
संवाददाता- प्रभात मोहंती..
महासमुंद : अक्षय तृतीया का पावन त्यौहार हर वर्ष बैसाख मास के शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस दिन को बहुत ही शुभ माना जाता है। कोई भी काम सम्पन्न किया जा सकता है। आज का दिन इतना शुभ होता है कि पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। आज के दिन को अक्ती तिहार भी कहा जाता है। आज के दिन ठाकुर देव, सांहडा देव, शीतला माता, मौली माता, खेत के देवी देवता का पूजन किया जाता है। गाँव के देवी देवता से सुख समृद्धि और खुशहाली की प्रार्थना की जाती है। अच्छे फसलों की कामना की जाती है घर परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु हुई रहती है, उसे अक्ती पानी दिए जाने की परम्परा है। अक्ती पानी देने के पश्चात् पितर मिलाने की परम्परा है, जिन मृतक व्यक्ति को अक्ती पानी दिया जाता है उसके लिए परिवार वालो को एकत्र कर पानी दिया जाता है, और भोज कराया जाता है। आज के दिन दान करने का भी विशेष महत्व है दान पुण्य करने से सुख समृद्धि में वृद्धि होती है।
अक्षय तृतीया के दिन गुड्डा, गुड्डी का विवाह पूरे रीति रिवाज से किया जाता है। अक्षय तृतीया का सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से विशेष महत्व होता है। मांगलिक कार्य के लिए बहुत ही शुभ होता है। साथ ही साथ आने वाले खरीब की फसल के अच्छे पैदावार के लिए देवी देवताओं का पूजा अर्चना कर आशीर्वाद लेते है, अक्षय तृतीया को खरीददारी की विशेष परम्परा होती आज के दिन खरीदी से घर परिवार में सुख सुविधाओं की वृद्धि होती है। अपने अपने सामर्थ्य के अनुसार खरीदी की जाती है। आज का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है