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सर्दियों में सेहत का रखे ख्याल! रोजाना करें योगासन और प्राणायाम, बढ़ेगी रोग प्रतिरोधक क्षमता

सर्दियों में सेहत का रखे ख्याल! रोजाना करें योगासन और प्राणायाम, बढ़ेगी रोग प्रतिरोधक क्षमता

सर्दियों के मौसम की शुरुआत हो गई है। इस मौसम में सर्दी-जुकाम के मामले तो देखने के लिए मिलते है वहीं पर निमोनिया की बीमारी का खतरा भी बढ़ जाता है।निमोनिया की बीमारी में पीड़ित व्यक्ति के फेफड़ों में संक्रमण होता है तो वहीं पर वायरस या फंगस की वजह से तेज बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ और सीने में दर्द जैसी समस्याएं होती है। इस निमोनिया जैसी बीमारी से बचाव भी बहुत जरूर होती है।

सर्दी के मौसम में निमोनिया जैसी बीमारी की वजह से व्यक्ति की फेफड़े कमजोर हो जाते है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर हो जाती है। इसके लिए योगासन से बेहतर कुछ नहीं होता है। आज हम आपको ऐसे कुछ योगासन की जानकारी देंगे जो फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ाकर संक्रमण से लड़ने की क्षमता को भी मजबूत करते हैं। 

इन योगासन और प्राणायाम से फेफड़ों को करें मजबूत सर्दियों में निमोनिया की समस्या में फेफड़ों को मजबूत करने के लिए आप इन योगासन और प्राणायाम को कर सकते है जो आसान है।

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मत्स्यासन

सर्दियों में योगासन में से एक मत्स्यासन को आप कर सकते है। यह आसन फेफड़ों में खून का संचार बढ़ाने में मदद करता है। इसके अलावा इस योगासन को करने से फेफड़ों की मांसपेशियों में पर्याप्त मात्रा में खून बढ़ता है और पोषण की पूर्ति होती है। इस योगासन को करने से निमोनिया के बाद भी फेफड़ों की रिकवरी होने लगती है। वहीं पर सांस लेने की प्रक्रिया में सुधार आता है।

भुजंगासन से दूर होते कमर के रोग | Patrika News | हिन्दी न्यूज


भुजंगासन

सर्दियों में कई योगासन में से एक आप इस भुजंगासन को आसानी से कर सकते है। यह आसन फेफड़ों में अंदर तक ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है। जो मरीज निमोनिया की समस्या से गुजर रहे है उसे सांस लेने में कठिनाई हो सकती है और छाती में जकड़न की समस्या भी होती है। भुजंगासन इस जकड़न को कम करता है और फेफड़ों की मांसपेशियों को मजबूत बनाकर शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन उपलब्ध कराता है। अगर आप योगासन को रोजाना करते है तो निमोनिया या फेफड़ों की किसी बीमारी से रिकवरी मिलती है।

रोजाना अनुलोम-विलोम करने के 7 सेहतमंद फायदे
अनुलोम-विलोम

निमोनिया की बीमारी में फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है। इसके लिए अनुलोम-विलोम प्राणायाम लाभकारी होता है। यह सांस की नलियों को साफ रखता है और फेफड़ों की क्षमता को बनाए रखता है। जब व्यक्ति निमोनिया से उबर रहा होता है, तो श्वसन तंत्र अक्सर सुस्त और कमजोर होता है। इस प्राणायाम से धीरे-धीरे फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ती है, जिससे सांस लेना आसान हो जाता है और संक्रमण के बाद शरीर जल्दी ऊर्जा महसूस करता है।

कपालभाति | चंडीगढ़ आयुर्वेद एवं पंचकर्म केंद्र

कपालभाति

निमोनिया या फेफड़ों की बीमारी को दूर करने के लिए यह प्राणायाम भी बेहतर तरीका होता है। यह प्राणायाम शरीर से हानिकारक तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है। यह केवल फेफड़ों की सफाई नहीं करता, बल्कि उन्हें मजबूत भी बनाता है। निमोनिया के बाद फेफड़ों में अक्सर कफ और नमी जमा रहती है, जो सांस लेने में बाधा डालती है। कपालभाति प्राणायाम इन समस्याओं को कम करता है और श्वसन प्रणाली को सक्रिय बनाकर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।(एजेंसी)

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