विशेष रिपोर्ट

विशेष लेख : छत्तीसगढ़ की पहली पारम्परिक लोक पर्व हरेली

विशेष लेख : छत्तीसगढ़ की पहली  पारम्परिक लोक पर्व हरेली

द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा' से साभार

 धनंजय राठौर

संयुक्त संचालक

जनसंपर्क संचालनालय, रायपुर

रायपुर : भारत विविधताओं का देश है। भारत देश में एक नीले आसमान के नीचे कई समृद्ध संस्कृति फल-फूल रही हैं। भारत की अनेकताओं में कुछ त्यौहार ऐसे हैं ,जो सारे देश को एक साथ जोड़ते हैं। छत्तीसगढ़ संस्कृति में त्यौहारों, पर्वो का विशेष महत्‍व है । इन त्यौहारों के क्रम में पहला त्यौहार हरेली का है । इसलिये कहा गया छत्तीसगढ़ संस्कृति परम्परा का त्यौहार हरेली । हरेली त्यौहार को श्रावण मास के कृष्ण पक्ष अमावस्या में मनाया जाता है । हरेली त्यौहार किसान और सभी छत्तीसगढ़वासियो का त्यौहार है । हरेली मतलब प्रकृति के चारों तरफ हरियाली से है । किसान खेत में जुताई-बोआई, रोपाई, बियासी के कार्य पूर्ण करके इस त्यौहार का मनाता है ।

हरेली त्योहार की जड़ें छत्तीसगढ़ की समृद्ध कृषि विरासत में हैं, जहाँ इसे लंबे समय से कृषि देवताओं के प्रति सम्मान के रूप में मनाया जाता रहा है। मानसून की शुरुआत में मनाया जाने वाला हरेली, बुवाई के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है और लोगों और उनकी ज़मीन के बीच गहरे बंधन को दर्शाता है। पीढ़ियों से चला आ रहा

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