राजधानी

लाचार किसान नही जाग पाया ---

लाचार किसान नही जाग पाया ---

बालक राम पटेल

भले ही गांधी जी ने कहा था :--

भारत की आत्मा गांव में बसती है । देश को स्वतंत्र तब मानूंगा जब , किसान का बेटा प्रधानमंत्री बनेगा । शास्त्रीजी ने भी  सिक्कों में लिखवा दिया " अधिक अन्न उपजाओ " और नारा दिया -" जय जवान-जय किसान "

किसान तो तब जागा जब ---

किसानों के लिए तीन , खतरनाक काले कानून बने और किसानों के मसीहा " राकेश टिकैत " के नेतृत्व में साल भर किसानों ने दिल्ली में - सर्दी , गर्मी , ओले , लू , कोरोना , सड़क में गड़े लोहे के कीले , ठंडे पानी के बौछार , अश्रुगैस , लाठी-गोली की परवाह किये बिना शहीद होते किसानों की आत्मा ने  सरकार के विरुद्ध आखरी लड़ाई लड़कर , काले कानून निरस्त कराये । 

छग में किसानों के साथ दगाबाजी कर 2018 में बीजेपी सरकार हट गई । धान खरीदी में जोर लगाकर कांग्रेस सत्ता में आ गई । अभी के आम चुनाव में कांग्रेस ने प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान 2800 रु0 प्रति क्वि0 का दर घोषित किया तो बीजेपी ने 21 क्वि0 धान प्रति एकड़ 3100 रु0 प्रति क्वि0 में खरीदने की घोषणा की है । " आज सबके समझ मे आ गया , कि सरकार बनाने में किसान ही सबसे बड़ा फेक्टर है "  आंदोलनकारी निर्दोष किसानों (मुलताई , लखीमपुर , दिल्ली आदि) का लहू , आजादी की 76 वें साल में रंग लाया और सिद्ध कर दिया कि सत्तासीनों के काले पीले कारनामे एक तरफ तो धान खरीदी एक तरफ ।

**धान के कटोरे में 76 साल बाद चांदी सा चमकीला चावल दिखाई दिया है **
 
    # जय जवान - जय किसान #
साभार श्री बालक राम पटेल ,खरसियां,

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