ज्योतिष और हेल्थ

वैज्ञानिकों ने बनाया ऐसा उपकरण, गला खराब होने के बाद भी बोल पाएंगे लोग

वैज्ञानिकों ने बनाया ऐसा उपकरण, गला खराब होने के बाद भी बोल पाएंगे लोग

-वैज्ञानिकों ने बनाया ऐसा उपकरण, खुल जाएगा बंद गला

Health News : दुनिया में 10 लाख से ज्‍यादा लोग ऐसे हैं, जो बोल नहीं पाते हैं। काफी तेजी से यह समस्‍या बढ़ती जा रही है। कई बच्‍चों को यह बीमारी जन्‍मजात होती है। अब ऐसे लोगों के लिए उम्‍मीद की एक किरण जगी है। वैज्ञानिकों ने ऐसा उपकरण बनाया है, जिसे लगाते ही बंद वोकल कार्ड खुल जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा पैच तैयार किया है, जिसे बाहर से गले में लगा दिया जाएगा। यह लचीला उपकरण गर्दन की मांसपेशियों की गतिविधियों को पहचान लेता है और उसे आवाज में बदल देता है।

यानी अगर गला काम नहीं कर रहा है, तो भी आप बोल पाएंगे। सबसे खास बात, इस उपकरण को चलाने के लिए कोई बैटरी या प्‍लग की जरूरत नहीं। यह गले की गतिविधि का उपयोग करके खुद ही बिजली उत्‍पन्‍न करता है। उसी से संचालित होता है। उपकरण बनाने वाली टीम के लीडर प्रोफेसर जून चेन से जब पूछा गया कि उन्‍हें यह ख्‍याल आया कहां से? तब उन्‍होंने कहा, एक बार मैं व्‍याख्‍यान दे रहा था। कई घंटे हो गए बोलते-बोलते, एक वक्‍त पर मैंने महसूस किया कि मेरा गला थक गया है। आवाज नहीं निकल पा रही है। तभी सोचा कि क्‍या कुछ ऐसा बना सकते हैं, जिससे तेज बोलना न हो। जो हमारे गले की मदद कर सके। वहीं से ये आइडिया आया।

काम शुरू किया तो नतीजे चौंकाने वाले थे। इस उपकरण की मदद से आप अपने वोकल कॉर्ड को तकलीफ दिए बिना बोल सकें। इसे हम वोकल फोल्‍ड के नाम दे रहे हैं। प्रोफेसर ने बताया, जो लोग बोलने की क्षमता खो चुके हैं, उनके लिए यह रामबाण होगा। उनकी आवाज फिर वापस आ सकेगी। गले के कैंसर की सर्जरी के बाद कई लोगों की आवाज चली जाती है, उनके लिए भी यह काफी मददगार होगा। बिना किसी दिक्‍कत के वे बात कर पाएंगे। लोहे और गैलियम को मिलाकर ये पैच बनाया गया है। जब इस पर किसी तरह का दबाव आता है तो यह चुंबकीय गुण प्रकट करने लगता है। नया पैच इसी तकनीक पर काम करता है। गले की मांसपेशियों में जब खिंचाव या फैलाव होता है, तो यह उसका इस्‍तेमाल कर आवाज तैयार कर लेता है, और इसे विद्धुत संकेतों में बदल देता है। जो बाद में आवाज के रूप में बाहर आती है। यह पैच पांच बहुत पतली परतों से बना हुआ है।

बाहरी परत काफी नरम, लचीली सि‍लिकॉन से बनी हुई है। बीच की परत सिलिकॉन और माइक्रोमैग्नेट से बनी होती है, जो एक चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है। यह गले की मांसपेशियों की गति के साथ बदलती रहती है। इसके चारों ओर तांबे के तार की कुंडलियों से बनी दो परतें, इन चुंबकीय-क्षेत्र परिवर्तनों को विद्युत संकेतों में परिवर्तित करती हैं। शोध में शामिल लोगों ने पांच वाक्‍यों को 100 बार दोहराया और 95 प्रतिशत फीसदी बिल्‍कुल सही आवाज बाहर आई।(एजेंसी)

 

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