
संवाददाता- प्रभात मोहंती..
महासमुंद : छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ, महासमुंद इकाई ने जिला शिक्षा अधिकारी, महासमुंद द्वारा हाल ही में जारी पत्र और राज्य सरकार की युक्तियुक्तकरण नीति का विरोध किया है | इस पत्र में प्राथमिक और उच्च प्राथमिक शिक्षकों (डी.एड. धारक) को हाई/हायर सेकंडरी स्कूलों में व्याख्याता की कमी होने पर पढ़ाने का निर्देश दिया गया है, जो राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) के नियमों और छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के हाल के आदेश का खुला उल्लंघन है।
संघ के अध्यक्ष ओम नारायण शर्मा एवं सचिव अनिल कुमार कोसरिया ने संयुक्त पात्र जारी करते हुए कहा है कि, "युक्तियुक्तकरण नीति का दावा था कि यह शिक्षकों की कमी दूर करेगा, यह एक कपोल कल्पित व आम जनता में भ्रम फैलाने की योजना थी जिसका पर्दाफ़ाश हो गया है| प्राथमिक शिक्षकों को उनकी योग्यता से परे हाई स्कूल में पढ़ाने का निर्देश न केवल नीति-विरुद्ध है, बल्कि यह प्राथमिक और उच्चतर दोनों स्तरों पर बच्चों की शिक्षा को प्रभावित करेगा।"
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि डी.एड. धारक केवल प्राथमिक शालाओं में और बी.एड. धारक माध्यमिक/उच्चतर स्तर पर पढ़ा सकते हैं। इसके बावजूद, जिला शिक्षा अधिकारी का यह पत्र प्राथमिक शिक्षकों पर अनुचित दबाव डाल रहा है, जो शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE, 2009) के प्रावधानों के भी खिलाफ है।
ऐसा प्रतीत होता है कि छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था को सुनियोजित तरीके से तहस-नहस करने की योजना पर कार्य किया जा रहा है, स्कूलों को मर्ज करना, शिक्षकों को युक्तियुक्तकरण के नाम से पति-पत्नी या अन्य मापदंडों के बगैर स्थानांतरित करना, इन सबके बावजूद शालाओं में शिक्षकों की कमी बरकरार रहना तथा सत्र आरम्भ होने के बावजूद अब तक बच्चों को सम्पूर्ण पाठ्यपुस्तक उपलब्ध नहीं करा पाना इन सब बातों से ऐसा ही प्रतीत होता है |
संघ ने मांग की है कि जिला शिक्षा अधिकारी का पत्र तत्काल वापस लिया जाए, युक्तियुक्तकरण नीति की समीक्षा कर शिक्षकों का उनकी योग्यता के आधार पर समायोजन किया जाए, और हाई/हायर सेकंडरी स्कूलों में रिक्त व्याख्याता पदों के लिए नई भर्ती या अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की जाए। संघ ने चेतावनी दी है कि यदि मांगें पूरी नहीं हुईं, तो कानूनी कार्रवाई और सामूहिक विरोध का रास्ता अपनाया जाएगा।
संघ ने जिला शिक्षा अधिकारी और स्कूल शिक्षा विभाग, रायपुर को ज्ञापन सौंपा है और अभिभावकों व छात्रों से इस मुद्दे पर विचार करते हुए समर्थन की अपील की है, क्योंकि यह बच्चों के भविष्य से जुड़ा है।