बद्रीनाथ उत्तराखंड : पहाड़ों में अक्टूबर और नवंबर की बर्फबारी के बाद जबरदस्त शीतलहर का असर समय से पहले ही दिखाई देने लगा है. ठंड लगभग एक महिने पहले ही पहाड़ों में दस्तक दे चुकी है. आमतौर पर बद्रीनाथ धाम में कपाट बंद होने के बाद नाले, झरने और झीलें जमना शुरू होती है लेकिन इस बार हालात पहले ही ऐसे हो गए हैं. बता दें, अभी भी बद्रीनाथ यात्रा के 12 दिन शेष हैं लेकिन हर दिन बढ़ती ठंड लोगों को परेशान कर रही है.
बद्रीनाथ धाम में लगातार कड़ाके की ठंड बढ़ती जा रही है. यहां चल रही बर्फीली हवाओं की वजह से तापमान काफी गिर गया है. धाम में स्थित शेषनेत्र झील, ऋषिगंगा के झरने और बहता पानी जमना शुरू हो गया है. तापमान करीब माइनस 10 से 16 डिग्री तक पहुंच चुका है, जिसके कारण लगातार ठंड बढ़ती जा रही है.
लोगों को यह नजारा बेहद खूबसूरत लग रहा है तो कहीं बढ़ती ठंड के कारण लोगों को परेशानी हो रही है. यहां पैदल रास्तों पर गिरता पानी भी जमकर पाले में बदल गया है. शेषनेत्र और बद्रीश झील की का पानी अब पूरी तरह जमना शुरू हो गया है. बर्फीली हवाओं के चलते हर तरफ कड़ाके की ठंड का असर महसूस हो रहा है. इस समय बद्रीनाथ धाम में ठंड का प्रकोप देखने को मिल सकता है.
आकर्षक नजारों के बीच बढ़ रही परेशानी
बद्रीनाथ में बर्फ से ढके पहाड़ काफी आकर्षक लग रहे हैं. बामणी गांव मार्ग में पेड़ों पर जमी बर्फ लोगों को आकर्षित कर रही है. जितने मनमोहक ये नजारे दिख रहे हैं उतनी ही कड़ाके की ठंड का सामना लोगों को करना पड़ रहा है. लोगों को रास्तों में पाला जमने से आवागमन में भी परेशानी हो रही है.
जम गए झरने
बद्रीनाथ धाम में नवंबर मध्य से ही जबरदस्त शीतलहर का असर दिखाई दे रहा है. यहां बहने वाली ऋषिगंगा के आसपास के सभी झरने जम चुके हैं. पहाड़ों पर बर्फ की कांच जैसी आकृतियां नजर आ रही हैं. ऋषिगंगा का पानी भी धीरे-धीरे जम रहा है. दोपहर का समय होने के बावजूद पाला पिघलता नहीं दिख रहा है यहां दिन में भी तापमान माइनस में बना हुआ है. ठंड बढ़ने का असर यात्रा पर भी दिखाई दे रहा है. हालांकि यात्रियों की संख्या में थोड़ी कमी जरूर आई है पर श्रद्धालुओं के उत्साह में कोई कमी नहीं दिख रही है.(एजेंसी)






























