महासमुन्द

रिकोकला ग्राम पंचायत में मतदाताओं ने बदली परंपरा, चुनावी घोषणा पत्र से पहले तैयार किया मांग पत्र

रिकोकला ग्राम पंचायत में मतदाताओं ने बदली परंपरा, चुनावी घोषणा पत्र से पहले तैयार किया मांग पत्र

प्रभात मोहंती 

महासमुंद : बलौदाबाजार, कसडोल, सोनाखान (छत्तीसगढ़),  – पंचायत चुनावों में आमतौर पर प्रत्याशी चुनावी घोषणा पत्र जारी करते हैं, जिसमें वे मतदाताओं से विभिन्न वादे करते हैं। लेकिन इस बार बलौदाबाजार जिले के कसडोल विकासखंड के सुदूर वनांचल ग्राम रिकोकला में मतदाताओं ने एक नई मिसाल कायम करते हुए पहले ही मांग पत्र तैयार कर लिया। इस मांग पत्र में ग्राम की मूलभूत आवश्यकताओं और सामाजिक कुरीतियों के निवारण हेतु ठोस बिंदु शामिल किए गए हैं। यह पहल ग्रामवासियों द्वारा चुनावी प्रक्रिया को अधिक जवाबदेह और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से की गई है।

रिकोकला ग्राम पंचायत के इस ऐतिहासिक प्रयास के तहत, चुनाव में भाग लेने वाले सरपंच प्रत्याशियों से मांग पत्र के बिंदुओं पर सहमति ली गई और बाकायदा अनुबंध कराया गया, ताकि जीतने के बाद वे अपने वादों को न भूलें और ग्राम विकास में संकल्पित होकर कार्य करें।

ग्राम पंचायत रिकोकला में नई परंपरा की शुरुआत

इस पहल के तहत, ग्रामवासियों ने सरपंच प्रत्याशियों से पहले ही यह सुनिश्चित कराया कि वे अपने दायित्वों को गंभीरता से निभाएंगे और गांव की बुनियादी आवश्यकताओं को प्राथमिकता देंगे। यह कदम ग्रामीण लोकतंत्र को मजबूत करने और मतदाताओं की भागीदारी को प्रभावी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

रिकोकला ग्रामवासियों द्वारा तैयार किए गए इस मांग पत्र में सड़क निर्माण – ग्राम में उचित पक्की सड़कों का निर्माण किया जाए, जिससे ग्रामीणों को आवागमन में सुविधा मिले, स्वच्छ जल आपूर्ति – गांव में सुरक्षित और स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए, ताकि जलजनित रोगों से बचा जा सके, नाली निर्माण एवं जल निकासी व्यवस्था – ग्राम में जलभराव की समस्या को हल करने के लिए सुनियोजित नाली निर्माण किया जाए, बिजली व्यवस्था – 24x7 निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जाए और जहाँ आवश्यकता हो, वहाँ नए ट्रांसफार्मर लगाए जाएं, स्वच्छता अभियान – स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांव में नियमित सफाई अभियान चलाया जाए, स्कूल सौंदर्यीकरण और डिजिटल लैब – स्थानीय विद्यालयों में सुविधाओं का विस्तार कर डिजिटल लैब और स्मार्ट क्लासेस की व्यवस्था की जाए, जिससे बच्चों को आधुनिक शिक्षा मिल सके, वृद्धा पेंशन – योग्य वरिष्ठ नागरिकों को समय पर पेंशन प्रदान की जाए और वितरण प्रक्रिया को सरल बनाया जाए, स्वास्थ्य सुविधाएँ – गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) को सशक्त किया जाए, डॉक्टरों की नियमित उपस्थिति हो और आवश्यक दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए, अवैध भूमि कब्जा हटाना – पंचायत की सार्वजनिक जमीनों पर अवैध कब्जों को हटाया जाए और उनका उचित उपयोग किया जाए, मुख्य मार्ग पर डबल केजवहील – मुख्य मार्ग को चौड़ा किया जाए और यातायात सुगम बनाने के लिए आवश्यक सुधार किए जाएं, अवैध शराब बिक्री पर रोक – ग्राम में अवैध शराब की बिक्री पर सख्त कार्रवाई की जाए, जिससे समाज में बढ़ रही बुराइयों पर नियंत्रण पाया जा सके, बाल विवाह पर प्रतिबंध – गांव में बाल विवाह जैसी कुप्रथा को समाप्त करने के लिए ठोस उपाय किए जाएं, सूचना केंद्र की स्थापना – ग्रामवासियों को सरकारी योजनाओं और उनके अधिकारों की जानकारी देने के लिए सूचना केंद्र स्थापित किया जाए, शासकीय संपत्ति एवं संसाधनों का संरक्षण और सदुपयोग – गांव की सरकारी संपत्ति और संसाधनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और उनका सही उपयोग किया जाए, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का क्रियान्वयन – सरकार द्वारा संचालित सभी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को 100% लागू किया जाए, जिससे कोई भी पात्र व्यक्ति वंचित न रहे, संविधान की मंशा के अनुरूप नियम और सुविधाएँ – संविधान द्वारा प्रदत्त सभी अधिकार और सुविधाएँ ग्रामवासियों तक पहुँचे, इसकी गारंटी ली जाए।

रिकोकला ग्रामवासियों ने इस मांग पत्र को सभी सरपंच प्रत्याशियों के समक्ष प्रस्तुत किया और उनसे इस पर सहमति लेकर लिखित अनुबंध किया। यह अनुबंध इस बात का प्रमाण होगा कि जो भी प्रत्याशी जीतता है, वह गांव के विकास के प्रति जवाबदेह रहेगा।

ग्राम पंचायत रिकोकला में इस ऐतिहासिक पहल के प्रमुख प्रेरक व्यक्तित्व में धनेशर डडसेना, डूबेंन्द्र साहू, रुपनाथ डड़सेना, गोपाल, सुरेश दीवान, नन्दो डड़सेना, भारत, उत्तर दीवान, ठाकुरराम यादव, दीपक ठाकुर, तेजसिंह ठाकुर,विजय वर्मा, डॉ. सुरेश शुक्ला तथा ग्रामवासीयों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। इन जागरूक नागरिकों ने पंचायत चुनावों को केवल राजनीतिक प्रक्रिया न मानकर, इसे ग्राम विकास का ठोस माध्यम बनाने के लिए प्रयास किया।

ग्रामवासियों ने इस पहल का जोशीले अंदाज में समर्थन किया। एक ग्रामीण ने कहा, "पहले प्रत्याशी वादे करते थे और बाद में भूल जाते थे, लेकिन इस बार हमने उन्हें लिखित सहमति देने के लिए मजबूर किया है, जिससे वे अपने दायित्वों को निभाने से पीछे न हटें।"एक वरिष्ठ नागरिक ने कहा, "अगर यही प्रणाली पूरे प्रदेश में लागू हो जाए, तो पंचायत चुनाव केवल राजनीति का माध्यम न रहकर असली विकास का जरिया बन जाएंगे।"

राजनीतिक विश्लेषकों और समाजशास्त्रियों का मानना है कि यह पहल लोकतंत्र को और अधिक सशक्त बनाएगी। अगर देशभर की पंचायतें इस तरह के मांग पत्र को अपनाने लगें, तो यह स्थानीय शासन को अधिक प्रभावी और जवाबदेह बना सकता है।ग्राम पंचायत रिकोकला में मतदाताओं द्वारा तैयार किया गया यह मांग पत्र एक क्रांतिकारी कदम है। इससे न केवल ग्राम विकास की गारंटी मिलेगी, बल्कि स्थानीय प्रशासन की पारदर्शिता भी बढ़ेगी। इस पहल से प्रेरणा लेकर अन्य पंचायतें भी यदि इसी तरह से चुनावी प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी निभाएं, तो भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक बदलाव संभव हो सकता है। यह मांग पत्र पंचायत चुनावों में नई सोच और नई दिशा का प्रतीक बनकर उभरा है। उम्मीद है कि यह पहल सिर्फ रिकोकला तक सीमित न रहकर अन्य गांवों तक भी पहुँचेगी और लोकतंत्र को मजबूत करेगी।

 

 

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