राकेश यादव
किस बात की कर रहे सुरक्षा क्षेत्र में खदानें ही नहीं,
नाश्ता खाना बाद में घूमने पर है लाखों का खर्च
मुख्यालय नागपुर की अनदेखी समझ के परे
तैनाती में कुछ तो घालमेल है दोनों के बीच,
छिन्दवाड़ा/जुन्नारदेव : उप क्षेत्र अंम्बाडा़ में जो सी.आई.एस.एफ. तैनात है, प्रतिमाह कंपनी का उस पर लाखों रुपए का खर्च हो रहा है, क्षेत्र के जनप्रतिनिधि इस बात को सोचने विवश है ,कि कंपनी से प्रतिमाह लाखों रुपए ले किस बात की सुरक्षा सी.आई.एस.एफ. द्वारा की जा रही है जबकि क्षेत्र में ना तो खदाने हैं ,ना तो कोयले का उत्पादन ही हो रहा है ,प्रातः स्नान कर नाश्ता एवं दोपहर में भोजन बाद में दिन में फोर व्हीलर में घूमना सिर्फ यही कार्य है, जिसका यह प्रतिमाह कंपनी से लाखों रुपए ले रहे हैं ,नागपुर मुख्यालय इस बात को जानता है, उसके पश्चात भी अनदेखी समझ के परे हैं, इस बात से यह अंदाजा लगाया जा सकता है, कि नागपुर मुख्यालय एवं सी.आई.एस.एफ. के बीच कुछ घालमेल है ,इस बात को ले लोग कोयला मंत्रालय भारत सरकार को पत्र लिख चुके हैं, ताकि जांच हो सके।
सनद रहे कि समूचा कान्हान क्षेत्र जो मोहन कालरी उप क्षेत्र अंम्बाडा़ से जो शुरू होता है ,वह जुन्नारदेव ,डूंगरिया ,घोड़ावाडी़, दमुआ, नंदन ,और तानसी क्षेत्र में जा समाप्त होता है ,आज से 35 से 40 वर्ष पीछे का समय क्षेत्र का देखे तो उस क्षेत्र में कोयले की भूमिगत से ले ओपन कास्ट खदानें ने पर्याप्त में चल रही थी, जहां श्रम शक्ति की मात्रा भी पर्याप्त थी, जिससे समूचे क्षेत्र गुलजार था ,क्षेत्र में रौनक से ले चहल पहल बराबर बनी हुई थी, क्षेत्र का व्यापार भी अच्छा चल रहा था।
सीआईएसफ नहीं थी तैनात
आज से 35 से 40 वर्ष पूर्व कान्हान क्षेत्र का भविष्य नंबर वन था, खदानों से श्रम शक्ति की मात्रा पर्याप्त थी ,इस क्षेत्र से कोयला भी भारी मात्रा में निकल रहा था ,उस समय यदि सी.आई. एस. एफ .तैनात होती तो समझ में भी आता।
उजड़ने पर तैनात है सी.आई.एस.एफ.
कन्हान क्षेत्र हो या उप क्षेत्र अंम्बाडा़ का वर्तमान समय देखे खदानें बंद हो गयी ,कोयले का उत्पादन भी नहीं हो रहा है ,ऐसे समय में सी.आई.एस.एफ .तैनात है ,जो समझ से परे नजर आता है।
किरोड़ो रुपए का खर्च है सीआईएसएफ पर
वर्तमान समय में क्षेत्र में जो सी.आई.एफ . एस.तैनात है ,उस पर कंपनी का प्रतिवर्ष करोड़ों एवं प्रतिमाह लाखों रुपए खर्च कंपनी पर बैठता है।
भोजन कर भ्रमण करना है कार्य
वर्तमान समय में सी.आई.एस.एफ. का कार्य देखे तो नजर आता है। कि इनका सुबह उठना स्नान कर नाश्ता करना दोपहर में भोजन करना एवं इसी समय फोर व्हीलर वाहन मैं भ्रमण करना यही कार्य है इस बात के लिए यदि कंपनी का करोड़ों रुपए खर्च हो तो दुख होता है।
कोयला मंत्रालय हो गई शिकायत
इस समय क्षेत्र में जो सी.आई.एस.एफ. तैनात है, इस बात की शिकायत कोयला मंत्रालय में हो गई है ,जिसमें यह बात स्पष्ट है, कि इस फिजूल खर्ची में मुख्यालय नागपुर का कुछ घालमेल है ,क्योंकि उनका कार्य कुछ भी नहीं है, सी आई एस एफ नहीं सिर्फ क्षेत्र में जितने वर्षों से तैनात है ,उतने प्रकरण भी दर्ज नहीं कर पाई, कोयला चोरी उसे समय से ले आज भी बड़े पैमाने पर हो रही है, उनकी तैनाती पर भी कोई अंकुश नहीं है।