महासमुन्द

सोशल मीडिया पर गलत सूचना फैलाकर मतदाताओं को प्रताड़ित करने के मामले उजागर

सोशल मीडिया पर गलत सूचना फैलाकर मतदाताओं को प्रताड़ित करने के मामले उजागर

प्रभात मोहंती 

महासमुंद : सोशल मीडिया, एवं व्हाट्सप्प ग्रुप के माध्यम से पंचायत चुनाव में मतदाताओं को प्रताड़ित करने, अर्थदंड आरोपित करने एवं गांव तथा समाज से बहिष्कार करने की खबरें प्रकाशित हो रही हैं। ऐसी ही एक समाचार तहसील कोमाखान अंतर्गत ग्राम पंचायत चिंगरिया से सार्वजानिक रूप से फ़ैल रही है कि, ग्राम पंचायत चिंगरिया के आश्रित ग्राम ग्राम बाम्हणसरा के निवासी एवं एक  मतदाता  तथा उसके परिवार को ग्राम के कुछ व्यक्तियों द्वारा अपने प्रत्याशी को मत नहीं देने का आरोप लगाते हुए धक्का मुक्की, गाली गलौच,  50,000 रूपये का अर्थदंड एवं गांव से बहिष्कार किये जाने के संबंध में  मीडिया के माध्यम से प्रकाशित किया जा रहा था। उक्त बातें जैसे ही जिला प्रशासन  तक पहुंची उनके द्वारा तत्काल इस संबंध में अनुविभागीय अधिकारी (रा.) बागबाहरा से सच्चाई जानने एवं दोषियों पर कार्यवाही किये जाने का आदेश दिया गया। जिसके परिपालन हेतु अनुविभागीय अधिकारी राजस्व बागबाहरा श्री उमेश कुमार साहू द्वारा तत्काल तहसीलदार कोमाखान श्री हरीशकांत ध्रुव को मामले की जांच करने के लिए निर्देशित किया गया । अनुविभागीय अधिकारी (रा.) बागबाहरा के आदेशानुसार तहसीलदार कोमाखान द्वारा थाना कोमाखान के  थाना प्रभारी के साथ संयुक्त रूप से जाँच  प्रारम्भ किया गया। जाँच के दौरान पीड़ित व्यक्ति के द्वारा थाना प्रभारी कोमाखान के समक्ष गांव के ही 05 व्यक्तियों ब्यास नारायण चंद्राकर, श्याम लाल ठाकुर, जगत राम यादव, हेमन पटेल , रेखन साहू के द्वारा पंचायत चुनाव में अपने प्रत्याशी को सहयोग नहीं करने कि बात कहते हुए अभद्रता पूर्वक व्यवहार करने कि शिकायत किया गया।

शिकायतकर्ता के उक्त शिकायत पर थाना प्रभारी कोमाखान द्वारा सभी आरोपितों के विरुद्ध दण्ड प्रक्रिया  संहिता की धारा  126, 134 बी एन एस एस के तहत इस्तगासा तैयार कर कार्यवाही किये जाने का निवेदन किया गया। थाना प्रभारी कोमाखान के द्वारा जब आरोपितों को न्यायालय में पेश किया गया तब तहसीलदार कोमाखान ने उन्हें सामाजिक समरसता ,समाज के प्रति जिम्मेदारी और लोक तांत्रिक प्रक्रिया के बारे में समझाया, साथ ही किसी भी व्यक्ति को गांव से बहिस्कृत करना अथवा उसे समाज से अलग करने को समाजिक कुरीति एवं उस व्यक्ति के मौलिक अधिकार का हनन होने के बारे में समझाइश दी गई । जिसके पश्चात सभी आरोपितों ने न्यायालय के समक्ष ही अपनी गलती स्वीकार करते हुए न्यायालय एवं पीड़ित व्यक्ति से क्षमा मांगते हुए भविष्य में कभी ऐसी गलती की पुनरावृत्ति नहीं करने का निवेदन किया गया । तत्पश्चात सभी आरोपितों द्वारा 10,000/- 10,000/- का मुचलका एवं बंध पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया जिस पर उन्हें 06 माह तक क्षेत्र में  परिशान्ति भंग नहीं करने के शर्त पर रिहा किया गया।

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