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भाजपा सरकार को आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को कुचलने नहीं दिया जाएगा : कहा किसान सभा ने, 7 को हसदेव में नागरिक प्रतिरोध मार्च

भाजपा सरकार को आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को कुचलने नहीं दिया जाएगा : कहा किसान सभा ने, 7 को हसदेव में नागरिक प्रतिरोध मार्च

रायपुर : संविधान की रक्षा की शपथ लेकर शासन करने वाली किसी भी सरकार को आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को कुचलने तथा उनके हित में बनाए गए कानूनों का उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है। लेकिन हसदेव अरण्य के मामले में भाजपा सरकार ठीक ऐसा ही कर रही है और इसीलिए उसके खिलाफ नागरिक प्रतिरोध संगठित किया जा रहा है। हसदेव के मुद्दों के प्रति चिंतित प्रदेश के सभी संवेदनशील नागरिक और संगठन 7 जनवरी को हसदेव में भाजपा सरकार के आदिवासी विरोधी और कॉर्पोरेटपरस्त रुख के खिलाफ नागरिक प्रतिरोध मार्च में शामिल होंगे।

उक्त बातें छत्तीसगढ़ किसान सभा के संयोजक संजय पराते ने कल यहां आयोजित एक संयुक्त पत्रकार वार्ता  में कही। इस पत्रकार वार्ता को छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला के साथ भारतीय किसान यूनियन के प्रवीण श्योकंद, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा (मजदूर कार्यकर्ता समिति) के कलादास डहरिया तथा अमित बघेल आदि ने भी संबोधित किया।

पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए पराते ने कहा कि जल, जंगल, जमीन और खनिज राज्य का विषय है और इसलिए हसदेव के जंगल की कटाई राज्य सरकार की सहमति के बिना नहीं हो सकती। भाजपा पर कॉर्पोरेटपरस्त रुख अपनाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि वह पेसा कानून तथा आदिवासी अधिकार कानून का उल्लंघन कर रही है, जिसे मौजूदा सभी कानूनों पर सर्वोच्चता प्राप्त है। किसान सभा नेता ने ग्राम सभाओं का फर्जी प्रस्ताव तैयार करने वाले अधिकारियों और अडानी पर कार्यवाही करने, आदिवासियों को व्यक्तिगत और सामुदायिक वनाधिकार पत्रक देने, जिन आदिवासियों के वनाधिकार पत्रक छीने गए हैं, उन्हें वापस करने तथा विधानसभा संकल्प के अनुसार सभी कोयला खदानों का आबंटन निरस्त करने की मांग की।

आलोक शुक्ला ने पिछले माह दिसम्बर में हसदेव के जंगल काटे जाने के लिए वहां के ग्रामों को बंधक बनाने और उस क्षेत्र के आंदोलनकारी आदिवासियों को गैर-कानूनी ढंग से हिरासत में लेने के विस्तृत विवरण रखा। उन्होंने कहा कि कोयला खनन के लिए अडानी द्वारा जो अनुमतियां हासिल की गई हैं, वे ग्राम सभाओं के फर्जी प्रस्तावों पर आधारित है, इसलिए उसकी कोई वैधानिकता नहीं है। इन फर्जीवाड़े की जांच के लिए राज्यपाल द्वारा निर्देश दिए जाने के बावजूद राज्य सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। उन्होंने पूछा कि यह कैसा कानून का शासन है, जो सार्वजनिक संपत्ति हड़पने वालों के साथ खड़ा है और इसका विरोध करने वाली आम जनता पर डंडे बरसा रहा है?

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