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IIT डायरेक्टर ने गोमूत्र को दवा बताने पर उठाए सवाल, कहा- "मैं खुद पंचगव्य पीता हूं"

IIT डायरेक्टर ने गोमूत्र को दवा बताने पर उठाए सवाल, कहा-

Gaumutra Row: आईआईटी मद्रास के निदेशक वी कामकोटि (V Kamakoti, Director, IIT-Madras ) इन दिनों गोमूत्र के औषधी गुणों पर दिए बयानों की वजह से सुर्खियों में छाए है। कामकोट द्वारा एक कार्यक्रम में गोमूत्र को दवा बताने के बाद लोगों ने उनके बयान की आलोचन की। आईआईटी डायरेक्टर ने आलोचकों को जवाब देते हुए कहा कि उनके दावों का समर्थन के लिए वैज्ञानिक सबूत मौजूद है। इसके साथ ही कहा कि वह खुद पंचगव्य पीते है।

‘मेरे पास पांच रिसर्च रिपोर्ट है’

गोमूत्र विवाद पर कामकोटि ने कहा, मेरे पास पांच ​रिसर्च रिपोर्ट हैं, जिनमें शीर्ष अमेरिकी पत्रिकाओं में प्रकाशित शोध पत्र नेचर भी शमिल है। इनमें बताया गया है कि गोमूत्र में एंटी-फंगल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। उन्होंने कहा कि उनको आपके साथ शेयर करूंगा।

‘हां, मैं पंचगव्य का सेवन करता हूं’

कामकोटि ने कहा कि मेरी टिप्पणियां जैविक खेती और देशी मवेशियों की नस्लों के संरक्षण की वकालत के संदर्भ में की गई थीं, जो कृषि और समग्र अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय चिकित्सा विद्यालय में आगे के शोध को प्रोत्साहित करना महत्वपूर्ण था। जब उनसे पूछा गया कि क्या वे गोमूत्र का सेवन करते हैं, तो उन्होंने कहा, हां, मैं पंचगव्य का सेवन करता हूं। गोमूत्र को मानव उपभोग के लिए असुरक्षित बताने वाले अन्य शोधपत्रों के बारे में अपनी राय के बारे में कामकोटि ने कहा कि उन्हें ऐसी कोई सामग्री नहीं मिली है।

निदेशक के बयाव में उतारे अधिकारी

इस बीच, आईआईटी-एम के अधिकारियों ने निदेशक के बयान का बचाव किया। एक अधिकारी ने कहा कि वे एक जैविक किसान हैं और कार्यक्रम में अपने अनुभव साझा कर रहे थे। दुनिया की सबसे प्रसिद्ध विज्ञान पत्रिका नेचर ने इस मामले पर उनके और अन्य लोगों द्वारा कही गई बातों की पुष्ट की है।

आईआईटी डायरेक्टर के बयान की आलोचना

टीएनसीसी के अध्यक्ष के सेल्वापेरुन्थगई ने सोमवार को एक प्रेस बयान में कहा कि कामकोटि की टिप्पणी वैज्ञानिक तर्क को कमजोर करती है और प्रतिगामी अंधविश्वासों को बढ़ावा देती है, जो आईआईटी मद्रास जैसे विश्व स्तर पर सम्मानित संस्थान के प्रमुख के लिए अनुचित है। सीपीआई के राज्य सचिव आर मुथरासन ने टिप्पणियों को वैज्ञानिक मूल्यों को किस्से-कहानियों की परंपराओं के लिए गैर-जिम्मेदाराना बताया। वहीं, सीपीएम के राज्य सचिव पी शनमुगम ने चेतावनी दी कि इस तरह के बयान एक अवैज्ञानिक मानसिकता को बढ़ावा देंगे और तकनीकी प्रगति में जनता के भरोसे को कमजोर करेंगे।

कामकोटि को निदेशक पद से हटाने की मांग

सीपीएम ने आईआईटी-एम के निदेशक पद से कामकोटि को तत्काल हटाने की मांग की। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान द्वारा किए गए शोध का हवाला देते हुए उनकी शैक्षणिक उपाधियों को रद्द करने का आग्रह किया। इसके अलावा, मक्कल नीधि मैयम की छात्र शाखा ने भी आईआईटी-एम के निदेशक की टिप्पणियों की निंदा की है।(एजेंसी)

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