद्ध में शांति स्थापित करने का दबाव बनेगा।

 ज़ेलेन्स्की की कुर्सी पर खतरा

ट्रंप के इस फैसले से अब ज़ेलेन्स्की की कुर्सी पर भी खतरा मंडरा रहा है। यूक्रेनी राष्ट्रपति के तौर पर पहले ही ज़ेलेन्स्की का कार्यकाल खत्म हो चुका है और उसके बाद से ही यूक्रेन में अब तक चुनाव नहीं हुए हैं। हालांकि अमेरिकी मदद रुकने से अब ज़ेलेन्स्की की कुसरी पर भी खतरा मंडरा सकता है। कुछ एक्सपर्ट्स इस बात की भी संभावना जता रहे हैं इससे ज़ेलेन्स्की की कुर्सी को भी खतरा हो सकता है और रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति के लिए ज़ेलेन्स्की को पीएम पद छोड़ना पड़ सकता है और देश को नया राष्ट्रपति मिल सकता है। (एजेंसी)

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व्हाइट हाउस में जेलेंस्की-ट्रम्प के बीच तीखी बहस,जानें क्या है पूरा मामला

Posted on :01-Mar-2025
व्हाइट हाउस में जेलेंस्की-ट्रम्प के बीच तीखी बहस,जानें क्या है पूरा मामला

Trump-Zelensky Clash: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के बीच शुक्रवार (28 फरवरी) को व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में तीखी बहस हो गई. ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने जेलेंस्की पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने उनका आदर नहीं किया. 

इसी बीच यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि वो चाहते हैं कि उनके अमेरिकी समकक्ष डोनाल्ड ट्रंप व्हाइट हाउस में दोनों नेताओं के बीच हुई झड़प के बाद यूक्रेन के प्रति अधिक समर्थन दिखाएं.

वोलोडिमिर जेलेंस्की ने अपने बयान में कही ये बात

जेलेंस्की ने फॉक्स न्यूज़ से कहा, "बेशक दोनों देशों के बीच संबंधों को ठीक किया जा सकता है." यूक्रेनी राष्ट्रपति ने कहा कि वह साझेदार के रूप में संयुक्त राज्य अमेरिका को खोना नहीं चाहते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि ट्रंप वास्तव में हमारे पक्ष में रहें.

एपी की रिपोर्ट के अनुसार, जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन तब तक रूस के साथ शांति वार्ता में शामिल नहीं होगा, जब तक कि उसे किसी अन्य आक्रमण के विरुद्ध सुरक्षा की गारंटी नहीं मिल जाती.

नहीं अच्छा नहीं हुआ

 उन्होंने यह भी कहा कि शुक्रवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ हुई बहस दोनों पक्षों के लिए अच्छी नहीं हुई है.  यूक्रेनी राष्ट्रपति ने कहा कि ट्रंप को यह समझने की जरूरत है कि यूक्रेन रूस के प्रति अपने रवैये को एक पल में नहीं बदल सकता.

वहीं, इस बहस के पास अमेरिका और यूक्रेन के बीच संबंध अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं.  एक अमेरिकी अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि यूक्रेनी नेता को देश छोड़ने के लिए कहा गया है. गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की के बीच ओवल ऑफिस में बैठक शुरू होने के कुछ ही मिनटों बाद दोनों नेताओं के बीच तीखी नोकझोंक शुरू हो गई. राष्ट्रपति ट्रंप ने तीखे और सख्त लहजे में ज़ेलेंस्की से कहा कि आप या तो सौदा कर लें या फिर हम बाहर हो जाएंगे.(एजेंसी)

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जुमे की नमाज के दौरान मस्जिद में धमाका, पाकिस्तान में 5 की मौत, कई घायल!

Posted on :28-Feb-2025
जुमे की नमाज के दौरान मस्जिद में धमाका, पाकिस्तान में 5 की मौत, कई घायल!

Pakistan Mosque Bomb Blast: मुस्लिमों का पवित्र महीना रमजान शुरू होने से एक दिन पहले ही पाकिस्तान एक बार फिर दहल उठा है। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के नौशेरा जिले में दारुल उलूम हक्कानिया में आज, शुक्रवार, 28 फरवरी को एक मस्जिद में बम धमाका हो गया है। जानकारी के अनुसार एक आत्मघाती हमलावर ने इस बम धमाके को अंजाम दिया। यह धमाका अकोरा खट्टक स्थित मदरसा-ए-हक्कानिया की मस्जिद में दोपहर को जुमे की नमाज़ के दौरान हुआ, जिससे हाहाकार मच गया।

5 लोगों की मौत

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के नौशेरा जिले में दारुल उलूम हक्कानिया में खट्टक स्थित मदरसा-ए-हक्कानिया की मस्जिद में आज हुए इस आत्मघाती बम धमाके की वजह से नमाज़ पढ़ रहे 5 लोगों की मौत हो गई है। पांचों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया।

20 लोग घायल

इस आत्मघाती बम धमाके में 20 लोग घायल हो गए हैं। घायलों को नज़दीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहाँ उनका इलाज चल रहा है। घायलों में 3 पुलिसकर्मी भी थे। कुछ लोगों की स्थिति गंभीर बताई जा रही है। ऐसे में मरने वालों का आंकड़ा बढ़ने की भी आशंका जताई जा रही है। (एजेंसी)

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