
संवाददाता- प्रभात मोहंती
महासमुंद : महासमुंद में स्वाध्याय भवन में वक़्फ़ ( संशोधन ) विधेयक 2024 विषय पर कल कार्यशाला आयोजित की गई । इस कार्यशाला में छत्तीसगढ़ वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ सलीम राज मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित हुए ।
सर्वप्रथम भारत माता के चलचित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन किया गया । मंच पर डॉ सलीम राज के साथ समिति के पदाधिकारी अधिवक्ता भूपेंद्र राठौड़, महेश चंद्राकर, लक्ष्मीकांत पाणिग्रही, चंद्रशेखर साहू एवं सीए रितेश गोलछा उपस्थित थे । डॉ सलीम राज ने वक़्फ़ अधिनियम के दुष्प्रभाव को बताते हुए इसमें प्रस्तावित संशोधन के महत्व और प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला । उन्होंने वक़्फ़ का अर्थ बताते हुए कहा की वक़्फ़ का अर्थ होता है दान, न की किसी की संपत्ति को ज़बरदस्ती अपनी संपत्ति घोषित कर देना ! वक़्फ़ अधिनियम का अनैतिक फ़ायदा उठाते हुए किसी भी संपत्ति को वक़्फ़ की संपत्ति घोषित कर देने की वर्तमान प्रणाली को ग़लत ठहराते हुए उन्होंने इसमें संशोधन को क़ानून सम्मत बताया ।
वक़्फ़ अधिनियम में संशोधन से पारदर्शिता बढ़ने की बात उन्होंने की । वक़्फ़ बोर्ड में सनातनी की सदस्यता एवं महिला की सहभागिता की बात पर उन्होंने कहा कि ये संशोधन नितांत आवश्यक है । उन्होंने कहा की जब पाकिस्तान की प्रधानमंत्री महिला हो सकती है तो बोर्ड में महिला क्यों नहीं हो सकती । बोर्ड में यदि सनातनी सदस्य होंगे तो किसी सनातनी एवं मुसलमान की संपत्ति जिसमे वो चार पीढ़ी से रह रहा है उसे ग़लत तरीक़े से वक़्फ़ संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकेगा । उन्होंने कहा की वक़्फ़ काउंसिल के आदेश के विरुद्ध न्यायालय में अपील करने का अधिकार आम आदमी को इस संशोधन में प्रस्तावित है जोकि न्यायसंगत है । उन्होंने मुसलमानों को याद दिलाया कि उनके पूर्वज भी मूर्तिपूजक ही थे ।
औरगज़ेब के सवाल पर उन्होंने कहा कि औरंगजेब अत्याचारी था और मुसलमानों का आदर्श नहीं हो सकता । मुसलमानों का आदर्श यदि कोई है तो वो डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम साहब है । संशोधन विधेयक को उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरगामी सोच का परिणाम बताया । संशोधन के पक्ष में उन्होंने अपना भरपूर समर्थन होने की बात कही । समिति के अध्यक्ष भूपेन्द्र राठौड़ एवं उपाध्यक्ष महेश चंद्राकर ने बताया कि प्रत्येक माह इस प्रकार की गोष्ठी आयोजित की जाएगी । मंच का संचालन लक्ष्मीकांत तिवारी ने किया । प्रस्तावना में सुमित ढिल्लों बताया कि क्यों वक़्फ़ संशोधन विधेयक की आवश्यकता हुई । पूर्व में कब कब इसमें संशोधन हुआ । अंत में आभार प्रदर्शन करते हुए रितेश गोलछा ने मुख्य वक्ता डॉ सलीम राज, सभी गणमान्य नागरिकों एवं प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग करने वाले सभी लोगों को धन्यवाद प्रेषित किया ।
उक्त कार्यक्रम में विशेष रूप से डॉ विमल चोपड़ा, देवीचंद राठी, चन्द्रबदन मिश्रा, गोवर्धन प्रधान, लक्ष्मीकांत तिवारी, राजेश डड़सेना, सुमित ढिल्लों, तिलक साव, एम आर विश्वनाथन, अशोक गिरी गोस्वामी, नरेश मोरयानी, राजेश्वर खरे, सुजाता विश्वनाथन, उत्तरा प्रहरे, प्रमोद चंद्राकर, टेकराम सेन, कन्हैया लाल सोनी, सुशील शर्मा, रिखीराम साहू, शशांक तिवारी, नारायण सिंह ठाकुर, नूतन कुमार साहू, प्रशांत श्रीवास्तव, संजय गिरी गोस्वामी, हरवंश सिंह ढिल्लों, अग्रज शर्मा, अनूप उपासे, गुमान जैन, अनिल जैन, मोहन साहू, पवन साहू, नीलम दीवान, अरुणेंद्र धर दीवान, अश्वनी तिवारी, देव नारायण बिसेन, देवेंद्र चंद्राकर, पीयूष साहू, द्वारिका चंद्राकर, अरविंद प्रहरे, हेमकांति देवांगन, भूमिका वर्मा सहित मुसलमान समाज से अनवर हुसैन, शेर मोहम्मद, नईम ख़ान एवं सभी समाज से अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे ।